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क्यों पोस्टर न हटाने पर अड़ी योगी सरकार, आज हाईकोर्ट को देगी जवाब

लखनऊ में CAA के खिलाफ 19 दिसंबर को हुए विरोध प्रदर्शन में हिंसा करने वाले 57 आरोपियों की तस्वीरों का पोस्टर लगाने के मामले में आज यूपी की योगी सरकार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में रिपोर्ट सौंपनी है।

Shreya
Published on: 16 March 2020 9:55 AM IST
क्यों पोस्टर न हटाने पर अड़ी योगी सरकार, आज हाईकोर्ट को देगी जवाब
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क्यों पोस्टर न हटाने पर अड़ी योगी सरकार, आज हाईकोर्ट को देगी जवाब

प्रयागराज: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ 19 दिसंबर को हुए विरोध प्रदर्शन में हिंसा करने वाले 57 आरोपियों की तस्वीरों का पोस्टर लगाने के मामले में आज यूपी की योगी सरकार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में रिपोर्ट सौंपनी है। बता दें कि हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को 16 मार्च तक सभी आरोपियों के पोस्टर हटाने के लिए निर्देश जारी किया था। हालांकि अभी तक पोस्टर को नहीं हटाया गया है।

समय की मांग करेगी योगी सरकार

मिली जानकारी के मुताबिक, राज्य सरकार की तरफ से पोस्टर हटाने के लिए और समय की मांग की जाएगी। लखनऊ के डीएम हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार के सामने रिपोर्ट दाखिल करेंगे।

हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में दी थी चुनौती

आपको बता दें कि मामले में इलाहबाद हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए पोस्टर को हटाने के निर्देश दिए लेकिन सरकार हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गयी। योगी सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल कर दी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक नहीं लगाया लेकिन ये मामला बड़ी बेंच को रेफर कर दिया गया था। सूत्रों के मुताबिक सरकार पोस्टर हटाने के पक्ष में नहीं है।

सरकार ने तैयार किया सख्त अध्यादेश

इस बीच योगी सरकार की तरफ से विरोध प्रदर्शन के दौरान सार्वजानिक और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई और उनसे नुकसान की भरपाई के लिए सख्त अध्यादेश तैयार किया गया है। वहीं यूपी सरकार के उत्तर प्रदेश रिकवरी ऑफ डैमेजेज टू पब्लिक ऐंड प्राइवेट प्रॉपर्टी अध्यादेश-2020 को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने मंजूरी दे दी है। इसके तहत नुकसान की भरपाई से जुड़ी सुनवाई और कार्रवाई के लिए सरकार रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में क्लेम ट्रिब्यूनल बनाएगी। बता दें कि इस फैसले को किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकेगी।

क्या है मामला

दरअसल 19 दिसंबर को अचानक लखनऊ की सड़कों पर सीएए विरोध के दौरान हिंसा भड़क उठी थी। पुराने लखनऊ से लेकर हजरतगंज तक हिंसक भीड़ ने इस दौरान जमकर उत्पात मचाया. पुलिस से लेकर मीडिया पर भी हमला हुआ। दर्जनों गाड़ियां फूंक दी गईं, पुलिस चैकी को भी आग के हवाले कर दिया गया।

मामले में सरकार की तरफ से आरोपियों को नोटिसें भेजी गईं। जिसके बाद 5 मार्च को लखनऊ जिला प्रशासन की तरफ से लखनऊ के हजरतगंज सहित प्रमुख इलाकों में चैराहों पर आरोपी 57 लोगों की तस्वीरों का पोस्टर लगाया दिया गया।

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