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Hardoi News: ठिठुरते दिखे बच्चें, खाते में नही पहुँचे रुपये तो इस हाल में बच्चे पहुचें स्कूल
Hardoi News: कुछ को तो शासन से पैसा मिलने के बावजूद ड्रेस नहीं दिलाई गई है, और कुछ पैसा मिलने का इंतजार कर रहे हैं। इसी वजह से बच्चे बिना ड्रेस और स्वेटर, जूते -मोजे के स्कूल पहुंच रहे हैं।
Hardoi News: प्राथमिक विद्यालयों में बच्चे बिना स्वेटर और ड्रेस के स्कूल जा रहे हैं। जिसमें कुछ को तो शासन से पैसा मिलने के बावजूद ड्रेस नहीं दिलाई गई है, और कुछ पैसा मिलने का इंतजार कर रहे हैं। इसी वजह से बच्चे बिना ड्रेस और स्वेटर, जूते -मोजे के स्कूल पहुंच रहे हैं। जिससे उन्हें सर्दियों में ठिठुरना पड़ रहा है। बावन कस्बे के प्राथमिक विद्यालय इंग्लिश मीडियम में 70% बच्चों का पैसा गार्जियन के अकाउंट पर आया। जिसमें कुछ बच्चों ने शिक्षकों की सख्ती के चलते ड्रेस तो खरीदी। लेकिन कुछ के अभिभावकों ने ड्रेस खरीदना मुनासिब नहीं समझा और अपना खर्चा चलाने पर ध्यान दिया है। जिसके चलते बच्चे सर्दियों में ठिठुरते हुए स्कूल पहुंच रहे हैं।
इसका मुख्य कारण 70 पर्सेंट बच्चों के अभिभावकों के खाते में पैसा जाना है, और 30 पर्सेंट इससे अछूते रह गए हैं। जिस वजह से 70 परसेंट में भी पूरे बच्चे ड्रेस, जूते मोजे व स्वेटर पहनकर नहीं आ रहे हैं। जिससे शासन की मंशा पर सवाल उठ रहा है।
बच्चों के ड्रेस का पैसा अभिभावक अपनी जरूरतों में इस्तेमाल कर रहे हैं। जिससे बच्चे अपनी ड्रेस से लेकर जूते मोजे से वंचित हैं। शिक्षकों का दबाव भी अभिभावकों पर कोई खास प्रभाव नहीं डाल रहा है। इसके चलते अभिभावक निश्चिंत होकर बच्चों को पुरानी ड्रेस पहना रहे हैं, या उन्हें बिना ड्रेस के स्कूल रवाना कर रहे हैं।
हालांकि जब हमारी टीम ने 52 के प्राथमिक विद्यालय इंग्लिश मीडियम का हाल जानना चाहा तो उसमें 70 पर्सेंट बच्चे ड्रेस पहन कर आए। लेकिन उनके पास भी स्वेटर और जूते मोजे नहीं थे। जिसमें 30 पर्सेंट बच्चे या तो अपनी ड्रेस गंदी होने का हवाला या जल्दी में आने के चलते ड्रेस ना पहन कर आने की बात कहते दिखे।
जिससे सवाल यह उठता है कि भ्रष्टाचार के चलते प्रदेश सरकार ने 1200 रूपये अभिभावक के खाते में देने का प्रावधान किया। जिसमें दो ड्रेस, जूते मोजे, स्वेटर और बस्ता शामिल हैं। जिन रूपयों का अधिकतर अभिभावक दुरुपयोग करते नजर आ रहे हैं। जिसमें बच्चों के अधिकारों का हनन किया जा रहा है।
जब इस संबंध में प्रधानाध्यापक विद्यानिधि मिश्रा से बात की गई तो उन्होंने बताया की 240 बच्चों में 165 बच्चों के अभिभावकों के खाते पर पैसा भेजा जा चुका है। लेकिन बचे हुए 75 बच्चों के खाते पर अभी तक पैसा नहीं आया है। जिसके पीछे सिर्फ यही वजह है कि या तो उनके अकाउंट 3 महीने से अधिक समय से संचालित नहीं थे, या उनके अकाउंट पर आधार कार्ड नहीं लगा था।
कभी कभार ऐसा होता है कि अभिभावक के ऋण वाले अकाउंट पर पैसा चला जाता है इस वजह से वह ड्रेस नहीं खरीद पाते हैं। हालांकि शिक्षकों की तरफ से लगातार सख्ती की जा रही है, और प्रबंध समिति की मासिक बैठक में ड्रेस और स्वेटर खरीदने के बारे में बोला जा रहा है।
इसी वजह से इतने बच्चे ड्रेस पहनकर आ रहे हैं, ड्रेस का पैसा अभिभावकों के खाते पर जाने से शिक्षकों का कोई जोर दवाब भी नहीं है। उन्होंने कहा कि जिन बच्चों का अभी तक पैसा नहीं आया है उनको जल्द पैसा दिलाए जलाने का प्रयास किया जाएगा। इस मौके पर सहायक अध्यापक अरुण बाजपेई, मो. नाजिम सहित सैकड़ों बच्चे मौजूद रहे।