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100साल पुराना है लखनऊ का ये चर्च, बिना बिजली के भी होता है रौशन

suman
Published on: 16 Dec 2018 5:19 AM GMT
100साल पुराना है लखनऊ का ये चर्च, बिना बिजली के भी होता है रौशन
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लखनऊ: वैसे तो देश के हर कोने में ईसाई लोग व चर्च है। लेकिन इनमें लखनऊ के चर्च की बात ना करें तो गलत होगा यहां कई चर्च हैं और ख़ास बात ये है कि सभी चर्च पुराने हैं लेकिन लखनऊ का एक चर्च ऐसा भी है जो कि रेलवे कर्मचारियों के लिए बनवाया गया था। जब इस चर्च का निर्माण हुआ उस समय लखनऊ में ईसाई और एंग्लो इंडियन भी बड़ी संख्या में रहते थे। यह चर्च लखनऊ के चारबाग स्टेशन के एकदम करीब है वहीं पर इंजन की मरम्मत का कारखाना भी है। इस चर्च के पादरी ने बताया कि इसका निर्माण इलाहाबाद के बिशप जॉर्ज हरवर्ट ने करवाया था। इस चर्च का जो एंट्री दरवाज़ा है उसमें बिशप का नाम लिखा हुआ है जिन्होंने इसको तैयार करवाया था आज के समय वहां पर रविवार को शहर के सभी क्षेत्रों से लोग प्रार्थना करने आते हैं।

1915 में शुरू हुई प्रार्थना सेंट पीटर्स चर्च के पादरी ने बताया कि यह खूबसूरत चर्च एक साल में बना था इसका डिजाइन ब्रिटिश इंजिनियर लिशमैन ने तैयार किया था जो क्रॉस के आकार का है।8 अप्रैल 1915 में सेंट पीटर्स चर्च में परंपरा के अनुसार प्रार्थनाएं शुरू हो गयीं।

एक बात जो खास है कि इस चर्च में बड़े-बड़े झरोखे लगे हुए हैं जो कि हमेशा रौशनी देते रहते हैं सीधी धूप इन झरोखों से अन्दर आती है. वहां पर मौजूद पादरी ने बताया कि इस चर्च का नक्शा ब्रिटिश इंजीनियर ने तैयार किया था।जैसे मस्जिद में कुरआन शरीफ की आयते और मंदिरों में रामायण और गीता के श्लोक लिखे रहते हैं उसी तरह इस चर्च में भी दीवारों पर पत्थरों पर गुदा हुआ है जिसमें बाइबिल की कुछ अच्छी बातें लोगों के पढ़ने के लिए लिखी हुई हैं।चर्च के अन्दर लकड़ी की बेंच हैं जिसमें की लोग बैठ कर पूजा करते हैं और वहां पर एक बड़ी चील है पीतल की जिसकों कि बाइबिल पढ़ने के समय स्टैंड के रूप में प्रयोग किया जाता हैं।

*सेंट पीटर्स चर्च में वेदी के पीछे तीन लम्बी खिड़कियां हैं जिनमें रंगीन शीशे लगे हैं। यह रोशनी जब सलीब पर पड़ती है तो उसका आकर्षण और बढ़ जाता है। वहां दोनों ओर की मुख्य दीवारों पर बड़ी बड़ी खिड़कियां बनवायी गई हैं, उनसे आने वाले वाले प्राकृतिक प्रकाश से पूरा गिरजाघर रोशन हो उठता है।

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*चर्च का सदस्य बनाने के लिए पादरी बच्चे को खास टब में धार्मिक स्नान करवाते हैं। इस धार्मिक स्नान को ग्रीक भाषा में बपतिस्म कहते हैं। इस धार्मिक अनुष्ठान के लिए सेंट पीटर्स चर्च में बपतिस्म टब भी है।

*सेंट पीटर्स चर्च के मुख्य द्वार के दोनों ओर जो पत्थर जड़े हैं हैं उनमें दस हुकुमों का उल्लेख है। इसे खासतौर से हिन्दी में लिखा गया है। यह शिलापट्ट इन्नोसेंट वाटसन सिसिल की पत्नी ने अपने पति की याद में 1989 में लगवाया था।

*सेंट पीटर्स चर्च को यह गौरव भी हासिल है कि वहां लखनऊ की पहली महिला पादरी की नियुक्ति की गई। उनका नाम पर्ल था। क्रिसमस की तैयारियों को लेकर चर्च में कार्यक्रम की शुरुआत हो गई है। 20 दिसम्बर को कैंडल लाइट सर्विस और कैम्प फायर के साथ कम्युनिटी डिनर, 21 और 23 को चर्च डेकोरेशन, 22 को नेटिविटी प्ले और क्रिसमस ट्री, 24 को मिडनाइट सर्विस, 25 को सुबह दस बजे से क्रिसमस डे समारोह का आयोजन किया जाएगा।

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