×

फातिया का हलुआ खाने पर मां-बाप ने ठुकराया, कनाडाई दंपति ने अपनाया

Admin
Published on: 12 March 2016 12:15 PM GMT
फातिया का हलुआ खाने पर मां-बाप ने ठुकराया, कनाडाई दंपति ने अपनाया
X

बहराइच: तीन साल पहले मरजीना नाम की जिस लड़की को फातिया का हलुआ खाने की वजह से मां ने घर से भगा दिया था वह अब अपनी आगे की जिन्दगी कनाडा में गुजारेगी। दरअसल कनाडा के एक दंपति ने मरजीना को गोद लेने के लिए आवेदन किया है। मरजीना को अपने साथ ले जाने के लिए यह दंपति जल्द ही भारत आ रहा है।

कनाडा के नार्थ वेस्ट में रहते हैं चिकित्सक दंपति

मरजीना को गोद लेने के लिए जिस कनाडा के दंपति ने पहल की है। वह कनाडा के नार्थ वेस्ट में एलब्रेटा एडमानटोन शहर में रहते हैं। मरजीना को जो पिता मिलेंगे, उनका नाम ओमार शरीफ रहमान है। आय दो लाख रुपये वार्षिक है, जबकि मां का नाम महुवा घोष है। पिता मूलरूप से कनाडा के हैं और मां बंगाली है। पिता की उम्र 41 और मां की उम्र 42 वर्ष है। दंपति एमडी मेडिसिन पीएचडी की योग्यता रखते हैं। इनकी तीन दिसंबर 2004 को शादी हुई थी। विदेश मंत्रालय को जो डाटा भेजा गया है, उसके तहत दंपति ने कनाडा की एडॉप्शन एल्ब्रेटा चिल्ड्रेन सर्विसेज के माध्यम से मरजीना को चयनित किया।

'जख्मी हालत में मिली थी लड़की’

बताया जा रहा है कि यह लड़की तीन साल पहले चाइल्ड लाइन को जख्मी हालत में जरवल रोड पर मिली थी। उसके शरीर पर चिमटे से दागने के निशान थे। सिर पर गहरे जख्म थे, जिनमें कीड़े पड़ गए थे। मासूम का कुसूर सिर्फ इतना था कि उसने घर में बने फातिहा का हलुआ बिना पूछे खा लिया था। इसी बात पर मां ने यातना देकर उसे घर से भगा दिया। चाइल्ड लाइन ने अपने संरक्षण में लेकर इलाज कराया। इस समय लड़की गोंडा के शिशु गृह में पल रही है।

चाइल्ड लाइन निदेशक डॉ.जीतेंद्र चतुर्वेदी ने बताया कि होश में आने पर मासूम तोतली बोली में सिर्फ इतना बता पा रही थी कि घर में फातिहा का हलुवा खाने पर मां ने चिमटे से दागा, मारा और घर से भगा दिया। उसने अपना नाम मरजीना बताया था। चाइल्ड लाइन की काफी कोशिश के बाद भी मां-बाप का पता नहीं चल सका तो चाइल्ड लाइन ने बाल न्यायालय के माध्यम से बालिका को गोंडा के शिशु गृह के सुपुर्द कर दिया।

girl तीन साल जख्मी हालत में मिली थी यह लड़की

क्या कहना है शिशु गृह के अधीक्षक का

शिशु गृह के अधीक्षक उपेंद्र कुमार ने बताया कि बालिका जब उनके संरक्षण में आई थी तो काफी बीमार थी। तीन माह केजीएमयू और सिविल हॉस्पिटल, लखनऊ में इलाज चला। स्वस्थ होने पर उसके परिवार की खोज के लिए दूरदर्शन रेडियो और न्यूज पेपरों के माध्यम से विज्ञापन दिये गये। लेकिन परिवार का पता नहीं लग सका। इस पर अन्य लावारिस बच्चों की तरह मरजीना का नाम भी केंद्र सरकार के निर्देशों के तहत दत्तक ग्रहण सूची में आनलाइन कर दिया गया।

girl 1 लड़की की देखभाल करती संस्थान की सदस्य

अधीक्षक उपेंद्र ने बताया कि बच्चे का नाम आनलाइन होने के 60 दिन के अंदर भारतीय दंपति द्वारा गोद लेने का इंतजार किया जाता है। इस अवधि में बाराबंकी, दिल्ली और राजस्थान से तीन दंपति सामने आए तो जरूर, लेकिन मरजीना के सिर में हुए जख्म के स्थान को देखकर उन्होंने पैर पीछे खींच लिया। 60 दिन पूरे होने के बाद प्रक्रिया के तहत मरजीना का नाम विदेशों में वेबसाइट पर आनलाइन किया गया। इस पर सप्ताह भर बाद ही कनाडा के चिकित्सक दंपति ने मरजीना को गोद लेने के लिए आवेदन किया।

महिला बाल विकास मंत्रालय भेजी गई लड़की की फाइल

मरजीना के दत्तक ग्रहण प्रक्रिया की फाइल विदेश मंत्रालय के माध्यम से महिला बाल विकास मंत्रालय को भेजी गई है। माह भर के अंदर कागजी कार्रवाई पूरी होगी। तब कनाडा के दंपति को गोंडा आकर मरजीना को लेना होगा।

गोंडा से ही बनेगा वीजा और पासपोर्ट

शिशु गृह के अधीक्षक उपेंद्र ने बताया कि महिला बाल विकास मंत्रालय का पत्र अभी नहीं मिला है, लेकिन पत्र मिलने के बाद मरजीना को गोद लेने के मामले में नगरपालिका गोंडा को अवगत कराया जाएगा। वहां से जन्मतिथि प्रमाण पत्र बनेगा। इसके बाद वीजा और पासपोर्ट बनवाकर उसे कनाडा भेजा जाएगा।

कक्षा दो में पढ़ रही है मरजीना’

इलाज के बाद स्वस्थ होने पर बाल शिशु गृह में ही मरजीना के पढ़ाई की व्यवस्था की गई। अधीक्षक उपेंद्र ने बताया कि वह इस समय कक्षा दो में पढ़ रही है। पढ़ने में मन तो लगाती ही है। सवाल-जवाब में भी काफी तेज है।

गोद लेने की प्रक्रिया में लगता है यह समय’

बाल शिशु गृह के अधीक्षक उपेंद्र ने बताया कि अगर भारतीय दंपति द्वारा गोद लेने की पहल की जाती है तो प्रक्रिया पूरे होने के लिए 15 दिन का समय निर्धारित है, जबकि विदेशी दंपति के आवेदन करने पर 90 दिन के अंदर प्रक्रिया पूरी की जाती है।

मरजीना को मिला नया नाम

शिशु गृह के अधीक्षक उपेंद्र ने बताया कि मरजीना जब आई थी तो स्वस्थ होने पर वह काफी चंचल हो गई। हर गतिविधि में सक्रिय रहती थी, जिसके चलते मरजीना के साथ ही उसका नाम खुशबू भी रख दिया गया। अभिलेखों में भी मरजीना के साथ उर्फ में खुशबू नाम दर्ज है।

Admin

Admin

Next Story