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'भव्य कुंभ-दिव्य कुंभ' बना श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र, एक क्लिक में पढ़ें यहां की टॉप खबरें
कुंभ मेला क्षेत्र में बने प्राचीन किए में पुरातन संस्कृति से जुड़ा अक्षयवट का वृक्ष व पातालपुरी का दार्शनिक स्थल है। जिसे पहली बार आम श्रद्धालुओं के लिए खोला गया है। जहां जाने के लिए श्रद्धालुओं को किले के समीप बनी भूल भुलैया जैसे बाड़े से होकर गुजरना पड़ता है।
आशीष पाण्डेय
कुंभ नगर: दिव्य कुंभ को लेकर प्रदेश सरकार और मेला प्रशासन द्वारा की गई तैयारियों में से एक ऐसी भी तैयारी रही जो अब तक के कुंभ और महाकुंभ में पहली बार देखने को मिली और लोगों के आस्था के इस महासंगम में आकर्षण का केंद्र बनी रही। कुंभ में संगम की ओर स्नान क्षेत्र में मकर संक्रान्ति पर हेलीकाप्टर से आकाश मार्ग द्वारा की गई पुष्प वर्षा से लोगों में अजब सा उत्साह दिखाई दिया तो वहीं कुंभ के इस भव्य दृश्य को देख श्रद्धालुओं ने जय गंगा मैया के साथ ही मोदी और योगी के भी लगाए नारे।
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शौचालय और पेयजल की हुई नि:शुल्क व्यवस्था
कुंभ में इस बार प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार की स्वच्छ भारत मिशन योजना को व्यापक रूप दिया है। जिसका मेले में श्रद्धालुओं को खूब फायदा मिल रहा है। मेले में लगभग एक लाख शौचालयों की व्यवस्था की गई है। जो श्रद्धालुओं के लिए पूरी तरह से नि:शुल्क रखी गई है तो वहीं मेले में जगह जगह आर.ओ. मशीनों को भी लगाया गया है जिससे श्रद्धालुओं को पेयजल की भी नि:शुल्क लाभ मिल सके और उन्हें पेयजल के लिए भटकना ना पड़े।
संतों व अखाड़ों ने बढ़ाई मेले की रौनक
कुंभ में 14 अखाड़ों को जगह दी गई है। जिसे तीन भागों में बांट दिया गया है। इन अखाड़ों को और वहां स्थापित धर्म ध्वजाओं को देख लोगों में आश्चर्य के साथ ही श्रद्धा का भी अनूठा उत्साह दिखाई देता है। बाहर से आने वाले स्नानार्थियों का अखाड़ों को देखने के लिए भी जमावड़ा लगा रहता है। तो वहीं भगवा वस्त्र धारण किए साधू संतों से मेला क्षेत्र में रौनक है तो वहीं अखाड़ों में डटे नागा साधुओं ने मेले के आकर्षण को चार चांद लगा दिया है।
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मेले में यात्रियों के लिए नि:शुल्क ई रिक्शा संचालन
कुंभ मेला क्षेत्र 12 किलोमीटर क्षेत्रफल में बसाया गया है। जिसको बीस सेक्टरों में बांटा गया है। मेला क्षेत्र में आने वाले श्रद्धालुओं को असुविधा न हो इसके लिए पहली बार शासन के निर्देश पर मेले में नि:शुल्क ई रिक्शे का संचालन किया जा रहा है। जिससे इन ई रिक्शों की सहायता से मुख्य स्नान पर्व को छोड़कर यात्री कभी भी मेले में घूम सकते हैं और संगम में स्नान कर पुण्य लाभ ले सकते हैं।
अक्षयवट व पातालपुरी का दर्शन करने पहुंच रहे श्रद्धालु
कुंभ मेला क्षेत्र में बने प्राचीन किए में पुरातन संस्कृति से जुड़ा अक्षयवट का वृक्ष व पातालपुरी का दार्शनिक स्थल है। जिसे पहली बार आम श्रद्धालुओं के लिए खोला गया है। जहां जाने के लिए श्रद्धालुओं को किले के समीप बनी भूल भुलैया जैसे बाड़े से होकर गुजरना पड़ता है।
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