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चिकित्सालय प्रबंधन संबंधी नीतियों में कमियां- कैग
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक, कैगद्ध ने उत्तर प्रदेश में चिकित्सालय प्रबंधन की नीतियों के ढांचे में कमियां गिनायी हैं। कैग का 31 मार्च 2018 को समाप्त हुए वर्ष के लिए प्रतिवेदन मंगलवार को विधानसभा में पेश किया गया।
लखनऊ: भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक, कैगद्ध ने उत्तर प्रदेश में चिकित्सालय प्रबंधन की नीतियों के ढांचे में कमियां गिनायी हैं। कैग का 31 मार्च 2018 को समाप्त हुए वर्ष के लिए प्रतिवेदन मंगलवार को विधानसभा में पेश किया गया।
रिपोर्ट में सामने आया ये...
रिपोर्ट में कहा गया कि राज्य में चिकित्सालय प्रबंधन संबंधी नीतियों के ढांचे में कमियां थीं, जिन्हें दूर किये जाने की आवश्यकता है। कैग रिपोर्ट में कहा गया कि वाहय रोगी एवं अंतरू रोगी सेवाओं, पैथोलाजी, जांच एवं मानव संसाधन के संबंध में विभाग ने ना तो स्वयं के मानदंड तय किये और ना ही इस संबंध में भारत सरकार द्वारा निर्धारित मानदंडों एवं मानकों को अपनाया।
इसके साथ ही रिपोर्ट में कहा गया कि आधुनिक उपचार प्रक्रिया में डायग्नोस्टिक सेवाओं की अति महत्वपूर्ण भूमिका होती है लेकिन इसके बावजूद क्रियाशील उपकरणों, कन्ज्यूमेबिल्स तथा मानव संसाधन की अनुपलब्धता के कारण नमूना जांच के लिए चुने गये चिकित्सालयों और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में रेडियोलाजिकल एवं पैथोलाजिकल दोनों ही डायग्नोस्टिक सेवाओं में कमियां पायी गयीं।
कैग ने कहा...
कैग ने कहा कि अधिकांश जिला महिला चिकित्सालयों और बडी संख्या में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में आधारभूत एक्सरे सुविधा नहीं थी।
रिपोर्ट में कैग ने कहा कि चिकित्सालय स्तर पर मातृत्व सेवाओं के सभी तीन प्रमुख घटकों यानी प्रसवपूर्वए प्रसवकाल और प्रसव बाद की देखभाल में भी कमियां पायी गयी हैं।
रिपोर्ट के निष्कर्ष कहा गया ये...
रिपोर्ट के निष्कर्ष में कहा गया है कि वर्ष 2013 से लेकर 2018 की अवधि में उप्र में जन स्वास्थ्य पर व्यय में पर्याप्त वृद्धि के बाद भी नमूना जांच हेतु चयनित प्राथमिक एवं द्वितीयक स्तर के चिकित्सालयों ने उत्पादकताए दक्षताए सेवा गुणवत्ता एवं चिकित्सकीय देखभाल क्षमता संबंधी प्रतिफल संकेतकों, जैसा कि लेखा परीक्षा द्वारा मूल्यांकित किया गयाए के सापेक्ष असंतोषजनक प्रदर्शन किया।