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बाराचवर में सीएचसी की बिल्डिंग में मिल रही पीएचसी की सेवाएं

raghvendra
Published on: 1 Jun 2018 4:44 PM IST
बाराचवर में सीएचसी की बिल्डिंग में मिल रही पीएचसी की सेवाएं
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गाजीपुर: जिले की मुहम्मदाबाद तहसील से लगभग 13 किलोमीटर दूर स्थिति विकासखंड बाराचवर सूबे में सरकार परिवर्तन के बाद भी स्वास्थ्य सेवाओं से कोसों दूर है। हालत यह है कि ब्लाक मुख्यालय होने के बावजूद यहां सेहत सुविधाओं की समुचित व्यवस्था नहीं है। यहां के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को अपग्रेड कर लगभग 15 साल पहले तत्कालीन मुलायम सरकार ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बनवाया था। अस्पताल निर्माण के समय क्षेत्र के लोगों को उम्मीद बंधी कि अब उन्हें बेहतर उपचार के लिए शहर के अस्पतालों में नहीं जाना पड़ेगा, लेकिन ऐसा नहीं हो सका और क्षेत्र के दर्जनों गांवों के हजारों लोगों की उम्मीदों पर पानी फिर गया।

जिस बिल्डिंग में लोगों को सेहत की सुविधाएं मुहैया करवाई जा रही हैं दरअसल वह बिल्डिंग सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की है, लेकिन यहां मरीजों को ढंग से प्राथमिक सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं। अस्पताल निर्माण के बाद यह बिल्डिंग काफी समय तक वीरान पड़ी रही। इसी दरम्यान प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात डॉक्टर पीके गुप्ता ने सेहत कर्मियों को यह कहते हुए नई बिल्डिंग में अस्पताल शिफ्ट करने का आदेश जारी कर दिया कि रखरखाव के अभाव में नई इमारत खराब हो रही है। सो बिना किसी लोकार्पण या उद्घाटन के सीएचसी की बिल्डिंग में पीचसी की सेवाएं मिलने लगीं। इस अस्पताल को यदि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का दर्ज दिया जाय तो नियमों के मुताबिक यहां 30 बेड होने चाहिए, लेकिन यहां पर मात्र छह बेड की ही व्यवस्था है। लोगों का कहना है कि छह बेड की व्यवस्था तो किसी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भी नहीं होती। ऐसे में लोगों को समझ में नहीं आता कि यह समामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है या प्राइमरी हेल्थ सेंटर।

अस्पताल में डॉक्टरों का टोटा

यदि वाकई में तत्कालीन अखिलेश सरकार ने ब्लाक स्तर के इस अस्पताल को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के तौर पर अपग्रेड किया है तो यह महज खानापूर्ति है या फिर इस क्षेत्र के लोगों के साथ धोखा। नियमों के मुताबिक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में रेडियोलॉजिस्ट, सर्जन, फिजिशियन, गॉयनोलॉजिस्ट, नाक-कान व गला रोग विशेषज्ञ, नेत्र व दंत चिकित्सक सहित कुल 30 से अधिक स्टाफ होना चाहिए, लेकिन इस अस्पताल में दो डॉक्टरों सहित कुल 19 लोगों का ही स्टाफ है। इसमें भी एक होम्योपैथ व एक नेत्र सहायक शामिल हैं। यहां ऑपरेशन थिएटर तो बना है, लेकिन इसमें ऑपरेशन नहीं होता। इसके पीछे अस्पताल प्रशासन का तर्क है कि यहां कोई सर्जन नहीं है। यदि ऐसा कोई पेशेंट आता है तो उसे जिला अस्पताल गाजीपुर या वाराणसी के लिए रेफर कर दिया जाता है। इस अस्पताल में न तो एक्सरे की सुविधा है और न ही अल्ट्रासाउंड की। यहां रक्त व पेशाब के जांच की भी व्यवस्था नहीं।

