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Mahoba News: वायरल बुखार का कहर, बच्चों को नहीं मिल रहा बेड, एक बेड पर दो मरीजों का हो रहा इलाज

महोबा में वायरल बुखार का कहर बढ़ता जा रहा है, आलम ये है कि अब अस्पतालों में बेड कम पड़ रहे हैं.

Imran Khan
Published on: 17 Sep 2021 11:17 AM GMT
viral fever
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मरीजों को दिखाने के लिए खड़े लोग (फोटो-न्यूजट्रैक)

Mahoba News: बुंदेलखंड के महोबा में वायरल बुखार के मरीजों में सबसे अधिक बच्चों की संख्या है, लेकिन जिला अस्पताल में अव्यवस्थाओं का बोलबाला है। अस्पताल में मरीजों के सापेक्ष बेड की कमी होने के चलते एक बेड पर दो-दो बच्चों को भर्ती करना पड़ रहा है। जिला अस्पताल के जिम्मेदार बेहतर व्यवस्थाओं की बात कर रहे हैं, मगर अस्पताल की तस्वीरें कुछ और ही बयां कर रही हैं। वायरल बुखार से अब तक 4 लोगों की मौत होने की बात भी समाने आ रही है।

मौसम के बदलते मिजाज के साथ वायरल बुखार के मरीजों की संख्या में इजाफा देखने को मिल रहा है। जिला अस्पताल की बात करें तो रोजाना बड़ी संख्या में मरीज आ रहे हैं, मगर यहाँ इलाज पर अव्यवस्थाएं हावी है। जिले में डेंगू के मरीजों की संख्या बढ़ रही तो साथ ही वायरल फीवर, जुकाम, बुखार के मरीज रोजाना पहुंच रहे हैं। जिला अस्पताल में रोजाना बुखार के 25 बच्चों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा है।


100 बेड के जिला अस्पताल में तक़रीबन 55 बच्चें निमोनिया और वायरल बुखार से पीड़ित हैं, जिन्हें अस्पताल के बच्चा वार्ड में भर्ती किया गया है। वहीं अन्य 73 मरीज भी अस्पताल में भर्ती होकर अपना इलाज करा रहे हैं। अब 100 बेड के इस अस्पताल में भर्ती मरीजों और उनके तीमारदारों के सामने कैसी दिक्कतें आ रही होगी, इसका खुद ही अंदाजा लगाया जा सकता है। मगर जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. आरपी मिश्रा का कहना है कि अस्पताल में सिर्फ 30-35 बच्चे ही भर्ती हैं और बेड की कोई कमी नहीं है।


जबकि सीएमएस के बयान के विपरीत अस्पताल में तैनात बाल रोग विशेषज्ञ और स्टाफ नर्स का कुछ और ही कहना है। इनकी मानें तो अस्पताल में अन्य मरीजों के साथ साथ बच्चों की संख्या अधिक आ रही है। इससे बेड की कमी हो रही है और एक बेड में दो-दो बच्चों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा है। खांसी, जुखाम, निमोनिया और वायरल बुखार से पीड़ित बच्चे ज्यादा आ रहे हैं, बच्चा वार्ड में स्टाफ की कमी है, डॉक्टर की भी कमी है। बच्चा वार्ड में सिर्फ 40 बेड है जो न केवल फुल है, बल्कि एक बेड पर दो बच्चों को भर्ती किया गया है, तो कई बच्चों को बेड ही नहीं मिल पा रहे हैं। रोजाना 25 बच्चे वार्ड में भर्ती कराये जा रहे है।

Raghvendra Prasad Mishra

Raghvendra Prasad Mishra

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