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Chandauli: दो तिहाई पंचायतों में नहीं बन पाई पंचायत भवन, अधिकांश भवनों पर लटके तालें
Chandauli News: सुविधाओं की उपलब्धता के बावजूद सरकारी कर्मी गांवों की ओर रुख करना ही नहीं चाहते हैं। जहां पंचायत भवन बने हुए हैं वहां कब ताला खुलता है और कब बंद होता है, यह स्थानीय लोगों को पता भी नहीं है।
Chandauli News: सरकार ने गांवों की सेहत ठीक करने के लिए पंचायत सरकार की अवधारणा को जमीन पर उतारने के लिए पिछले कई वर्षों से कोशिश कर रही है, लेकिन जिले में जमीन पर आज भी पंचायत सरकार का सपना साकार होते नहीं दिख रहा है। वैसे जिले में दो तिहाई पंचायतों में पंचायत भवन भी नहीं है। लेकिन जहां पंचायत भवन उपलब्ध हो भी गया है, वहां भी उन्हें कायदे से संचालित करने की दिशा में कहीं से गंभीर प्रयास नहीं दिख रहे हैं। पिछले कई वर्षों से सरकार पंचायतों को मजबूत करने की बात करती रही है। लेकिन सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों की शहर से नहीं टसकने की सोच की वजह से पंचायतों की सरकार अब तक सही मायनों में सिर्फ कागजों तक सिमटी दिख रही हैं।
कब खुलता है पंचायच भवन ?
सुविधाओं की उपलब्धता के बावजूद सरकारी कर्मी गांवों की ओर रुख करना ही नहीं चाहते हैं। जहां पंचायत भवन बने हुए हैं वहां कब ताला खुलता है और कब बंद होता है, यह स्थानीय लोगों को पता भी नहीं है। ग्रामीणों ने बताया कि उनके ग्राम पंचायत में बना पंचायत भवन कब खुलता है और कब बंद होता है, यह स्थानीय लोगों को पता नहीं है। हालाकि पंचायत भवन में बोर्ड पर प्रधान, सचिव और पंचायत सहायक के कार्य दिवस का उल्लेख है। सरकार पंचायत भवनों में स्थानीय लोगों के लिए आरटीपीएस काउंटर की स्थापना की है। ताकि किसी प्रकार के प्रमाण पत्र या काम के लिए लोगों को ब्लाक या जिला मुख्यालय जाने की मजबूरी नहीं हो।
गौरतलब हो कि देश एवं प्रदेश की सरकार पंचायतों में पंचायत भवन बना कर मिनी सचिवालय चलाने की परिकल्पना की है। पंचायत भवन में जनप्रतिनिधियों एवं सरकारी कर्मियो के कार्यालय व बैठक हाल की व्यवस्था की गई है। जहा लोग बैठकर पंचायत के विकास कार्य के साथ साथ अन्य कार्यों का निपटारा कर सके। राजस्व कर्मी पंचायत सचिवालय में बैठकर किसानों की जमीन का रशीद काटेंगे। पंचायतों में पंचायत सहायक की नियुक्ति कर आरटीपीएस केंद्र भी संचालित किया गया है।
पंचायत के लोगों को जाति आय आवास आदि प्रमाण पत्र आसानी से बनाने की व्यवस्था की बात की गई थी,लेकिन आज अधिकांश पंचायतों में जनप्रतिनिधियों एवं कर्मचारियों को ही बैठने की जगह नहीं है तो फिर आम लोगों के कार्य कैसे होगा, यह समझ से परे है। इधर स्थानीय लोगों की माने तो अधिकांश पंचायत सचिवालयों में कर्मियो का कब आना जाना होता है। यह लोगों को पता नहीं चलता। कुल मिलाकर पंचायत सचिवालय का संचालन सिर्फ कागजों पर हो रहा है।
जिले के नौगढ़ ब्लाक के 43 ग्राम पंचायत में सिर्फ 13 पंचायतों को ही पंचायत भवन उपलब्ध हैं। अधिकारिक जानकारी के अनुसार नौगढ़ में 43 ग्राम पंचायतों में सिर्फ 13 पंचायतों में पंचायत भवन का निर्माण कराया गया है। जबकि गत वर्ष 11 पंचायत भवन के निर्माण के लिए स्वीकृति दी गई थी। जो निर्माणाधीन है। शेष ग्राम पंचायतों का सचिवालय गांव में बने अंबेडकर भवन या फिर सामुदायिक भवन में चल रहा हैं।
इस प्रकार जिले कुछ पंचायतों को छोड़ दे तो अधिकांश पंचायतों में अब तक पंचायत भवन नहीं बन पाया है। पंचायत भवन बनाने की प्रक्रिया में तेजी लाई गई है। अधूरे पड़े पंचायतों में पंचायत भवन जल्द पूरा करने के लिए संबंधित पंचायतों के प्रधानों को निर्देशित किया गया है। जिस पंचायत में जगह मिला है वहां लाखों रुपए की लागत से पंचायत भवन बन रहा है।