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क्या टैक्स के रूप में वसूला जा रहा सेस, कोल्डड्रिंक पर 40% GST!
देश में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने की रात वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था 17 से अधिक टैक्स समेत 23 सेस समाप्त होंगे और उनकी जगह जीएसटी लेगा। मगर यह पूरी तरह सही नहीं है। तमाम उत्पादों पर टैक्स के रूप में सेस वसूला जा रहा है।
राजकुमार उपाध्याय
लखनऊ : देश में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने की रात वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था 17 से अधिक टैक्स समेत 23 सेस समाप्त होंगे और उनकी जगह जीएसटी लेगा। मगर यह पूरी तरह सही नहीं है। तमाम उत्पादों पर टैक्स के रूप में सेस वसूला जा रहा है।
नई कर व्यवस्था के बाद बाजार में क्या सस्ता हुआ और क्या महंगा, इसे लेकर उपभोक्ताओं के साथ व्यापारियों में भी कंफ्यूजन बरकरार है। सस्ते हुए उत्पादों को पुराने मूल्य और महंगे हुए उत्पादों को बढ़े हुए दामों पर बेचने की शिकायतें आम हैं। कोल्ड ड्रिंक पर 40 फीसदी जीएसटी वसूली जा रही है, जबकि जीएसटी के तहत अधिकतम 28 फीसदी तक ही टैक्स का प्रावधान है।
40 पर्सेंट वसूला टैक्स
30 जून की आधी रात को जीएसटी लागू तो हो गया मगर उत्पादों पर लगने वाले टैक्स को लेकर सिर्फ जनता में ही नहीं बल्कि दुकानदारों में भी दुविधा है। अपना भारत की पड़ताल में यह खुलासा हुआ। राजधानी के हजरतगंज स्थित एक बाजार में कोल्ड ड्रिंक पर 14 फीसदी राज्य वस्तु एवं सेवा कर (एसजीएसटी) और 26 फीसदी सीजीएसटी (केंद्र वस्तु एवं सेवा कर) यानी जीएसटी के रूप में कुल 40 फीसदी टैक्स वसूला गया।
वहीं कपूरथला में ये रहा दर:
दूसरी ओर कपूरथला स्थित एक रेस्टोरेंट ने कोल्ड ड्रिंक के भुगतान के एवज में 20 फीसदी एसजीएसटी और 20 फीसदी सीजीएसटी ली। व्यापार कर के अपर आयुक्त विवेक कुमार का कहना है कि कोल्ड ड्रिंक पर 14 फीसदी एसजीएसटी और 14 फीसदी सीजीएसटी लिया जा रहा है। इसके अतिरिक्त 12 फीसदी सेस (उपकर) लिए जाने का प्रावधान है। उनके मुताबिक जीएसटी को लेकर दुकानदारों की यह गलत व्याख्या है।
बोतलबंद शीतल पेय पर 12 फीसदी सेस :
बीते 18 मई को श्रीनगर (जम्मू और कश्मीर) में आयोजित जीएसटी काउंसिल की 14वीं बैठक में कुछ उत्पादों पर जीएसटी के साथ सेस यानी उपकर लगाने का निर्णय लिया गया। इसमें सोडा वाटर, नींबू पानी, फ्लेवर्ड या शुगर युक्त बोतल बंद पानी भी शामिल किए गए। तय हुआ कि एक जुलाई से इस पर जीएसटी के साथ 12 फीसदी उपकर भी लागू होगा। बता दें कि जीएसटी की गाइडलाइन के मुताबिक सोडा वाटर या अन्य उत्पादों पर 28 फीसदी जीएसटी का प्रावधान है।
आखिर क्यों आया सेस :
जीएसटी लागू करने को लेकर राज्यों की उन आशंका को भी दूर करने का प्रयास किया गया है। जिसमें राज्यों की आमदनी घटने की संभावना जताई जा रही थी। ऐसे में नुकसान की भरपाई के लिए सेवा एवं वस्तु कर के तहत कम्पेनसेशन एक्ट लाया गया और सेस लिए जाने का प्रावधान बना। विधेयक के मुताबिक इससे मिलने वाली धनराशि से राज्यों को पांच साल तक नुकसान की पूरी भरपाई की जाएगी। यह धनराशि मुआवजे के रूप में दी जाएगी। इसके लिए सन 2015-16 में हुई आय को आधार माना जाएगा।
गुटखा पर 204 प्रतिशत सेस :
पान मसाले पर 60 फीसदी सेस लगाया गया है। तंबाकू पर 290 प्रतिशत तक सेस लिया जा रहा है। सिगरेट पर 4,006 रुपये प्रति हजार, हुक्का पर 72 फीसदी, फिल्टर खैनी पर 160 फीसदी और गुटखा पर 204 फीसदी सेस लिया जा रहा है। कोयले पर 400 प्रतिशत और मोटर कार पर 15 प्रतिशत तक सेस वसूले जाने का प्रावधान है। एम्बुलेंस, बैट्री रिक्शा और तीन पहिया गाड़यो को सेस से बाहर रखा गया है।
शीतल पेय कंपनियां तलाश रहीं रास्ता :
नए टैक्स प्रावधानों ने देश की बहुचर्चित पेय कंपनियों को जड़ों से हिला दिया है। मजबूरन उन्हें अपने उत्पादों का मूल्य बढ़ाना पड़ा है। इसका सीधा असर उनके फायदे पर भी पड़ना तय है। पेय इंडस्ट्री इस भारी भरकम टैक्स से बचने के रास्ते तलाश रही है। जीएसटी के तहत बोतलबंद शीतल पेय पर 40 फीसदी टैक्स का प्रावधान है जबकि फलों के रस पर आधारित पेय पर 12 फीसदी तक टैक्स लिया जा रहा है। माना जा रहा है कि अब खुद को बचाने के लिए यह कंपनियां अपने उत्पादों में फलों के रस को भी शामिल कर सकती हैं ताकि टैक्स से उपजे संकट से निपटा जा सके।
त्रुटि रहित नहीं है जीएसटी :
केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) की अध्यक्ष वनाजा सरना का कहना है कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी)का क्रियान्वयन त्रुटि रहित नहीं है और इससे मनोरंजन कर, कपड़ा और एमएसएमई क्षेत्र सहित कई मोर्चो पर समस्याएं उभरी हैं। जो समस्याएं पैदा हुई हैं, उनसे समय के साथ निपटा जाएगा। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के जीएसटी पर दिल्ली में आयोजित एक चर्चा सत्र में उन्होंने कहा कि बीते 18 दिनों में जीएसटी से समस्याएं उभरी हैं। हमारे पास कपड़ा, मनोरंजन कर और सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) से समस्याएं आई हैं।
यह टैक्स कानून हुए खत्म :
राज्य में लगने वाले कई टैक्सों को जीएसटी में समायोजित किया गया है। इनमें उप्र मूल्य संवर्धित कर अधिनियम,2008, उप्र स्थानीय क्षेत्र में माल के प्रवेश पर कर अधिनियम 2007, उत्तर प्रदेश आमोद एवं पणकर अधिनियम 1979, उप्र विज्ञापन कर अधिनियम 1981, संयुक्त प्रांत मोटर स्पिरिट, डीजल तथा अल्कोहल कराधान अधिनियम 1939, उप्र गन्ना क्रयकर अधिनियम 1961 और सुख-साधन कर अधिनियम 1995 शामिल हैं।