योगी के गढ़ में हो रहा स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़, गंदगी में पढ़ रहे स्कूली बच्चे

कूड़े वाला स्कूल,जी हां सुनने में ये थोड़ा अजीब लग रहा होगा, लेकिन ये स्कूल और कही नहीं बल्कि सीएम योगी आदित्यनाथ के शहर गोरखपुर में  है। जहां बच्चो के भविष्य ही नहीं उनके स्वास्थ से भी खिलवाड़ किया जा रहा है। इस प्राथमिक विद्यालय को देखकर ये लगता है कि यहां शिक्षा कम और बीमारियां दिल खोलकर जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग बांट रहा है।

priyankajoshi
Published on: 19 July 2017 10:39 AM GMT
योगी के गढ़ में हो रहा स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़, गंदगी में पढ़ रहे स्कूली बच्चे
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गोरखपुर : कूड़े वाला स्कूल,जी हां सुनने में ये थोड़ा अजीब लग रहा होगा, लेकिन ये स्कूल और कही नहीं बल्कि सीएम योगी आदित्यनाथ के शहर गोरखपुर में है।

जहां बच्चो के भविष्य ही नहीं उनके स्वास्थ से भी खिलवाड़ किया जा रहा है। इस प्राथमिक विद्यालय को देखकर ये लगता है कि यहां शिक्षा कम और बीमारियां दिल खोलकर जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग बांट रहा है।

बता दें कि इंसेफ्लाइटिस जैसी जानलेवा बीमारी से सबसे ज्यादा पूर्वांचल ही प्रभावित भी है। अब तो प्रदेश ही नहीं देश की भी निगाहें गोरखपुर पर टिकी रहती है। ऐसे में बच्चो के भविष्य और स्वास्थ्य से ये विद्यालय एक भद्दा मजाक बन गया है|

आगे की स्लाइड्स में जानें क्यों कहा जाता है कूड़े वाला स्कूल...

सेहत के साथ खिलवाड़

केंद्र और यूपी सरकार शिक्षा को लेकर लाख कोशिशें करे लेकिन प्राथमिक शिक्षा में सुधार के सरकार बड़े-बड़े दावे खोखले साबित हो रहे है। ऐसे में सरकार के दावों की पोल खोलने के लिए ये स्कूल काफी है। ये प्राथमिक विद्यालय खोराबार विकास खंड के झरवा गांव में है। जहां बच्चों को कूड़े के ढेर पर पढ़ाया जाता हैऔर उनके सेहत के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। कोई भी पेरेंट्स अपने बच्चे को इस स्कूल में भेजना नहीं चाहता। लेकिन मजबूरी और शिक्षा के प्रति जागरूकता परिजनों को उनकी आर्थिक स्थिति ऐसे कूड़े वाले स्कूल में भेजने को मजबूर कर रही है।

क्यों कहा जाता है कूड़े वाला स्कूल?

गोरखपुर ही नहीं आसपास के इलाको में इंसेफ्लाइटिस जैसी बीमारी सालों से तांडव मचा रही है। इस बीमारी से बचाव भी गंदगी से दूर रहकर किया जा सकता है। लेकिन सीएम योगी आदित्यनाथ के ही शहर में बच्चों का ये हाल है जिनको स्कूल के समय मे खाना, पीना, पढ़ना, खेलना सब कुछ इस कूड़े के ढेर के बगल में अपने विद्यालय में करना पड़ता हैं।

आगे की स्लाइड्स में जानें इस पर क्या कहना है बच्चों का?

क्या कहना है बच्चों की?

बच्चों का कहना है की शहर का सारा कूड़ा यही गिराया जाता है। हमें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कूड़ों से दुर्गंध आती है हम ठीक से पढ़ नही सकते है।

इस पर क्या कहना है प्रभारी का?

वहीं अब पूरे मामले पर प्रभारी बीएसए प्रेम चंद शर्मा ने कहा कि इस मामले की हम जांच कराएंगे और निर्देश दिया कि वहां से कूड़ों को हटाने का निस्तारण किया जाए।

सरकारी स्कूलों में तादात बढ़ाने के लिए सरकार हरसाल जागरूकता अभियान सहित कई तरीके अपनाती है। लेकिन इस तरह की जगहों पर जब स्कूल चलेगा तो बच्चो की संख्या स्कूलों में कैसे बढ़ेगी ये समझ से परे है।​

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इन्होंने पत्रकारीय जीवन की शुरुआत नई दिल्ली में एनडीटीवी से की। इसके अलावा हिंदुस्तान लखनऊ में भी इटर्नशिप किया। वर्तमान में वेब पोर्टल न्यूज़ ट्रैक में दो साल से उप संपादक के पद पर कार्यरत है।

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