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शिवाजी महाराज और संत रविदास में सबको साथ लेकर चलने की क्षमता थीः राज्यपाल
मराठी समाज उत्तर प्रदेश द्वारा लखनऊ विश्वविद्यालय में छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। राज्यपाल ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आज का दिन दो दृष्टि से महत्वपूर्ण है। आज ही छत्रपति शिवाजी की जयंती है और संत रविदास की भी जयंती है।
लखनऊ : मराठी समाज उत्तर प्रदेश द्वारा लखनऊ विश्वविद्यालय में छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। राज्यपाल ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आज का दिन दो दृष्टि से महत्वपूर्ण है। आज ही छत्रपति शिवाजी की जयंती है और संत रविदास की भी जयंती है। संत रविदास ने जिस प्रकार सभी लोगों को जोड़ने का काम किया है, वह अनुकरणीय है। ऐसे दोनों महापुरूषों को मैं नमन करता हूँ।
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श्री नाईक ने शिवाजी के अनुशासन की बात करते हुये उन्होंने बताया कि शिवाजी को पुत्र संभाजी के मुगलों से मिलने का संदेह हुआ तो उन्होंने पुत्र के प्रति कठोर निर्णय लेकर उन्हें पन्हाला किले में कैद कर दिया। उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज में अनुशासन के साथ सबको साथ लेकर चलने की अद्भुत क्षमता थी। राज्यपाल ने कहा कि शिवाजी महाराज को आत्मसम्मान बहुत प्रिय था। औरंगजेब ने उन्हें धोखा देकर कैद कर लिया था। उन्होंने कहा कि लखनऊ विश्वविद्यालय में छत्रपति शिवाजी की अश्वरोही मूर्ति का निर्माण उन्हें समाधान देने वाला कार्य है।
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कार्यक्रम में बिहार के राज्यपाल लालजी टण्डन ने कहा कि छत्रपति शिवाजी स्मरण योग्य व्यक्तित्व हैं। शिवाजी न होते तो आज हम न होते। शिवाजी ने भारतवासियों को गौरव प्रदान किया है। भारत के इतिहास में शिवाजी जैसा एक ही व्यक्तित्व है जो मातृभूमि के लिये लड़ा। कार्यक्रम में महापौर श्रीमती संयुक्ता भाटिया एवं डॉ0 संदीप राज महिंद गुरूजी सहित अन्य लोगों ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर राज्यपाल एवं अन्य विशिष्ट अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। राज्यपाल राम नाईक एवं बिहार के राज्यपाल लालजी टण्डन सहित सभी अतिथियों ने विश्वविद्यालय के प्रागंण में स्थापित शिवाजी महाराज की अश्वरोही कांस्य प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करके नमन किया। कार्यक्रम में शिवाजी के जन्मस्थल शिवनेरी दुर्ग से लखनऊ तक 1,600 किलोमीटर की यात्रा कर पहुंची युवक मण्डली भी शामिल थी