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जगाई उम्मीदें: उत्तर प्रदेश के चंदौली में मोती की खेती का सफल प्रयोग

Rishi
Published on: 13 Sept 2017 7:42 PM IST
जगाई उम्मीदें: उत्तर प्रदेश के चंदौली में मोती की खेती का सफल प्रयोग
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चंदौली। स्वाति नक्षत्र में ओस की बूंद सीप पर पड़े, तो मोती बन जाती है। इस पुरानी कहावत से आशय यही है कि पूरी योजना और युक्ति के साथ कार्य किया जाए तो किस्मत चमक जाती है। उत्तर प्रदेश के चंदौली में मोती की खेती का सफल प्रयोग कर एक नवयुवक ने नई उम्मीदें जगा दी हैं। पारंपरिक कृषि के समानांतर यह नया प्रयोग इस पूरे क्षेत्र में विकास के नए आयाम गढ़ सकता है।

उन्हें पता चला कि भुवनेश्वर की एक संस्था सीफा (सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेश वाटर एक्वाकल्चर) मोती उत्पादन का प्रशिक्षण देती है। शिवम ने 2014 में यहां से प्रशिक्षण लेकर अपने गांव में मोती उत्पादन शुरू कर दिया है।

कैसे बनाते हैं मोती

शिवम ने 40 गुणे 35 मीटर का एक तालाब बनाया है। इसमें वे एक बार में दस हजार सीप डालते हैं। इन सीपों में 18 माह बाद सुंदर मोती बनकर तैयार हो जाते हैं। एक-एक सीप के खोल में चार से छह मिलीमीटर तक का सुराख किया जाता है। इस सुराख से सीप के अंदर नाभिकनुमा धातु कण (मैटल टिश्यु) स्थापित किया जाता है। इसे इयोसिन रसायन डालकर सीप के बीचोंबीच चिपका दिया जाता है। मोती का निर्माण तभी शुरू होता है, जब कोई बाह्य पदार्थ इसके अंदर प्रवेश कर जाए। सीप इसके प्रतिकार स्वरूप एक द्रव का स्राव करता है। अत: यह मोती का रूप ले लेता है।



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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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