गांधी जी के घोषणा का कामता प्रसाद विद्यार्थी के ऊपर ऐसा हुआ असर की सर पर बांध लिए कफन

Chandauli News: 12 अगस्त से ही आंदोलन प्रारंभ हो गया। सरकारी इमारत पर अंग्रेजी हुकूमत के हुक्मरानों का पहरा हो गया

Ashvini Mishra
Published on: 13 Aug 2024 4:54 AM GMT (Updated on: 13 Aug 2024 6:52 AM GMT)
गांधी जी के घोषणा का कामता प्रसाद विद्यार्थी के ऊपर ऐसा हुआ असर की सर पर बांध लिए कफन
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Chandauli News: चंदौली जनपद का दानापुर कांड इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया, जिसके मुख्य नायक के रूप में सेनानी कामता प्रसाद विद्यार्थी का नाम लिया जाता है। जब 1942 में गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन की घोषणा की थी तो बनारस जिले के धनपुरा क्षेत्र के शहीद गांव के निवासी कामता प्रसाद विद्यार्थी उसे समय काशी हिंदू विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रहे थे। गांधी जी के करो और मारो के आंदोलन का इस कदर असर हुआ कि उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़कर अंग्रेजों को बहुत भगाने के लिए सफर कर पर कफन बांधकर निकल गए।

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के प्रपौत्र आशीष विद्यार्थी ने बताया कि उसे समय की स्थितियों को बयां करने में रूह कांप जाती है। दादाजी बताते थे कि जब गांधी जी का के आंदोलन की घोषणा हुई तो भू की पढ़ाई छोड़कर और अपने क्षेत्र के युवा बुजुर्ग पुरुष महिला सबको जागरूक करने के लिए गुपचुप तरीके से मैं वह निकल गए थे। जिसका परिणाम रहा कि 12 अगस्त से ही आंदोलन प्रारंभ हो गया। सरकारी इमारत पर अंग्रेजी हुकूमत के हुक्मरानों का पहरा हो गया और भारत मां को आजाद करवाने वाले मतवाले जगह-जगह अपनी आहुति देने के लिए तैयार हो गए। इसका परिणाम रहा कि 12 अगस्त से लेकर और 30 अगस्त तक 1942 में ही बनारस वर्तमान समय में बनारस जनपद का धानापुर सैड राजा दिन सकलडीहा का हिस्सा अंग्रेजों से कुछ दिनों के लिए आजाद होने लगा। उसके लिए कई लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी। कुछ लोगों का तो नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज हो पाया लेकिन कुछ ऐसे रहे जिनका नाम गुमनाम रहा और वह भारत मां को आजाद करने के लिए अपना बलिदान दे दिया।

उस समय स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ने वाले का सहयोग कादीराबाद के बाबू प्रसिद्ध नारायण सिंह के द्वारा किया जाता था। नवयुवकों का मार्गदर्शन कर उनको अपने आप को सुरक्षित रखकर लड़ाई लड़ने के लिए प्रेरित किया जा रहा था, जहां अंग्रेज जगह-जगह इस आंदोलन को दबाने के लिए क्रूरता पूर्वक व्यवहार कर रहे थे। वहीं, अंग्रेजों को सबक सिखाने उनको भागने के लिए कामता प्रसाद विद्यार्थी गांव-गांव घूम कर युवकों की एक बड़ी फौज बनाने में लगे थे। 16 अगस्त को धनपुरा थाने पर लोगों ने अपनी आहुति देकर तिरंगा फहराकर कुछ दिनों के लिए 1942 में ही उसे महान क्षेत्र को अंग्रेजों से आजाद कर दिया था। वहीं सकलडीहा रेलवे स्टेशन पर रेलवे ट्रैक उखाड़ने सैयद राजा में तिरंगा फहराने जैसी प्रमुख घटनाएं हुई।

Snigdha Singh

Snigdha Singh

Leader – Content Generation Team

Hi! I am Snigdha Singh from Kanpur. I Started career with Jagran Prakashan and then joined Hindustan and Rajasthan Patrika Group. During my career in journalism, worked in Kanpur, Lucknow, Noida and Delhi.

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