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Jhansi News: दो महीने के बच्चे के पेट से निकला डेढ़ किलो का ट्यूमर, डाॅक्टर भी देख कर रह गए दंग
उम्र महज दो महीने वजन सात किलो। बच्चा के पेट के अंदर ट्यूमर का वजन डेढ़ किलोग्राम था यह देखकर डॉक्टर भी अचरज में पड़ गए।
Jhansi News: उम्र महज दो महीने वजन सात किलो पेट के अंदर बच्चा का ट्यूमर का वजन डेढ़ किलोग्राम था यह देखकर डॉक्टर भी अचरज में पड़ गए। अपने पहले बच्चे की हालत देखकर गोविन्द चौराहा निवासी दंपत्ति सोच-विचार कर दिन बिता रहा था। बच्चे का पेट भी धीरे-धीरे फुल रहा था। वह जब भी कुछ खाता उसे उल्टी हो जाती थी। पीजीआई, जिला अस्पताल का दौरा करने के बाद, भगवती अपने पति व दो माह की बेटी के साथ घर चले गए थे।
10 अगस्त को भगवती अपनी दो माह की बेटी को लेकर महारानी लक्ष्मीबाई के मेडिकल कालेज आई थी। बेटी की हालात को देखते हुए डॉक्टरों ने वार्ड नंबर 2 में भर्ती कर लिया था। भगवती की बेटी को जन्म से ट्यूमर था जिसका वजन डेढ़ किलो था। ट्यूमर को मैकरोकोकसिजियल टिरेटोना कहते हैं। भगवती का कहना है कि वह कई दिनों तक भटकती रही। कई अस्पताल के चक्कर काटती रही। यहां तक उसे पीजीआई लखनऊ रेफर भी कर दिया गया था। शुक्रवार को मेडिकल कालेज सर्जरी विभाग के सहायक आचार्य डॉ पंकज सोनाकिया ने भगवती की दो माह के बेटी का ऑपरेशन किया गया।
अब तक का दुर्लभ ऑपरेशन: डॉ सोनाकिया
ऑपरेशन के दौरान ट्यूमर को काट कर निकाला गया। टीम में डॉ प्रदीप कुमार, डॉ गोतमन, डॉ शिबिल, डॉ मधूर, डॉ. राहुल. डॉ श्वेता, डॉ पूजा शामिल रही है। आपरेशन के बाद बच्ची स्वस्थ है। डॉ सोनाकिया का कहना है कि अपने करियर में कई सर्जरी की है। लेकिन यह सर्जरी अब तक की सबसे कठिन और दुर्लभ सर्जरी में से एक थी। बच्चे का कुल वजन सात किला था। ऊपर से बच्ची की उम्र भी दो माह की थी। कहा कि ट्यूमर के अंदर भ्रूण का पलना पहले भी कई बार हो चुका है। लेकिन एक पुरुष बच्चे में वह छह माह का ऐसा केस उनके पास पहली बार आया है। कहा कि मेडिकल साइंस में इसे मैकरोकोक सिजियल टिरेटोमा कहा जाता है। कहा कि ट्यूमर एक मांस का लोथड़ा है जिसमें सिर, धड़, हाथ-पैर विकसित हो चुका था।