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Sonbhadra: लोढ़ी टोल प्लाजा की वैधता को एनजीटी में चुनौती, शर्तों का उल्लंघन कर वन क्षेत्र में निर्माण का दावा
Sonbhadra News: लोढ़ी टोला प्लाजा और उससे सटे आवासों के निर्माण को एक बार फिर से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में चुनौती दी गई है।
Sonbhadra News: वाराणसी-शक्तिनगर मार्ग पर मारकुंडी घाटी से सटे तथा कैमूर वन्य जीव बिहार एरिया के नजदीक निर्मित लोढ़ी टोला प्लाजा और उससे सटे आवासों के निर्माण को एक बार फिर से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में चुनौती दी गई है। याचिका के जरिए एनजीटी की प्रधान पीठ के सामने रखी गई बातें और दी गई दलीलों के दृष्टिगत, एनजीटी की तरफ से दिए गए निर्देश के क्रम में, मामले की जांच और रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए जहां मुख्य सचिव वन की अगुवाई में एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित की गई है। वहीं राज्य प्रदूषण बोर्ड को समन्वय और अनुपालन के लिए नोडल एजेंसी का दायित्व दिया गया है। प्रकरण में अगली सुनवाई के लिए 19 दिसंबर की तिथि मुकर्रर की गई है।
दावाः शर्तों को दरकिनार कर वन भूमि पर खड़ी कर ली गई कालोनी
सोनभद्र निवासी एक अधिवक्ता की तरफ से एनजीटी में दाखिल याचिका में बताया गया है कि वाराणसी-शक्तिनगर राजमार्ग के निर्माण में सोनभद्र, ओबरा और रेणुकूट वन प्रभाग क्षेत्र की 129.251 हेक्टेयर वन भूमि का उपयोग और कैमूर वन्य जीव प्रभाग के 18632 पेड़ों की कटाई की गई है। इसको लेकर राज्य राजमार्ग प्राधिकरण के साथ हुए करार में इस बात का उल्लेख किया गया है कि वन भूमि पर कोई भी श्रमिक शिविर स्थापित नहीं किया जाएगा। बावजूद एसीपी टोल-वे प्राइवेट लिमिटेड ने लोढ़ी में वन भूमि पर आवासीय कॉलोनी और कार्यालयों का निर्माण कर लिया है। मामले की सुनवाई करते हुए एनजीटी की बेंच ने भी यह माना है कि आरक्षित वन की भूमि पर, पर्यावरण के प्रति संवेदनशील क्षेत्र में स्थायी प्रकृति के निर्माण प्रथमदृष्टया सवाल खड़े करते हैं। इसको लेकर पर्यावरण से संबंधित राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम 2010 की संबंधित अनुसूची का भी हवाला दिया गया है।
मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अरूण कुमार त्यागी और न्यायिक सदस्य डा. अफरोज अहमद ने माना है कि आवेदन में जो कथन किए गए हैं, उस पर तथ्यात्मक स्थिति के सत्यापन के लिए संयुक्त समिति का गठन जरूरी है। इसके क्रम में न्यायमूर्ति की तरफ से उच्चस्तरीय संयुक्त समिति गठित की गई है। इसमें मुख्य सचिव वन उत्तर प्रदेश, प्रधान मुख्य वन संरक्षक उत्तर प्रदेश, राज्य प्रदूषण निंयत्रण बोर्ड और जिला मजिस्ट्रेट को अपने प्रतिनिधियों के जरिए या फिर स्वयं संबंधित साइट का दौरा करना, आवेदक की शिकायतों की सच्चाई जांचने, तथ्यात्मक स्थिति को सत्यापित करते हुए अविलंब रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं। निर्देश में कहा गया है कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड समन्वय और अनुपालन के लिए नोडल एजेंसी होगा। यदि संयुक्त समिति, टोल प्लाजा के लिए दी गई सहमति के किसी भी शर्त-पर्यावरण मानदंड का उल्लंघन देखती है तो इसकी रिपोर्ट प्रेषित करेगी। संबंधित को नोटिस देकर और सुनकर उचित उपचारात्मक कार्रवाई के भी निर्देश दिए गए हैं। बताते चलें कि इससे पहले भी एक याचिका के जरिए कथित वन क्षेत्र में हुए टोला प्लाजा और आस-पास आवास निर्माण को चुनौती दी गई थी। प्रशासन की तरफ से निर्माण हटाने के लिए नोटिस भी जारी की गई थी। अब नई याचिका पर क्या स्थिति बनती है, इस पर लोगों की निगाहें टिकी हुई हैं। इस मामले में नोडल क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी टीएन सिंह से, टीम गठन से लेकर अब तक की प्रगति और जांच-पड़ताल की स्थिति के बारे में जानकारी के लिए, उनके सेलफोन पर काॅल की गई तो वह लगातार व्यस्त मिलते रहे।