दुधवा बाघ अभयारण्य में घास चरने वाले जीवों की गणना शुरू

क्षेत्रीय निदेशक रमेश कुमार पांडे ने बताया कि पहले चरण की गणना गुरुवार को की गई जिसमें दुधवा वन अधिकारियों की मदद ली गई। इनमें से 47 दुधवा में, 46 बफर जोन में और 41 कतर्नियाघाट वन प्रभाग में तैनात किए गए, जिन्होंने जंगल के कोने कोने में जाकर जानवरों की गिनती की।

Roshni Khan
Published on: 10 May 2019 7:42 AM GMT
दुधवा बाघ अभयारण्य में घास चरने वाले जीवों की गणना शुरू
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लखीमपुर खीरी (उप्र): दुधवा बाघ अभयारण्य में घास चरने वाले जानवरों की त्रिवार्षिक गणना का काम गुरुवार को शुरू हो गया।

अभयारण्य के क्षेत्रीय निदेशक रमेश कुमार पांडे ने शुक्रवार को बताया कि वन्यजीवों की गणना का काम तीन चरणों में किया जाएगा।

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उन्होंने बताया कि पहले चरण की गणना गुरुवार को की गई जिसमें दुधवा वन अधिकारियों की मदद ली गई। इनमें से 47 दुधवा में, 46 बफर जोन में और 41 कतर्नियाघाट वन प्रभाग में तैनात किए गए, जिन्होंने जंगल के कोने कोने में जाकर जानवरों की गिनती की।

पांडे ने बताया कि जानवरों की गणना कार्य का दूसरा चरण 16 मई को और तीसरा चरण 23 मई को होगा। इससे अभयारण्य में वन्यजीवों की संख्या का पता लग सकेगा। जानवरों की इस त्रिवार्षिक गणना का मकसद घास चरने वाले जंगली जानवरों की संख्या का पता लगाना है।

यह जानवर बाघ अभयारण्य में मांसाहारी जानवरों के लिए शिकार का मूल आधार तैयार करते हैं। साथ ही पारिस्थितिकीय पिरामिड को व्यवस्थित रखते हैं जिसमें बाघ को शीर्ष स्थान दिया गया है।

इन जानवरों की संख्या जितनी ज्यादा होगी, अभयारण्य में बाघों के लिए उतनी ही ज्यादा खुराक मौजूद रहेगी। इसके अलावा जानवरों की गणना के इस कार्य से दुधवा बाघ अभयारण्य में ऐसे जानवरों के पर्यावास की स्थिति के बारे में भी अंदाजा लगाया जा सकेगा।

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अधिकारियों के मुताबिक इस साल किशनपुर, दुधवा और बफर जोन में बड़ी संख्या में घास चरने वाले जानवर पाए गए हैं। इससे अभयारण्य में पर्यावास के बेहतर प्रबंधन और समृद्ध पारिस्थितिकी का पता चलता है।

(भाषा)

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