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यूं ही नहीं बुंदेलखंड में पानी की किल्लत, केंद्र-राज्य दोनों जिम्मेदार

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Published on: 8 May 2016 11:30 AM GMT
यूं ही नहीं बुंदेलखंड में पानी की किल्लत, केंद्र-राज्य दोनों जिम्मेदार
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लखनऊ: बुंदेलखंड क्षेत्र में पानी की किल्लत यूं ही नहीं है। बल्कि केंद्र और राज्य की योजनाओं के समय से पूरा न होना भी इसकी वजह है। यूपी सरकार की तरफ से महोबा, हमीरपुर, ललितपुर, झांसी और चित्रकूट में चल रही कई पेयजल परियोजनाएं अभी तक सिर्फ इसलिए नहीं शुरू हो सकी हैं क्योंकि उसे राज्य के कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में गठित समिति ने इस पर अब तक मंजूरी नहीं दी है।

भीषण सूखे की मार झेल रहे इन जिलों में केंद्र से मिलने वाले 9 वाटर सप्लाई स्कीम भी सिर्फ फाइलों की ही शोभा बढ़ा रही हैं। इनके लिए अभी तक केंद्र ने पैसा रिलीज नहीं किया है।

समय से नहीं मिला पैसा वर्ना प्यास से न जाती जानें

बुंदेलखंड में वाटर सप्लाई स्कीम यदि समय से शुरू हो गई होती तो प्यास से गई कई जानें बचाई जा सकती थीं। पर लगभग दो साल बीतने के बाद भी इसके लिए पैसा रिलीज नहीं हुआ। जबकि केंद्र सरकार ने 24 सितंबर 2014 को

नीति आयोग में बुंदेलखंड पैकेज पर गठित स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में 9 वाटर सप्लाई परियोजनाओं पर सहमति दे दी थी। पर अब तक इन कामों के लिए केंद्र ने एक पैसा तक नहीं दिया।

केंद्रीय सहायता न मिलने के कारण शुरू नहीं हो सकी ये वाटर स्कीम-

परियोजना का नाम लागत

-बेरबई वाटर सप्लाई स्कीम 2.98 करोड़

-बोंडा वाटर सप्लाई स्कीम 4.51 करोड़

-वीरा वाटर सप्लाई स्कीम 4.31 करोड़

-डुगरिया वाटर सप्लाई स्कीम 1.91 करोड़

-नईकोरा वाटर सप्लाई स्कीम 1.75 करोड़

-सरकोरा वाटर सप्लाई स्कीम 1.59 करोड़

-कल्यानपुरा ग्रुप आफ विलेजेस 25.83 करोड़

वाटर सप्लाई स्कीम

-कंस्ट्रक्शन आफ बीयर ऐट बघेन रिवर 257.95 करोड़

इन बांदा फार प्रोवाइडिंग ड्रिंकिंग वाटर

-जैतपुर ग्रुप आफ विलेजेस वाटर सप्लाई 44.62 करोड़

रिआर्गनाइजेशन

इन कार्यक्रमों को यूपी सरकार से ही नहीं मिली मंजूरी

राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के तहत कई कार्यक्रमों को राज्य के कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में गठित राज्य स्तरीय स्थायी समिति (एसएलएससी) से ही अनुमोदन नहीं मिला। इस कारण पेयजल की कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं शुरू ही नहीं हो सकीं।

-महोबा के विकास खंड जैतपुर में 8 तालाब।

-हमीरपुर के विकास खंड सुमेरपुर में 11 तालाब।

-वर्षा ऋतु नजदीक फिर भी अधिकतर चेक डैमों के काम अधूरे।

-झांसी, ललितपुर, जालौन, हमीरपुर, बांदा, महोबा, चित्रकूट में बोरिंग के काम भी अधूरे।

ये योजनाएं की जा चुकी हैं ड्राप

बुंदेलखंड पैकेज के दूसरे चरण में स्वीकृत 48 योजनाओं में से पांच योजनाएं ड्राप की जा चुकी हैं। इनमें महोबा की इटौरा बुजुर्ग, रावतपुरा खुर्द और शाहपहाड़ी और हमीरपुर की कपसा तथा बक्छा पेयजल योजनाएं शामिल हैं।

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