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दिल्ली हिंसा के लिए केंद्र सरकार विशेष जिम्मेदार: मायावती

मायावती ने दिल्ली में हुए दंगो में जिन लोगों की जान माल का नुकसान हुआ है, उन्हें सहायता देने और केंद्र और दिल्ली सरकार को राष्ट्रपति द्वारा निर्देशित किए जाने की मांग की है, जिससे कि दंगा पीड़ितों को दर-दर भटकने की नौबत न आए।

SK Gautam
Published on: 28 Feb 2020 5:35 PM GMT
दिल्ली हिंसा के लिए केंद्र सरकार विशेष जिम्मेदार: मायावती
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लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने दिल्ली हिंसा ( को लेकर राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को पत्र लिख है। मायावती ने पत्र में भाजपा व उनकी केंद्र सरकार को हिंसा के लिए जिम्मेदार बताते हुए लिखा है कि दिल्ली हिंसा की दुनिया भर में निगेटिव चर्चा हो रही है। मायावती ने दिल्ली में हुए दंगो में जिन लोगों की जान माल का नुकसान हुआ है, उन्हें सहायता देने और केंद्र और दिल्ली सरकार को राष्ट्रपति द्वारा निर्देशित किए जाने की मांग की है, जिससे कि दंगा पीड़ितों को दर-दर भटकने की नौबत न आए।

दिल्ली का हादसा दुनिया भर में नेगेटिव चर्चा का विषय

बसपा सुप्रीमों ने शुक्रवार को राष्ट्रपति को लिखे पत्र में कहा है कि दिल्ली के दंगे 1984 में हुए सिख दंगों की तरह हैं। एक बार फिर घातक दंगों से दिल्ली दहल गई है। दिल्ली का हादसा दुनिया भर में नेगेटिव चर्चा का विषय बना हुआ है। भाजपा और केंद्र सरकार की इस मामले पर विशेष जिम्मेदारी बनती है। मायावती ने कहा है कि भाजपा न खुद ऐसा कोई काम करें और न ही पार्टी के लोग किसी तरह का उग्र बयान दें, जिससे देश में अराजकता का माहौल बने और अंतर्राष्ट्रीय हेडलाइन्स बनकर देश की बदनामी हों।

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बसपा सुप्रीमों ने पत्र में कहा कि भाजपा और इसकी सरकार अपने कानूनी संवैधानिक जिम्मेदारियों को निभाने में काफी हद तक विफल रही है। इसके चलते दिल्ली में अब तक तीन दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत हुईं और 200 लोग घायल हैं और इस जबर्दस्त महंगाई, गरीबी व बेरोजगारी के दौर में लाखों कारोबार ध्वस्त हो गए है, जिनमें ज्यादातर मेहनतकश निम्नवर्गीय लोग थे।

बसपा अध्यक्ष ने लिखा राष्ट्रपति को पत्र

मायावती ने पत्र में लिखा है कि दिल्ली के दंगों के पीछे पुलिस प्रशासन की भी कोताही जगजाहिर है लेकिन इंसाफ का तकाजा व सुशासन की मांग है कि दिल्ली की दामन पर सिख दंगों की तरह लगे बदनुमा धब्बे को थोड़ा धोने के लिए इन घटनाओं की उच्चस्तरीय जांच सुप्रीम कोर्ट के जज की निगरानी में होनी चाहिए। जिससे कि जांच के कुछ सहीं मायने निकल सके व लोगों को हमेशा की तरह यह केवल लीपापोती व खानापूर्ति मात्र नहीं लगे।

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