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Chandauli News: 1942 में ही धानापुर हो गया था आजाद, जानिए कितनी बड़ी हुई कुर्बानी

Chandauli News: 16 अगस्त 1942 से लेकर 26 अगस्त तक झंडा फहराता रहा और महाइच क्षेत्र 10 दिनों के लिए अंग्रेजी हुकूमत में भी आजाद हो गया था।

Ashvini Mishra
Published on: 16 Aug 2024 11:25 AM IST
Dhanapur Independence in 1942
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 Dhanapur Independence in 1942   (photo: social media )

Chandauli News: चंदौली जनपद का धानापुर थाना महाइच क्षेत्र 16 अगस्त 1942 को रणबाकुरों ने अपना बलिदान देकर थाने पर तिरंगा फहराते हुए 10 दिन के लिए आजाद कर दिया था। जिसकी गूंज इंग्लैंड के संसद तक पहुंच गई थी।

आपको बता दें कि निवर्तमान समय में वाराणसी जिले का महाईच क्षेत्र के भारत मां के मतवालों ने गांधी जी द्वारा 9 अगस्त 1942 को करो या मरो के उद्घोषणा के बाद कामता प्रसाद विद्यार्थी के नेतृत्व में गांव-गांव टोलिया फिरंगियों को भगाने में जुट गई थी। 16 अगस्त 1942 को क्षेत्र के लगभग पांच हजार युवा कामता प्रसाद विद्यार्थी के नेतृत्व में धानापुरा थाने पर पहुंच गए और वहां के थाना अध्यक्ष अनवारुल हक से तिरंगा फहराने के लिए शांति प्रिय तरीके से अपील किया। अंग्रेजों के पिट्ठू के रूप में थाना अध्यक्ष गुरुर में फायरिंग कर दिया, उसके बाद आक्रोशित भारत माता के मतवालों ने थाने का गेट तोड़ते हुए अंदर घुस गए और थाना अध्यक्ष अनवर उल हक सहित दो पुलिस कर्मियों को मौत के घाट उतार दिया। इस गोलीबारी में कुल आठ लोग घायल हुए थे, जिसमें हीरा सिंह,रघुनाथ सिंह और महंगू सिंह तीन लोग शहीद भी हो गए। धानापुर थाने पर पुलिसकर्मियों की हत्या करने के बाद बाकी पुलिसकर्मी भाग गए और वहां तिरंगा फहरा दिया गया ।

10 दिनों के लिए अंग्रेजी हुकूमत से आजाद हुआ था महाइच क्षेत्र

यह तिरंगा 16 अगस्त 1942 से लेकर 26 अगस्त तक फहराता रहा और महाइच क्षेत्र 10 दिनों के लिए अंग्रेजी हुकूमत में भी आजाद हो गया था। धानापुरा कांड की गूंज इंग्लैंड के संसद तक पहुंच गई। 10 दिनों के बाद भारी दलबल के साथ अंग्रेज पुनः धानापुर थाने पर कब्जा करने के लिए आए और फिर अंग्रेजी हुकूमत कायम हो गई। लेकिन भारत मां की आजादी के लिए सर पर कफ़न बांधे हुए युवा भूमिगत होकर लगातार अंग्रेजों को निशाना बनाते रहे जिसका परिणाम रहा कि कई लोगों को जान भी गंवानी पड़ी। धनापुरा में थाना फूंक कर झंडा फहराने का कार्यक्रम 16 अगस्त को हुआ, वही 28 अगस्त को सैयदराजा में भी इसी तरह की घटना हुई। सकलडीहा रेलवे स्टेशन तथा धीना में रेलवे लाइन को उखाड़ने का कार्य भी वीर सपूतों द्वारा किया गया। ताकि रेलवे की आवा जाहि बैन हो सके।

आजादी के बाद प्रतिवर्ष धनापुर के शहीद स्मारक पर 16 अगस्त को वीर सपूतों को याद करने के लिए सभी पार्टियों के राजनेता जुट कर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं।



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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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