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UPPSC की भर्तियों की CBI जांच के खिलाफ याचिका पर फैसला सुरक्षित
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उ.प्र. लोक सेवा आयोग इलाहाबाद की पांच वर्षों की परीक्षाओं की जांच सीबीआई को सौंपने की वैधता चुनौती पर याचिका पर फैसला सुरक्षित कर लिया है।कोर्ट ने आयोग के अध्यक्ष, सदस्यों को बुलाकर पूंछतांछ करने पर लगी रोक बरकरार रखी है
इलाहाबाद:इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उ.प्र. लोक सेवा आयोग इलाहाबाद की पांच वर्षों की परीक्षाओं की जांच सीबीआई को सौंपने की वैधता चुनौती पर याचिका पर फैसला सुरक्षित कर लिया है।कोर्ट ने आयोग के अध्यक्ष, सदस्यों को बुलाकर पूंछतांछ करने पर लगी रोक बरकरार रखी है।फिलहाल सीबीआई जांच जारी है।
लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष, सदस्यों की तरफ से दाखिल याचिका पर मुख्य जस्टिस डी.बी.भोंसले तथा जस्टिस सुनीत कुमार की खण्डपीठ में पिछले तीन दिन से बहस चल रही थी। राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल, भारत सरकार के सहायक सालीसिटर जनरल ज्ञान प्रकाश, भारत सरकार के अधिवक्ता विनय कुमार सिंह व जे.एफ रिबेलो सहित कई पूर्व आईएएस, आईपीएस अधिकारियों के अधिवक्ता आलोक मिश्र व याची के वरिष्ठ अधिवक्ता शशि नन्दन ने बहस की। राज्य सरकार का कहना है कि पंजाब हरियाणा आयोग केस में विजिलेंस जांच को सुप्रीम कोर्ट ने सही माना है।
आयोग ने विजिलेंस को दस्तावेज देने से इंकार कर दिया था। हाईकोर्ट ने आयोग को सहयोग देने का निर्देश दिया था। अनुच्छेद 317 के तहत अध्यक्ष सदस्यों को हटाने के मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट करेगी। आपराधिक आरोपों की जांच सरकार करा सकती है। सदस्यों को कोई विशेष अधिकार नहीं है।आयोग पर कापी बदलने, जाति विशेष को अधिक अंक देने, अनुच्छेद 317 आपराधिक कार्यवाही है। ये बाधक नहीं है। 58 शिकायतें सरकार बदलने से नहीं वरन् 2012 से अब तक की गयी है, जिन पर गंभीर आरोपों के बावजूद आयोग ने कोई कार्यवाही नहीं की। पेपर लीक मामले में गिरफ्तारी भी हुई।
कापी बदलने की गलती आयोग ने मानी भी किन्तु दोषियों पर कार्यवाही नहीं की। इस पर सीबीआई जांच का आदेश दिया गया है।आलोक मिश्र का कहना था कि जांच से आयोग के प्रति विश्वास की बहाली होगी। परीक्षा दिये बगैर चयनित किया गया, कापी बदली गयी। ऐसे में जांच विश्वास बहाली का प्रयास है। ज्ञान प्रकाश का कहना था कि कई राज्य के लोगों के घपले में शामिल होने की शिकायत की सीबीआई जांच कर रही है।साक्ष्य मिलने पर प्राथमिकी दर्ज कर विवेचना की जायेगी। यदि अपराध हुआ है तो जवाबदेही तय होनी चाहिए। कोई भी संस्था जवाबदेही ने नहीं बच सकती।शशि नन्दन का कहना था कि सरकार को जांच कराने का अधिकार नहीं है।व्यक्तिगत शिकायत की जांच की जा सकती है।