एक डॉक्टर के सहारे ओपीडी

10-15 किलोमीटर के दायरे में आने वाले सैकड़ों गांवों से इस अस्पताल में आने वाले 250 से 300 मरीजों की रोजाना ओपीडी होती है। इतनी बड़ी संख्या में आने वाले मरीजों की सेहत की कुंजी एक ही डॉक्टर के हाथ में होती है। सूत्रों के मुताबिक यहां पर दो रेजीडेंट डॉक्टर तैनात है, लेकिन एक डॉक्टर लंबे अरसे से छुट्टी पर चल रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि शायद वे नौकरी करना ही नहीं चाहते।

स्टाफ नर्स कराती है डिलीवरी

नियमों के मुताबिक किसी अस्पताल में प्रसूता की डिलीवरी महिला डॉक्टर करवाती है, जबकि बाराचवर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में यह काम स्टाफ नर्स कराती है। इसके पीछे यह तर्क दिया जाता है कि यहां पर पोस्ट होने के बावजूद कोई महिला डॉक्टर की तैनाती नहीं है। रात के समय यदि कोई गंभीर रोगी अस्पताल आ जाए तो यहां उपचार के लिए कोई डॉक्टर नहीं मिलता।

83 ग्राम पंचायतों का इकलौता अस्पताल

ब्लाक स्तर का अस्पताल होने के कारण यह 83 ग्राम पंचायतों व 102 क्षेत्र पंचायतों का इकलौता अस्पताल है। तीन लाख से अधिक लोगों में अकेले बाराचवर गांव के ही पांच हजार से अधिक लोगों के लिये सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बाराचवर ही है। लेकिन यहां की अव्यवस्था के कारण मजबूरी में उन्हें जिला अस्पताल का रुख करना पड़ता है।

दरक रही हैं अस्पताल की दीवारें

अस्पताल भवन के निर्माण की खामियों का असर निर्माण के महज 15 साल में ही दिखाई देने लगा है। मुख्यमार्ग से करीब 6 फुट नीचे बनी इस इमारत की फर्श कई जगह से धंस चुकी है, जबकि अधिक बरसात होने पर लेबर रूम की छत टपकने लगती है। अस्पताल के तृतीय व द्वितीय श्रेणी के कर्मचारियों के लिए बनी आवास की दीवारों में दरारें भी आने लगी हैं।

तो इसलिए मिल रही हैं प्राइमरी सुविधाएं

अस्पताल के कर्मचारियों ने बताया कि कागजों में ह अस्पताल पुराने अस्पताल की इमारत में ही प्राइमरी हेल्थ सेंटर के नाम पर चल रहा है क्योंकि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की बिल्डिंग का न तो लोकार्पण हुआ है और ना ही उद्घाटन। इस अस्पताल में फर्नीचर भी पुराने अस्पताल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के ही हैं। इस अस्पताल के लिए दवाओं सहित जो भी सुविधाएं दी जाती हैं वह प्राइमरी हेल्थ सेंटर के नाम पर ही दी जाती हैं।

महिला अस्पताल बनाने की उठी मांग

बारचवर व इसके आसपास के गांवों के लोगों का कहना है कि क्षेत्र में एक भी महिला अस्पताल नहीं है। ब्लाक मुख्यालय पर जो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है उसमें एक भी गायनोलॉजिस्ट नहीं है। ऐसी स्थिति में उन्हें या तो मुहम्मदाबाद या फिर जिला चिकित्सालय गाजीपुर जाना पड़ता है। क्षेत्र के लोगों ने बिजेंद्र सिंह व देवेंद्र सिंह के नेतृत्व में सांसद भरत सिंह व जिलाधिकारी के बाला जी से मिलकर पुरानेखाली पड़े स्वास्थ्य केंद्र की बिल्डिंग में महिला अस्पताल बनाने की मांग की।

लोगों का कहना है कि पुराने अस्पताल की बिल्डिंग काफी अच्छी हालत में हैं जहां एक साथ आठ मरीजों को एडमिट करने की व्यवस्था सहित अन्य सुविधाएं भी हैं। बिजेंद्र सिंह का कहना है कि मंत्री ओमप्रकाश राजभर को इस मामले को मुख्यमंत्री के सामने उठाना चाहिए।



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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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