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Unnao News: स्थानांतरण होने पर सिपाही से लिपट कर रोए बच्चे, पढ़ाने के लिए अपने वेतन से रखे टीचर्स
Unnao News: GRP में तैनात सिपाही का समय होने पर उसका तबादला झांसी हो गया। सिपाही के ट्रांसफर की खबर मिलते ही नि:शुल्क पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं और उनके परिजन के आंसू नही थम रहे थे।
उन्नाव: स्थानांतरण होने पर सिपाही से लिपट कर रोए बच्चे: Video- Newstrack
Unnao News: जीआरपी (GRP) में तैनात सिपाही का समयावधि पूरी होने पर उसका तबादला (transfer) झांसी हो गया। सिपाही के ट्रांसफर की खबर मिलते ही नि:शुल्क पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं और उनके परिजन के आंसू नही थम रहे थे। दरअसल सिपाही ने बच्चों को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढाने के लिए खुली छत के नीचे से फ्री कोचिंग की शुरुआत 5 बच्चों से की गई थी। 4 साल में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या डेढ़ सौ पहुंच गई। बच्चे स्कूल जाने के नाम से भागते थे, वह समय से पढ़ाई कर शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ रहे थे। स्थानांतरण होने पर सिपाही ने कहां जहां भी रहूंगा वह बच्चों को पढ़ाऊंगा।
2018 जून माह में 2005 बैच के सिपाही रोहित का झांसी सिविल पुलिस से लखनऊ जीआरपी स्थानांतरण हो गया था। जीआरपी में आमद कराने के बाद उसे उन्नाव रेलवे स्टेशन मिला था। ड्यूटी ज्वाइन करते ही उन्हें कोरारी रेलवे स्टेशन पर ड्यूटी लगी। डयूटी के दौरान ही उन्हें वहां आसपास के रहने वाले बच्चें स्कूल न जाकर खेलने ओर घूमते हुए दिखाई दिए। जिसके बाद उन्होंने उनके परिजनों से स्कूल भेजने को लेकर बात की।
मगर परिजन भी इस बात को अनसुना कर गए। रोहित ने अपनी ड्यूटी रात शिफ्ट लगवाकर वहां के बच्चों को शिक्षा के क्षेत्र में आगे ले जाने के लिए संकल्प लिया और रेलवे स्टेशन परिसर में खुली छत के नीचे 5 बच्चों से पढ़ाई की शुरुआत कराई। कुछ माह बाद पढ़ाई को देख और भी बच्चे आने लगे। इसी तरह क्षेत्र के भी कई लोग उनसे जुड़े और बच्चों की शिक्षा के लिए मददगार बन गए। धीमे धीमे उनके पास पढ़ने वालों की संख्या डेढ़ सौ हो गई। अब स्थानांतरण होने पर बच्चों व आरक्षी रोहित के आंसू नहीं थम रहे है। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है।
दो शिक्षकों को वेतन से देते था पगार
आरक्षी रोहित के मुताबिक कि उनके पास बच्चों की संख्या बढ़ने लगी तो वह अकेले नहीं पढ़ा सकते थे। कक्षा में छात्राओं की संख्या भी बढ़ रही थी, तभी उसने एक महिला शिक्षिका पूजा देवी व शिक्षक बसंत को 2 हजार रुपये प्रति माह पगार पर रखा। वह अपने वेतन से समय पर भुगतान करता था। स्थानांतरण होने पर अब आगे शिक्षक क्या निर्णय लेते हैं ? यह अभी तय नहीं है।
सिपाही की लगन को देख दिया था पंचायत भवन
कोरारी रेलवे स्टेशन पर खुली छत के नीचे पढ़ाने वाले सिपाही रोहित लगातार बच्चों को शिक्षित कर रहे थे। यह जानकारी तत्कालीन डीपीआरओ राजेंद्र को हुई तो उन्होंने पास हीं बने पंचायत भवन की चाभी दे दी और उसी में बच्चों की कक्षा शुरू करवा दी थी। जिससे बच्चों की बैठने की उचित व्यवस्था भी हो गई थी।
परिषदीय स्कूलों में कराया दाखिला
पढ़ने वाले बच्चों को और बेहतर शिक्षा मिले। इसके लिए पास के परिषदीय स्कूलों में सभी बच्चों का आरक्षी ने दाखिला करवा दिया। बच्चे समय से स्कूल जाते थे और वहां पढ़ाई पूरी करने के बाद रोहित के पास पढ़ाई करते थे।
चार शिक्षक निशुल्क पढ़ाने पहुंचे
डेढ़ सौ से अधिक बच्चे रोज कक्षा में पढ़ने आते थे। यह देखकर क्षेत्र में रहने वाले प्रदीप कुमार, रंजीत व सोनू ने भी शिक्षा के क्षेत्र में बच्चों को पढ़ाने के लिए हाथ आगे बढ़ाएं और रोहित के साथ सभी बच्चों को फ्री में पढ़ा रहे हैं।
तत्कालीन एसपी आनंद कुलकर्णी ने किया था सम्मानित
जिले में तत्कालीन एसपी आनंद कुलकर्णी ने सिपाही रोहित की इस कार्यशैली की सूचना मिलने पर उसे यातायात कार्यालय में हुए कार्यक्रम में बुलाकर सम्मानित किया गया था। उसके इस कार्य की प्रशंसा भी की थी। एसपी ने आरक्षी से बिना किसी संकोच के सहायता लेने की भी बात कही थी