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आज से चिकन-मटन के लिए तरसेगा नवाबी शहर! 5,000 दुकानों पर लटके ताले
लखनऊ: नवाबों के शहर का स्वाद शनिवार को तब बिगड़ गया, जब शहर के व्यापारी हड़ताल पर चले गए और यहां मटन-चिकन की करीब 5,000 दुकानें बंद कर दी गईं। इस वजह से राजधानी के कई मशहूर नॉनवेज रेस्तरां और ढाबे बंद रहे।
गौरतलब है कि प्रदेश में आदित्यनाथ सरकार आने के बाद से अवैध बूचड़खानों और मीट की दुकानों पर कड़ी कार्रवाई की जा रही है। इसी के विरोध में शहर के मीट व्यापारी हड़ताल पर चले गए। इससे शहर की तकरीबन 5,000 मीट और चिकन की दुकानें बंद रही।
लाइसेंसधारी दुकानदार हड़ताल में नहीं
बता दें, कि मीट मुर्गा व्यापार कल्याण समिति ने रविवार (26 मार्च) से राज्यव्यापी हड़ताल का ऐलान किया है। इसके लिए कानपुर के मुर्गा व्यापार मंडल ने पहले ही हड़ताल में शामिल होने का ऐलान किया है। इस हड़ताल में पश्चिमी यूपी के कई जिलों के व्यापारी भी शामिल हो रहे हैं। नोएडा और गाजियाबाद में भी सड़कों के किनारे से चिकन और मटन की दुकानें हटाए जाने की ख़बरें लगातार आ रही हैं। हालांकि, लाइसेंसधारी दुकानदार इस हड़ताल में शामिल नहीं हैं।
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बैठक कर लिया सप्लाई बंद करने का फैसला
शनिवार को लखनऊ मुर्गा मंडी समिति और मीट मुर्गा व्यापार कल्याण समिति ने एक मीटिंग की और मीट-चिकन की सप्लाई बंद करने का फैसला लिया। उल्लेखनीय है कि लखनऊ मीट मुर्गा समिति के अंतर्गत 50 से ज्यादा थोक व्यापारी आते हैं। ये व्यापारी करीब 5,000 से ज्यादा खुदरा दुकानदारों को चिकन की सप्लाई करते हैं। इसके अलावा वे होटलों और छोटी दुकानों में भी मीट की सप्लाई करते है। वहीं मीट मुर्गा व्यापार कल्याण समिति के अंतर्गत तकरीबन 600 थोक विक्रेता आते हैं, जो शहर भर में आपूर्ति करते हैं।
5 साल से आवेदनों पर नहीं हुई सुनवाई
इस संबंध में कई डीलरों का कहना है कि उन्होंने लाइसेंस के लिए आवेदन किया था। लखनऊ म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ने बीते 5 सालों से उनका आवेदन पड़ा है। इस पर कोई कदम नहीं उठाया गया। उनके पुराने लाइसेंस का रिन्यू भी नहीं किया गया। डीलरों का कहना है कि इस सूरत में वो क्या करें। मजबूरन वो बिना लाइसेंस के दुकान चला रहे हैं। उनका आरोप हैं कि अब उनके वैध धंधे को अवैध ठहरा जा रहा है।