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Chandauli News: विधवा की 22 वर्ष बिताने के बाद भी अधिकारी नहीं पोछ पाए आंसू,एक दर्जन से अधिक DM बदल गए

Chandauli News: विधवा शांति का कहना है कि, हमारी जमीन पर कब्जा दिलाने का आदेश हाईकोर्ट ने भी दिया है, लेकिन प्रशासन ने अब तक कोई कदम नहीं उठाया। 22 साल से हम अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन कभी भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

Ashvini Mishra
Published on: 15 Dec 2024 11:32 AM IST
land lease and government schemes benefits not received in 22 years Tehsil Naugarh up ki khabar
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विधवा की 22 वर्ष बिताने के बाद भी अधिकारी नहीं पोछ पाए आंसू,एक दर्जन से अधिक DM बदल गए (newstrack)

Chandauli News: चंदौली जिले के तहसील नौगढ़ के तेंदुआ गांव में 22 साल पहले 27 अगस्त 2002 की रात बसपा के वरिष्ठ नेता और सामाजिक कार्यकर्ता बसंत लाल की नक्सलियों द्वारा बेरहमी से हत्या कर दी थी। इसके बाद जिला प्रशासन ने पीड़ित परिवार को जमीन का पट्टा और सरकारी योजनाओं में संतृप्त करने का भरोसा दिया। लेकिन दो दशकों बाद भी यह वादा अधूरा है। इस दौरान जिले के 15 जिलाधिकारी बदल गए, लेकिन बसंत लाल की विधवा 22 साल से अफसरों के पास चक्कर लगा रही है। लेकिन कोई उसके आसू नहीं पोंछ पाया,

शांति आज भी अपने परिवार के लिए संघर्ष कर रही है। विधवा शांति का कहना है कि, हमारी जमीन पर कब्जा दिलाने का आदेश हाईकोर्ट ने भी दिया है, लेकिन प्रशासन ने अब तक कोई कदम नहीं उठाया। 22 साल से हम अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन कभी भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। प्रशासन ने वादा किया था कि शांति के परिवार को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा, लेकिन अब तक ना तो उन्हें आवास मिला और नहीं अन्य सुविधाएं।

विधवा शांति लगातार संपूर्ण समाधान दिवस पर जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी के सामने अपनी पीड़ा व्यक्त करती है। उसका कहना है कि कि पट्टे की जमीन पर अब तक कब्जा नहीं मिला और परिवार बेघर है। 22 साल से केवल अधिकारी आश्वासन दे रहे हैं । सवाल यह उठता है कि आखिर क्यों प्रशासन ने इतने सालों में पीड़ित परिवार के अधिकार सुनिश्चित नहीं किए?

विधवा के मामले को देख कर लगता है की प्रशासन ने सिर्फ कागजी कार्रवाई की, लेकिन जमीन पर कब्जा दिलाने में असफल रहा। क्या नक्सली हिंसा का शिकार होने के बाद भी पीड़ित परिवार को प्राथमिकता नहीं दी जानी चाहिए थी? 22 वर्षों का समय क्या किसी प्रशासनिक कार्रवाई के लिए पर्याप्त नहीं था। यह मामला सिर्फ एक परिवार की पीड़ा नहीं, बल्कि प्रशासन किस संवेदनशीलता पर भी सवाल उठता है। क्या अधिकारियों की प्राथमिकता केवल कागजों तक ही सीमित है, या उन्हें वास्तविक समस्याओं का समाधान निकालने की जिम्मेदारी निभानी चाहिए? क्या यह मामला भी धूल चाटती फाइनल में गुम हो जाएगा, या प्रशासन अपने वादों को पूरा करेगा।

उपजिलाधिकारी कुंदन राज कपूर ने दो दिन में समाधान का आश्वासन दिया है, इस तरह के आश्वासन बसंत लाल की विधवा को 22 साल से मिल रहे हैं। नौगढ़ में ऐसे कई मामले हैं। प्रशासन केवल आश्वासन देकर पीछे हट जाता है। क्या यह आश्वासन भी केवल एक औपचारिकता है, या वाकई पीड़ित परिवार को न्याय मिलेगा?

Ragini Sinha

Ragini Sinha

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