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छठ महापर्व संपन्न, लक्ष्मण मेला मैदान में व्रतियों ने उगते सूर्य को दिया अर्घ्य

छठ पर्व में किसी भी नदी या सरोवर के तट पर सूर्यदेव की पूजा की जाती है। महाभारत में भी छठ पूजा का उल्लेख किया गया है। पांडवों की माँ कुंती को विवाह से पूर्व सूर्य देव की उपासना कर आशीर्वाद स्वरूप पुत्र की प्राप्ति हुई थी।

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Published on: 21 Nov 2020 4:27 PM IST
छठ महापर्व संपन्न, लक्ष्मण मेला मैदान में व्रतियों ने उगते सूर्य को दिया अर्घ्य
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छठ महापर्व संपन्न, लक्ष्मण मेला मैदान में व्रतियों ने उगते सूर्य को दिया अर्घ्य

लखनऊ: अस्ताचलगामी और फिर उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ महापर्व संपन्न हो गया है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में गोमती नदी के तट पर स्थित लक्ष्मण मेला मैदान में व्रतियों ने भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया और परिवार एवं देश की समृद्धि की प्रार्थना की। ऐसी मान्यता है कि छठ देवी सूर्यदेव की बहन है। इसलिए छठ पर्व पर छठ देवी को प्रसन्न करने के क्रम में सूर्य देव की आराधना की जाती है।

chhat mahaparv-1 छठ महापर्व संपन्न, लक्ष्मण मेला मैदान में व्रतियों ने उगते सूर्य को दिया अर्घ्य-photo by ashutosh tripathi (newstrack.com)

छठ पर्व में किसी भी नदी या सरोवर के तट पर सूर्यदेव की पूजा की जाती है। महाभारत में भी छठ पूजा का उल्लेख किया गया है। पांडवों की माँ कुंती को विवाह से पूर्व सूर्य देव की उपासना कर आशीर्वाद स्वरूप पुत्र की प्राप्ति हुई थी। पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने भी उनके कष्ट दूर करने के लिए छठ पूजा की थी।

chhat mahaparv-3 छठ महापर्व संपन्न, लक्ष्मण मेला मैदान में व्रतियों ने उगते सूर्य को दिया अर्घ्य-photo by ashutosh tripathi (newstrack.com)

कोरोना की वजह से लगे कई तरह के प्रतिबंध

कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को होने वाली छठ पूजा के पर्व की शुरूआत दो दिवस पूर्व चतुर्थी तिथि को नहाय खाय से होती है। इस वर्ष षष्ठी तिथि 20 नवंबर को है इसलिए दो दिन पूर्व 18 नवंबर यानी आज से चार दिनों के इस त्यौहार की शुरूआत हो गई है।

chhat mahaparv-5 छठ महापर्व संपन्न, लक्ष्मण मेला मैदान में व्रतियों ने उगते सूर्य को दिया अर्घ्य-photo by ashutosh tripathi (newstrack.com)

वैसे तो इसे पूरे देश में मनाया जाता है लेकिन बिहार, यूपी और झारखंड में इसे खासतौर पर मनाया जाता है। इस दिन लोग संतान की सुखी व निरोगी जीवन की कामना के साथ छठ माता का व्रत रखते है।

chhat mahaparv-2 छठ महापर्व संपन्न, लक्ष्मण मेला मैदान में व्रतियों ने उगते सूर्य को दिया अर्घ्य-photo by ashutosh tripathi (newstrack.com)

इस वर्ष कोरोना संक्रमण के कारण कई तरह के प्रतिबंध लागू है लेकिन छठ पर लोगों के उत्साह में कमी नहीं दिख रही है। छठ पूजा और व्रत से जुड़ी कई कथाएं और मान्यतायें प्रचलित है।

chhat mahaparv-7 छठ महापर्व संपन्न, लक्ष्मण मेला मैदान में व्रतियों ने उगते सूर्य को दिया अर्घ्य-photo by ashutosh tripathi (newstrack.com)

यह कथा देवासुर संग्राम की है। इस संग्राम में जब देवता हार गए तो देवताओं की माता अदिति ने पुत्र प्राप्ति के लिए देव के जंगलों में छठी माता की पूजा-अर्चना की थी। माता अदिति की पूजा से प्रसन्न छठी माता ने उन्हे एक पराक्रमी पुत्र का आर्शीवाद दिया।

chhat mahaparv-9 छठ महापर्व संपन्न, लक्ष्मण मेला मैदान में व्रतियों ने उगते सूर्य को दिया अर्घ्य-photo by ashutosh tripathi (newstrack.com)

जिसके बाद माता अदिति के इसी पुत्र ने देवताओं को असुरों पर विजय दिलाई। इस कथा के अनुसार जिस तरह छठी माता ने माता अदिति के दुखों का निवारण किया था उसी तरह से इस दिन व्रत रखने व छठी माता की पूजा-अर्चना करने से सभी दुखों का निवारण होता है।

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यहां से शुरू हुआ छठ पूजा का प्रचलन

एक अन्य कथा के अनुसार लंका विजय के बाद अयोध्या वापस लौटने पर सूर्यवंशी भगवान राम और सीता माता ने व्रत रखा था और सरयू में स्नान करके अपने कुल देवता सूर्य देव की उपासना की और अस्तगामी सूर्य को अध्र्य दे कर पूजा की।

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जिस दिन भगवान राम ने व्रत रखा था वह तिथि कार्तिक मास की षष्ठी तिथि थी। भगवान राम के इस व्रत को अयोध्या की जनता ने भी अपना लिया और वह भी इस तिथि में व्रत करने लगी। इसके बाद से ही छठ पूजा का प्रचलन शुरू हुआ।

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इसी तरह एक कथा के अनुसार एक राजा थे प्रियवंद। राजा प्रियवंद और उनकी पत्नी रानी मालिनी की कोई संतान नहीं थी। पुत्र की अभिलाषा में वह महर्षि कश्यप के पास गए और अपनी व्यथा बताई।

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महर्षि कश्यप ने उन्हे एक यज्ञ करने को कहा। राजा ने यज्ञ किया और यज्ञ के फलस्वरूप् उन्हे पुत्र प्राप्ति भी हुई लेकिन यह मृत शिशु था। इससे निराश हो कर राजा एवं रानी दोनों ही आत्महत्या करने के लिए तैयार हो गए।

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ब्रह्मा जी की मानस पुत्री देवसेना वहां प्रकट हुई

इसी समय ब्रह्मा जी की मानस पुत्री देवसेना वहां प्रकट हुई और उन्होंने राजा को अपना परिचय देते हुए कहा कि वह सृष्टि की मूल प्रवृति के छठे अंश से उत्पन्न हुई है इसीलिए उन्हे षष्ठी कहा जाता है।

chhat mahaparv-16 छठ महापर्व संपन्न, लक्ष्मण मेला मैदान में व्रतियों ने उगते सूर्य को दिया अर्घ्य-photo by ashutosh tripathi (newstrack.com)

उन्होंने बताया कि उनके षष्ठी स्वरूप की पूजा-अर्चना करने पर संतान सुख की प्राप्ति होती है। इस पर राजा प्रियवंद और रानी मालती ने षष्ठी देवी का व्रत और पूजन किया। जिसके बाद उन्हे पुत्र की प्राप्ति हुई। राजा ने यह पूजा कार्तिक मास की षष्ठी तिथि को की थी इसीलिए इस दिन इस व्रत और पूजा को किया जाता है।

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