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भ्रष्टाचार के आरोपी को CCSU विवि का फिर कुलपति बनाने की तैयारी
लखनऊ: चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय (सीसीएसयू) के कुलपति नरेन्द्र कुमार तनेजा अपने काले कारनामों को लेकर चर्चा मे रहे हैं। वह जोड़ तोड़ कर अगस्त 2015 में विवि के कुलपति बने। इस दरम्यान तनेजा पर यूजीसी के नियमों को ताक पर रखकर 40 से अधिक अयोग्य असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति और एमबीबीएस के पेपर लीक और कॉपियां बदलवाने का आरोप लगा। विजिलेंस भी इनको भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी मामले में दोषी करार चुकी है। पर इसका जिम्मेदारों के कानों पर कोई असर नहीं पड़ा। उनका कार्यकाल तीन नवम्बर को पूरा हो रहा है। इसके बाद एक बार फिर तनेजा को विवि का कुलपति बनाने की तैयारी है।
बता दें कि नरेन्द्र कुमार तनेजा अगस्त 2015 में सीसीएसयू के कुलपति बने थे। उनका कार्यकाल तीन अगस्त 2018 को समाप्त हुआ था। पर उसके पहले गवर्नर रामनाईक की तरफ से जारी आदेश में उनका कार्यकाल तीन माह के लिए और बढा दिया गया। अब बतौर कुलपति उनका कार्यकाल नवम्बर 2018 को समाप्त हो रहा है। उनका यह कार्यकाल तीन माह या नियमित कुलपति की नियुक्ति होने तक बढाया गया था। पर अब तक विवि में नियमित कुलपति की नियुक्ति नहीं हो सकी है और तनेजा के कार्यकाल विस्तार का समय भी समाप्त हो रहा है। जानकारों का कहना है कि तनेजा ऐसी स्थिति का फायदा उठाने में जुटे हैं। अपने सियासी आकाओं की परिक्रमा कर रहे हैं। ताकि वह कुलपति की कुर्सी पर कब्जा जमाए रख सकें।
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हालांकि उनके कार्यकाल में भ्रष्टाचार को लेकर विवि सुर्खियों में रहा है। एक प्रकरण में विजिलेंस ने अपनी जांच में भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के मामले में पूर्व कुलपति प्रो एस के काक और तनेजा समेत 13 कर्मियों को दोषी पाया था। पर यह मामला भी तनेजा के रसूख का बोझ ज्यादा समय तक झेल नहीं सका। विजिलेंस ने कालेजों के संबद्धता के प्रकरण की जांच की थी। उसमें कर्मचारियों की नियुक्ति में हेरा फेरी सामने आई। कालेजों के संबद्धता के मामलों को ताक पर रखने का प्रकरण उजागर हुआ था। जब इस पर बात करने के लिए सीसीएसयू के कुलपति नरेन्द्र कुमार तनेजा से सम्पर्क करने की कोशिश की गई तो उनसे बात नहीं हो पाई।
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