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Jhansi News: सर हसबैंड हूं, कोई एटीएम नहीं, रुपये देता रहूं, पीड़ित पति की गुहार
पत्नी के खर्च से परेशान पति बोला, एटीएम नहीं हसबैंड हूं
Jhansi News: सर हसबैंड कोई एटीएम नहीं है कि जब कार्ड डालो, पैसे निकल आएं। मैं अपनी कमाई के हिसाब से ही घर चला पाऊंगा। एक पीड़ित पति (pati patni ka jhagada) कुछ इस तरह गुहार लगा रहा था। मामला जीआरपी थाना का है।
सीपरी बाजार क्षेत्र के गनेश नगर में रहने वाले दंपति का मामला काफी दिनों से चल रहा हैं। पति का आरोप है कि पत्नी अनाप शनाप खर्च करती हैं। वहीं पत्नी का आरोप है कि पति घर खर्च (patni pidit pati) के अलावा किसी अन्य खर्चे को उठाने के लिए ही तैयार नहीं। पार्लर, कपड़े, किटी इन सबसे दूर हो गई हूं। मुझे घर खर्च के अलावा 20 हजार अलग से चाहिए। वहीं पति सहायक स्टेशन मास्टर के पद पर पदस्थ है। उसका कहना है कि मुझे बिल दिखाकर पैसे ले लिया करें। वहीं पत्नी का कहना था कि मैं ऐसा नहीं करुंगी।
बाद में जीआरपी दारोगा ने पति-पत्नी को समझाने की कोशिश की मगर दोनों लोग फिर से उलझ बैठे। पति का कहना था कि पत्नी को रखने को तैयार है मगर पत्नी मना कर रही थी, पत्नी कहती थी कि जब पति उसका खर्च उठाएंगे, तभी साथ रहने को तैयार होगी। बाद में किसी तरह दोनों को समझाया गया। इसके बाद दोनों राजी हो गए। जीआरपी ने दोनों पक्षों का समझौता करवा दिया। इसके बाद दोनों लोग अपने घर चले गए।
पुलिस प्रशासन द्वारा चलाए जा रहे पुलिस परामर्श केंद्र का असर अब दिखने लगा है। यहां पुलिस द्वारा टूटे हुए दिल को जोड़ा जाता है और सारे गिले-शिकवे भुलाकर साथ रहने के लिए प्रेरणा दी जाती है। पुलिस प्रशासन की यह पहल हद तक सफल दिखाई पड़ रही है। दरअसल आज पुलिस परामर्श केंद्र चार जोड़े फिर एक साथ रहने को राजी हो गए और साथ हसी खुशी घर चले गए।
केस एक
कोतवाली थाना क्षेत्र के ओरछा गेट निवासी मंजू की उसके पति विनोद कुमार से अनबन चल रही थी। दोनों के बीच वैवाहिक रिश्ते अच्छे नहीं थे। विवाद चरम पर पहुंचा तो मंजू ने एसएसपी से गुहार लगाई। एसएसपी ने इस मामले को परिवार परामर्श केंद्र भेजा। जहां काउंसलरों ने मंजू व विनोद को बुलाकर मध्यस्थता की। दोनों को समझाया गया। जिसके बाद दोनों फिर एक साथ रहने को राजी हो गए और उसकी विदाई करा दी गई।
केस दो
रेलवे कालोनी निवासी ममता देवी का पति विजय उन्हें परेशान करता था। दोनों के बीच विवाद इतना बढ़ा कि एक दूसरे का साथ छोड़ दिया। दोनों अलग अलग रहने लगे। पहले समाज के बुजुर्गों ने दोनों को समझा कर एक करने की कोशिश की, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। जिसके बाद यह मामला पुलिस के पास पहुंचा। पुलिस ने पति-पत्नी के रिश्ते को टूटने के बजाय जोड़ने की कोशिश की। पुलिस की कोशिश रंग लाई और एक बार फिर ममता और विजय एक साथ रहने को तैयार हो गए।
केस तीन
सदर बाजार थाना क्षेत्र के भगवंतपुरा निवासी कविता भी अपने पति से काफी परेशान थी। पति से पूरा सहयोग न मिलने से नाराज होकर उसने कानून का सहारा लिया। कविता ने पुलिस के पास जाकर पति की ओर से की जा रही नाइंसाफी की शिकायत की। पुलिस ने उसके मामले को बेहद गंभीरता से लिया। पुलिस ने इस मामले को परिवार परामर्श केंद्र के जरिए सुलझाने की कोशिशें शुरू कीं। इसके बाद कविता के अलावा उसके पति को भी बुलाया गया। दोनों के बीच वार्ता कराई गई। दोनों ने अपने गिले शिकवे दूर किए और फिर से पति-पत्नी के रुप में रहने को तैयार हो गए।
नई जिंदगी जीने की राह दिखाई जाती है
ये चार उदाहरण तो सिर्फ बानगी हैं। पुलिस के परामर्श केंद्र में हर सप्ताह- हर माह और हर साल दर्जनों सुहागिने अभागन बनने से बचाई जा रही हैं। उन विवाहिताओं को फिर से एक नई जिंदगी जीने की राह दिखाई जाती हैं, जिनके घर टूटने की कगार पर होते हैं। अक्सर पुलिस के पास ऐसे मामले आते हैं। जिनमें महिलाओं को न हक मिलता है और न ही सम्मान? उन्हें तरह तरह से प्रताड़ित किया जाता है। कहीं उन्हीं पति से प्रताड़ना मिलती है तो कहीं उनकी ससुराल के अन्य सदस्य उनके दाम्पत्य जीवन में कलह पैदा कर देते हैं।
सात में चार का हुआ निस्तारण
ऐसे मामलों पर पुलिस परामर्श केंद्र (police paramarsh kendra) में काउंसलरों द्वारा काम किया जाता है। एसएसपी शिवहरी मीना के पर्येवक्षण में चलने वाले इस केंद्र से शनिवार को ही चार ऐसी महिलाओं को इंसाफ मिला, जिनकी जिंदगी में अंधेरा छा चुका था। उनका वैवाहिक जीवन नारकीय सा हो गया था। पतियों ने साथ छोड़ दिया था। वह सुहागन से अभागन बनने वाली थीं, लेकिन पुलिस परामर्श केंद्र उनकी जिंदगी में नई रोशनी पैदा की और महिलाओं व उसके पतियों के बीच वार्ता करा कर फिर से एक साथ रहने पर राजी किया और विवाहिताओं को उनके पतियों के साथ विदा करा दिया।
ऐसे भी आए मामले
पति की शराब पीने की आदत से परेशान
घर में देर से आने से परेशान
पति के विवाहेत्तर संबंध
फोन पर बात करने और न करने की शिकायतें
पति का एटीएम कार्ड नंबर न पता होने
बहू को सब्जी हमारे हिसाब से बनानी नहीं आती।
इनका कहना है
परिवार परामर्श केंद्र (parivar paramarsh kendra) में सात मामले आए थे। इनमें चार का निस्तारण किया गया। तीन मामलों मे अगली तारीख तय की गई है। उनका कहना है कि काउंसिलिंग के माध्यम से हर पीड़िता को न्याय मिल रहा है। सख्ती के साथ एफआईआर (FIR) भी हो रही है।इसके साथ ही समझौता भी कराए जा रहे हैं। शनिवार को परामर्श केंद्र में नीति शास्त्री, डॉ. निरुपमा मोहन, डॉ अलया एजाज उपस्थित रहे।
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