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चरण सिंह की पुण्यतिथि पर इस यूनिवर्सिटी ने दुष्यंत कुमार सहित छह शख्सियतों को दी पाठ्यक्रम में जगह

चौधरी चरण सिंह की पुण्यतिथि के मौके पर सीसीएसयू मेरठ ने दुष्यंत कुमार सहित 6 शख्सियतों को पाठ्यक्रम में जगह दी है।

Ramkrishna Vajpei
Written By Ramkrishna VajpeiPublished By Chitra Singh
Published on: 29 May 2021 4:03 PM IST
Chaudhary Charan Singhs death anniversary
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 चौधरी चरण सिंह- दुष्यंत कुमार (डिजाइन फोटो- सोशल मीडिया)

चौधरी चरण सिंह की पुण्यतिथि: किसान नेता और देश के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की पुण्यतिथि पर चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी मेरठ से एक बड़ी खबर आई है कि कालजयी गजलकार दुष्यंत कुमार, शमशेर बहादुर सिंह, प्रसिद्ध गीतकार व लेखक संतोष आनंद जैसी विभूतियों को अब बीए हिंदी के पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाएगा। यूनिवर्सिटी और उससे संबद्ध सभी कालेजों में इन कालजयी लेखकों को पढ़ाने की शुरुआत नए शैक्षणिक सत्र से होगी। यह पाठ्यक्रम नई शिक्षिा नीति लागू करने के क्रम में लागू किया गया है।

नए शैक्षणिक सत्र से लागू होने वाले पाठ्यक्रम में कन्हैयालाल, विष्णु प्रभाकर, गंगा प्रसाद विमल, नाटककार जगदीश चंद्र माथुर, मशहूर गजलकार दुष्यंत कुमार और गीतकार संतोष आनंद को स्थान दिया जाएगा।

गौरतलब है कि कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर का जन्म देवबंद, विष्णु प्रभाकर का जन्म मुजफ्फरनगर जिले के मीरानपुर गांव, गंगा प्रसाद विमल का जन्म उत्तर काशी, जगदीशचंद्र माथुर का जन्म खुर्जा, दुष्यंत कुमार का जन्म बिजनौर, संतोष आनंद का जन्म बुलंद शहर के सिकंदराबाद में हुआ है। इन विभूतियों को क्षेत्रीयता के आधार पर स्थान दिया गया है।

दुष्यंत कुमार-संतोष आनंद (डिजाइन फोटो- सोशल मीडिया)

दरअसल यह परिवर्तन नई शिक्षा नीति के तहत किया जा रहा है। जिसमें स्थानीय स्तर पर तीस प्रतिशत तक संशोधन किया जा सकता है। चरण सिंह यूनिवर्सिटी की इस शुरुआत के बाद प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालयों में भी क्षेत्रीयता के आधार पर अप्रतिम योगदान देने वाले लेखकों को स्थान मिल सकता है। इसमें लोक भाषा को भी प्रमुखता देते हुए पाठ्यक्रम में समायोजित किया जाएगा।

दुष्यंत कुमार (फाइल फोटो- सोशल मीडिया)

दुष्यंत कुमार की वैसे तो तमाम गजलें मशहूर हैं लेकिन कहाँ तो तय था चराग़ाँ हर एक घर के लिए

को लोग कुछ ज्यादा ही पसंद करते हैं-

कहाँ तो तय था चराग़ाँ हर एक घर के लिए

कहाँ चराग़ मयस्सर नहीं शहर के लिए

यहाँ दरख़्तों के साए में धूप लगती है

चलें यहाँ से चलें और उम्र भर के लिए

न हो क़मीज़ तो पाँव से पेट ढक लेंगे

ये लोग कितने मुनासिब हैं इस सफ़र के लिए

ख़ुदा नहीं न सही आदमी का ख़्वाब सही

कोई हसीन नज़ारा तो है नज़र के लिए

वो मुतमइन हैं कि पत्थर पिघल नहीं सकता

मैं बेक़रार हूँ आवाज़ में असर के लिए

तिरा निज़ाम है सिल दे ज़बान-ए-शायर को

ये एहतियात ज़रूरी है इस बहर के लिए

जिएँ तो अपने बग़ैचा में गुल-मुहर के तले

मरें तो ग़ैर की गलियों में गुल-मुहर के लिए

इसी तरह सदाबहार गीतकार संतोष आनंद के गीत आज भी कालजयी है एक प्यार का नगमा है... और जिंदगी की ना टूटे लड़ी... खास बात ये है कि अब ये नए पाठ्यक्रम का महत्वपूर्ण हिस्सा होंगे।



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Chitra Singh

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