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Chiteri Gamchha: बुन्देलखण्ड का ब्राण्ड बनेगा चितेरी गमछा, मण्डलायुक्त की पहल

Chiteri Gamchha: बुन्देलखण्ड एक कृषि प्रधान क्षेत्र है और गमछा किसान से जुड़ा हुआ एक लोकप्रिय अंगवस्त्र हैं। पूरे बुन्देलखण्ड में आप भ्रमण करिये तो आपको किसान के पास गमछा तो मिलेगा परन्तु उसकी अपनी कोई प्रथक पहचान नहीं है।

B.K Kushwaha
Published on: 7 July 2022 3:02 PM GMT
Chiteri Gamchha will become the brand of Bundelkhand
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Chiteri Gamchha will become the brand of Bundelkhand (Image: Newstrack)

Chiteri Gamchha: कहीं दुशाला, कहीं पगड़ी तो कहीं अंगवस्त्र स्थान विशेष की पहचान होते हैं अयोध्या में आपका रामनामी गमछों से स्वागत होता है तो मथुरा में राधे-राधे लिखे हुए गमछो से तो शिव की नगरी में ओम नमः शिवाय लिखे हुए पटको से स्वागत होता है। असम में हाथ से बना लाल सफेदधारी वाला गमछा असम की पहचान है। हिमांचल प्रदेश टोपी से पूरे हिमांचल प्रदेश में जाना आता है।

बुन्देलखण्ड एक कृषि प्रधान क्षेत्र है और गमछा किसान से जुड़ा हुआ एक लोकप्रिय अंगवस्त्र हैं। पूरे बुन्देलखण्ड में आप भ्रमण करिये तो आपको किसान के पास गमछा तो मिलेगा परन्तु उसकी अपनी कोई प्रथक पहचान नहीं है। मण्डलायुक्त, डॉ० अजय शंकर पाण्डेय ने चितैरीकला की थीम पर बुन्देलखण्ड के लिये गमछों की डिजाइन तैयार कराने का निर्णय लिया है।

बुन्देलखण्ड की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिये मण्डलायुक्त द्वारा 08 समितियों गठित की गयी है जिसमें हस्तशिल्प एवं उद्योग धन्धों से सम्बन्धित विंग को यह दायित्व सौपा गया है। इस समिति के समन्वयक श्री आनन्द चौबे, मण्डलीय परियोजना प्रबन्धक, स्वास्थ्य मिशन, सिफ्सा, झाँसी ने बताया कि मण्डलायुक्त के निर्देश पर चितैरी कला से जुड़े कलाकारों को कपड़ों के गमछों के लिये चितैरी कला की डिजाइन तैयार करने के लिये प्रेरित किया गया है।

विलुप्त हो रही चितैरी कला का सहेज कर रखने के लिये मण्डलायुक्त के निर्देश पर कार्यशालायें आयोजित की जा रही है। जनपद झाँसी में अब तक 06 कार्यशालायें तथा जनपद जालौन में 02 कार्यशालायें आयोजित की जा चुकी है। मण्डलायुक्त, डॉ० अजय शंकर पाण्डेय के निर्देश पर 10 जुलाई 2022 को ललितपुर में चिरौरीकला की कार्यशाला आयोजित करने का निर्णय लिया गया है।

इस कार्यशाला में मुख्य विषय यह होगा कि चितैरी के कलाकार वहाँ आयेगें और उन्हें बुन्देलखण्ड के गमछों के के लिये डिजाइन तैयार करने का कार्य दिया जायेगा। डिजाइन किये गये गमछों को बनाने के लिये कम्पनियों का एक समागम कार्यक्रम भी आयोजित किया जायेगा ताकि चितैरी पदधारक गमछों का बाजार लगाया जा सके जिससे चितैरी कलाकारों का विकास होगा और चितैरी गमछा बुन्देलखण्ड का ब्राण्ड बन सकेगा।

डॉ० मधु श्रीवास्तव, बुन्देली लोकविद् द्वारा अवगत कराया गया कि मण्डलायुक्त डॉ० अजय शंकर पाण्डेय जी ने बुन्देलखण्ड की विलुप्तप्राय चितैरी गमछों के पुनरुद्धार एवं रोजगारपरक चित्रांकन कार्यक्रमों का आयोजन कर चित्रकारों का मनोबल बढ़ाया है जोकि बुन्देलखण्ड की युवा पीढ़ी को रोजगारोन्मुख तथा चितैरीकला को नये आयाम मिलेगे।

सुश्री नीति शास्त्री, शिक्षाविद एवं समाजसेविका द्वारा अवगत कराया गया कि गमछा एक सम्मान का प्रतीक माना है कि गमछा पर चितैरी पेण्टिंग से बुन्देलीकला को प्रोत्साहन मिलेगा और इसका लाभ चितैरी कलाकारों को मिलेगा। परम्परा से जुड़ी बुन्देली चित्रकला चितैरी के प्रतीकों से गमछे रगने से इस कला का मान-सम्मान बढेगा। पन्ना लाल अरार लोक कलाकार द्वारा अवगत कराया गया कि मण्डलायुक्त डॉ० अजय शंकर पाण्डेय की इस पहल का नयी पीढ़ी को काफी लाभ मिलेगा तथा चितैरी गगछो की नई डिज़ाइन बाजार में आने से बुन्देलखण्ड के लोगों को मान सम्मान के साथ ही साथ रोजगार भी मिलेगा।

Rakesh Mishra

Rakesh Mishra

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