Chitrakoot: पेयजल किल्लत से जूझ रहा पाठा, टैंकरों से होने लगी जलापूर्ति

Chitrakoot News Today: पाठा क्षेत्र में पेयजल संकट पैदा हो गया है। जिला प्रशासन ने पेयजल समस्या से निपटने के लिए पंचायतों के जरिए टैंकरों का संचालन किया है।

Sunil Shukla (Chitrakoot)
Published on: 7 April 2022 1:44 PM GMT
Chitrakoot: पेयजल किल्लत से जूझ रहा पाठा, टैंकरों से होने लगी जलापूर्ति
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पेयजल संकट (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

Chitrakoot News Today: गर्मी की शुरुआत होने के साथ ही चित्रकूट के पाठा क्षेत्र में पेयजल संकट (Drinking Water Crisis) से लोग जूझने लगते है। इस बार मार्च माह से तापमान बढ़ने लगा था। फलस्वरूप अत्यधिक तेज धूप व गर्मी में लोगों को पेयजल किल्लत से परेशान होना पड़ रहा है। कई गांव व मजरों में लोग दूर-दूर से पानी लाने को मजबूर है। जिला प्रशासन ने पेयजल समस्या से निपटने के लिए पंचायतों के जरिए टैंकरों का संचालन किया है।

खास बात यह है कि मानिकपुर विकासखंड का पाठा क्षेत्र ज्यादातर पथरीला व दुर्गम पहाडियों, घनघोर जंगलों से घिरा है। गर्मी के पहले ही इस इलाके में नाले सूख जाते है। तालाबों का पानी भी सूख जाता है। इतना ही नहीं जलस्तर नीचे खिसकने से ज्यादातर हैंडपंप भी जवाब दे देते है। मौजूदा समय पर ऐचवारा, रुखमा, अमचुर नेरुआ, बंभिया, देवकली, बसिला, कुई, चुरेह केशरुआ, अहिरा, मगरहाई, चरदहा, मदना आदि गांवों व मजरों में पेयजल की समस्या से लोग परेशान है। इन सभी जगहों पर अब टैंकरों से जलापूर्ति की जा रही है।

रोजाना पंचायतों के जरिए टैंकर पहुंचाए जा रहे है। टैंकर पहुंचते ही लोग पानी के लिए खाली बर्तन लेकर टूट पड़ते है। डीएम शुभ्रांत कुमार शुक्ल ने बताया कि कहीं पर पेयजल किल्लत नहीं होने पाएगी है। जहां पर दिक्कतें हैं, वहां पर टैंकरों से पानी भेजा जा रहा है। ग्राम पंचायतों को टैंकरों से पानी पहुंचाने के निर्देश दिए गए है। जिला स्तर पर कंट्रोल रुम खोल दिया गया है। अगर कहीं पर कोई समस्या है, तो शिकायत दर्ज करा सकते है।

सूख रहे जलाशय, मवेशियों को दिक्कतें

पंचायतों के जरिए पहुंचने वाले टैंकरों से लोग पीने का पानी ले रहे है। लेकिन सर्वाधिक दिक्कतें मवेशियों व जंगल में विचरण करने वाले जानवरों को हो रही है। पाठा क्षेत्र में ओहन, बरदहा, माडौ, गुंता आदि समेत छोटे-छोटे जलाशय है। इनमें बड़े जलाशयों की तलहटी में पानी बचा हुआ है। इसके अलावा कुछ तालाबों में भी अभी पानी उपलब्ध है। जंगलों में विचरण करने वाले जानवर व मवेशी प्यास से ब्याकुल होकर पानी तलाशने के चक्कर में दूर-दूर तक निकल जाते है।

मवेशियों के लिए भरवाई जा रही चरही

पाठा क्षेत्र में अभी अप्रैल माह में ही पेयजल समस्या से लोग परेशान हो गए है, आगे मई व जून माह में दिक्कतें और बढ़ सकती है। कारण कि तब तक हैंडपंपों की स्थिति और भी खराब हो जाएगी। इधर कई जगह मवेशियोंं के लिए पोखर व चरही भरवाई जा रही है। अमचुर नेरुआ प्रधान मनोज कुमार व चुरेह केशरुआ प्रधान निहारिका सिंह ने बताया कि मवेशियों के लिए चरही में पानी भरवाया जा रहा है। कुछ निजी नलकूप वाले छोटे गड्ढों में पानी भर देते है। जिससे मवेशियों को पीने का पानी मिल जाता है।

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Shreya

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