Jhansi News: NGT ने शहर में लक्ष्मी तालाब के अवैध कब्जे पर अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी, DM करेंगे जमीन का सर्वेक्षण

Jhansi News: झांसी जिले में राष्ट्रीय हरित अधिकरण NGT ने शहर में स्थित लक्ष्मी तालाब को अवैध कब्जे से बचाने में सक्षम अधिकारियों के असफल रहने का आरोप लगाने वाली अर्जी पर संज्ञान लिया।

B.K Kushwaha
Report B.K KushwahaPublished By Divyanshu Rao
Published on: 15 July 2021 6:40 AM GMT
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लक्ष्मी तालाब की फोटो-सोशल मीडिया 

Jhansi News: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के झांसी (Jhansi) जिले में राष्ट्रीय हरित अधिकरण NGT ने शहर में स्थित लक्ष्मी तालाब को अवैध कब्जे से बचाने में सक्षम अधिकारियों के असफल रहने का आरोप लगाने वाली अर्जी पर संज्ञान लेते हुए इस मामले में दो महीने के भीतर रिपोर्ट देने को कहा है। एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने एक समिति गठित की है,जिसमें उत्तर प्रदेश के शहर विकास विभाग के प्रधान सचिव, झांसी विकास प्राधिकरण और झांसी के जिलाधिकारी शामिल होंगे ।

पीठ ने कहा प्रमुख सचिव शहरी विकास समन्वय और क्रियान्वयन के लिए नोडल एजेंसी होंगी। स्थानीय सदस्यों के साथ मिलकर जिलाधिकारी जमीनी स्तर पर सर्वेक्षण करेंगे और ठोस कार्रवाई के लिए शहरी विकास सचिव को रिपोर्ट सौंपेंगे। उन्होंने आगे कहा, इस संबंध में स्थिति रिपोर्ट दो महीने के भीतर ई-मेल के जरिए भेजी जा सकती है। हरित अधिकरण ने इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 25 अक्टूबर की तारीख तय की है।

लक्ष्मी तालाब के शहर में स्थिति तालाब की फोटो-सोशल मीडिया


लक्ष्मी तालाब की आठ एकड़ जमीन मौके से गायब

लक्ष्मी ताल का ऐतिहासिक दृष्टि से विशेष महत्व है। साथ ही यह नगर से सटा पानी का बड़ा स्रोत भी है। लेकिन, अनदेखी के चलते वर्तमान में ताल दुर्दशाग्रस्त है। प्राचीन धरोहर गंदगी की चपेट में है, जिससे इसका पानी उपयोगी भी नहीं रह गया है। इतना ही नहीं, तालाब की जमीन पर भू माफियाओं की नजर है।

कारोबारियों ने तालाब की जमीनों पर कब्जा कर लिया

इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि भू राजस्व अभिलेखों में ताल का रकवा लगभग अस्सी एकड़ है, जमीन मौके पर लगभग बहत्तर एकड़ ही जमीन है। शेष जमीन का पता लगाने के लिए राजस्व विभाग कई बार पैमाइश कर चुका है, लेकिन अब तक इसकी जानकारी नहीं मिल पाई है। जानकारों का कहना है कि ताल की जमीन कब्जे की चपेट में है। अवैध निर्माण तक कर लिए गए हैं। जमीन के अवैध कारोबारियों ने तालाब के साथ-साथ पहाड़ों की जमीन को भी नहीं छोड़ा है। कई पहाड़ियों को काटकर सपाट मैदान बना दिया गया है। प्लाटों की खरीद-फरोख्त कर निर्माण तक कर लिए गए हैं।

तालाब के सुंदरीकरण के लिए प्लान तैयार

लक्ष्मी तालाब सड़क के दूसरी ओर नारायण बाग की तरफ डडियापुरा में ट्रीटमेंट प्लांट बनाया है। लक्ष्मी ताल में गिरने वाले आसपास के सात नलों के गंदे पानी को सीधे प्लांट में ले जाकर प्रतिदिन 26 एमएलडी पानी का शुद्धीकरण होगा। इसमें से 22 एमएलडी पानी 10 बायोकेमिकल ऑक्सीजन तक शुद्ध किया जाएगा। यहां से पानी को नारायण बाग से होकर जाने वाले नाले से पहूंज नदी में छोड़ा जाएगा।

एमएलडी पानी का शुद्धीकरण करके नहाने लायक होगा

जबकि, शेष चार एमएलडी पानी का और अधिक शुद्धीकरण करके चार बीओडी नहाने लायक किया जाएगा और यह पानी लक्ष्मी तालाब में छोड़ा जाएगा। तालाब भरा रहने से आसपास का भूजल स्तर भी रिचार्ज होगा और गंदगी साफ हो जाने से बदबू नहीं आएगी। प्लांट अगले 15 साल 2035 तक के लिए तैयार किया गया है, ताकि पानी की खपत बढ़ने के बाद नालियों में आने वाले पानी को फिल्टर किया जा सके।

तालाब के बीच फव्वारा लगेगा और सजावट कि जाएगी

मिली जानकारी के अनुसार इसके अलावा ताल के इर्दगिर्द आकर्षक लाइट लगाई जाएंगी, किनारों पर पाथ वे व बैंच लगाई जाएंगी। तालाब के बीच फव्वारा भी लगाया जाएगा। इसके अलावा शहर के नालों का गंदा पानी तालाब में पहुंचने से रोका जाएगा। नालों का डायवर्जन होगा। यह काम शुरू भी हो गया है। जबकि, पानी की सफाई के लिए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट भी लगाया जाएगा। इसका भी निर्माण जारी है।

Divyanshu Rao

Divyanshu Rao

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