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अंतर्राष्ट्रीय फलक पर स्थापित होगा कपिलवस्तु, विकास को मिलेगा आयाम
कपिलवस्तु: अब वह दिन ज्यादा दूर बाजार नहीं आ रहे जब उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले में स्थित गौतम बुद्ध की जन्मस्थली कपिलवस्तु अंतर्राष्ट्रीय फलक पर एक लग मुकाम हासिल कर लेगा। यह उम्मीद यहां के लोगों में उस वक्त जगी जब केंद्रीय पर्यटन, संस्कृति और नागर विमानन राज्यमंत्री डॉ।महेश शर्मा ने कपिलवस्तु का दौरा किया।
डॉ.महेश शर्मा ने 400 करोड़ रुपए का विशेष पैकेज से कपिलवस्तु की कायाकल्प पलट देने की बात कही। यह वक्तव्य उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बौद्ध पर्यटन को लेकर विजन को स्पष्ट करते हुए दिया। उम्मीद जताई जा रही है कि इस पैकेज से कपिलवस्तु के विकास को नया आयाम मिलेगा।
‘भगवान बुद्ध का अस्थि कलश लाना सबसे ज्यादा आवश्यक’
-केंद्रीय मंत्री का मानना है कि कपिलवस्तु में भगवान बुद्ध का अस्थि कलश लाना सबसे ज्यादा आवश्यक है।
-उन्होंने वादा किया कि एक कलश जरूर यहां लाया जाएगा।
-अगर इसमें कामयाबी मिली तो दुनिया भर के बौद्ध पर्यटकों के लिए कपिलवस्तु स्वत: तीर्थस्थल बन जाएगा।
-इसके विकास के मार्ग भी खुल जाएंगे।
-दो बार की खुदाई में बरामद हुए अलग-अलग कलश फिलहाल कोलकाता और दिल्ली में रखे हुए हैं।
कैसे होगा कपिलवस्तु का विकास
-केंद्रीय मंत्री ने कपिलवस्तु के विकास को लेकर पूरी संजीदगी भी दिखाई।
-इस धनराशि से पर्यटक सुविधाओं के विकास के साथ-साथ आवागमन सुविधाएं भी बढे़ंगी।
-कपिलवस्तु लुंबिनी, बोधगया, सारनाथ और कुशीनगर से सीधे जुड़ेगा।
-यहां सड़क मार्ग के अलावा एयर टैक्सी को माध्यम बनाया जाएगा।
-400 करोड़ रुपये के विशेष पैकेज से इस क्षेत्र में होटल, रेस्टोरेंट, थीम पार्क सहित अन्य जरूरी संसाधन विकसित किए जाएंगे।
इतिहास में साबित हो चुकी है कपिलवस्तु की प्रमाणिकता
-वर्ष 1898 में हुए उत्खनन में मिले अवशेषों से ही कपिलवस्तु की प्रमाणिकता साबित हो चुकी थी।
-बाद में वर्ष 1971 से 74 तक चले उत्खनन में प्राप्त मुहर, मुद्राएं, अंजन शालाएं, औजार आदि इस प्रमाणिकता की पुष्टि की।
-अभी तक कपिलवस्तु अपनी वास्तविक पहचान पाने में असमर्थ रहा है।
पहले भी हो चुकी हैं कई घोषणाएं
-कपिलवस्तु के विकास के लिए कई बार योजनाएं बनी और कई बार घोषणाएं हुईं,
-लेकिन कोई भी घोषणा जमीनी हकीकत पर खरी नहीं उतर्र सकी।
-इसी वजह से कपिलवस्तु को लेकर नेपाल के दावे लगातार मजबूत होते गए।
-केन्द्रीय पर्यटन राज्य मंत्री ने खुद यहां आकर इसकी वास्तविकता स्वीकार की है।