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'राम भरोसे' छात्रों का भविष्य: प्रवेश पत्र में हुई त्रुटि, विद्यालय निरीक्षक का बेतुका बयान

जिला विद्यालय निरीक्षक ने भी प्रधानाचार्य के सुर में सुर मिलाया है और कहा कि कला हो या विज्ञान विद्यार्थियों के रुचि पर निर्भर है कि वह साहित्यिक हिन्दी पढ़ना चाहता है या सामान्य हिन्दी।

SK Gautam
Published on: 14 Feb 2020 5:49 PM IST
राम भरोसे छात्रों का भविष्य: प्रवेश पत्र में हुई त्रुटि, विद्यालय निरीक्षक का बेतुका बयान
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अम्बेडकरनगर: अंधेर नगरी चौपट राजा वाली कहावत जय राम वर्मा बापू स्मारक इण्टर कॉलेज नाऊसाण्डा प्रशासन और जिला विद्यालय निरीक्षक पर सटीक बैठ रही है। इस विद्यालय में इंटरमीडिएट के कला वर्ग के परिक्षार्थियों के प्रवेश पत्र पर साहित्यिक हिन्दी ( हिन्दी ) के स्थान पर सामान्य हिन्दी प्रिंट हो गया था जिस पर प्रमुखता से खबर प्रकाशित की गयी थी जिसके बाद माध्यमिक शिक्षा परिषद प्रयागराज की सचिव नीना श्रीवास्तव ने संज्ञान लेते हुए त्रुटियों में सुधार के लिए तिथि बढ़ाई थी।

हिन्दी पर बवाल

जिला विद्यालय निरीक्षक ने भी प्रधानाचार्य के सुर में सुर मिलाया है और कहा कि कला हो या विज्ञान विद्यार्थियों के रुचि पर निर्भर है कि वह साहित्यिक हिन्दी पढ़ना चाहता है या सामान्य हिन्दी। इनके इस जवाब से यह तो साबित हो ही गया है कि जय राम वर्मा बापू स्मारक इण्टर कॉलेज नाऊसाण्डा के इन बच्चों का भविष्य भगवान भरोसे ही है। प्रधानाचार्य सलिक राम वर्मा ने पूर्व में ही कहा था कि सामान्य हिंदी ही पढ़ाई जाती है प्रधानाचार्य के इस जवाब से एक बात तो साफ ही हो गई थी कि प्रवेश पत्र में त्रुटि नही बल्कि जानबूझकर बच्चों के भविष्य को अंधेरे में धकेले जाने का सफल प्रयास किया गया है।

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इस कृत्य पर अंधेर नगरी चौपट राजा वाली कहावत सटीक बैठ रही है। वही अन्य विद्यालयों के प्रधानाचार्यों और अभिभावक बढ़ी संशोधन तिथि का लाभ उठाते हुए प्रवेश पत्र में हुई त्रुटियों को सुधार करवाने में जुटे हुए है लेकिन जय राम वर्मा बापू स्मारक इण्टर कॉलेज नाऊसाण्डा के प्रधानाचार्य बच्चों के भविष्य पर कुंडली मारकर बैठे है क्योंकि यह सुधार प्रधानाचार्य के लॉगिन आईडी पासवर्ड से होनी है और जब तक प्रधानाचार्य नही चाहेगा तब तक त्रुटियों में सुधार नही हो सकता है।

कहीं ऐसा तो नही की बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने में पड़ोसी इण्टर कालेजों का हाथ है जिसके कारण यहाँ का प्रधानाचार्य विद्यालय के बच्चों के भविष्य को खत्म करने को आमादा हो गया है। खैर यह कुछ अभिभावकों और सम्मानित लोगों का मजह आरोप है। वही अन्य विद्यालयों में इंटरमीडिएट के कला वर्ग के विद्यार्थियों के प्रवेश पत्र पर हिन्दी और विज्ञान वर्ग के विद्यार्थियों के प्रवेश पत्र पर सामान्य हिंदी लिखा हुआ है।

क्या है साहित्यिक और सामान्य हिन्दी का फण्डा

हाईस्कूल में विज्ञान और कला वर्ग के विद्यार्थियों को सामान्य हिन्दी पढ़ाई जाती है लेकिन इंटरमीडियट में विज्ञान वर्ग को सामान्य हिन्दी और कला वर्ग के विद्यार्थियों को साहित्यिक हिन्दी पढ़ाई जाती। दोनो वर्गों की कक्षा भी अलग अलग लिया जाता है क्योकि साहित्यिक हिन्दी का पाठ्यक्रम अधिक होता है और सामान्य हिन्दी का कम होता है । परीक्षा प्रश्न पत्र भी दोनों वर्गों का अलग - अलग होता है और विषय कोड भी अलग अलग होता है।

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विज्ञान वर्ग से पढ़ा हुआ विद्यार्थी हिन्दी का अध्यापक या प्रवक्ता नही बन सकता है लेकिन कला वर्ग में साहित्यिक हिन्दी पढ़ा हुआ विद्यार्थी हिन्दी का अध्यापक और हिन्दी का प्रवक्ता बन सकता है। साहित्यिक हिन्दी से पढ़े विद्यार्थियों का भविष्य इंटरमीडिएट से ही तय हो जाता है। खैर प्रधानाचार्य अपनी मनमानी पर अड़े हुए है और इंटरमीडिएट के परिक्षार्थियों के प्रवेश पत्र में हुई त्रुटि का सुधार कार्य अभी तक शुरू नही हो सका है।



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