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Chitrakoot: शरदोत्सव के दूसरे दिन लोक नृत्य कलाओं में दिखी राज्य की संस्कृति की छाप
Chitrakoot: शुभारंभ करते हुए बन सिंह भाई चामायडा़ भाई राठवा एवं उनके साथियों द्वारा गुजरात के राठवा जनजाति के प्रमुख नृत्य की शानदार प्रस्तुति कर दर्शकों को मन्त्रमुग्ध कर दिया।
Chitrakoot News: भारत रत्न नानाजी देशमुख की जयंती अवसर पर चित्रकूट में चल रहे ग्रामोदय से राष्ट्रोदय ग्रामोदय मेला एवं पारम्परिक नृत्य एवं गायिकी केन्द्रित शरदोत्सव के दूसरे दिन रोजलिन सुंदराय एवं साथी उड़ीसा द्वारा शिव शक्ति ओडिसी समूह तथा बन सिंह भाई चामायडा़ भाई राठवा एवं साथी गुजरात द्वारा राठवा जनजातीय लोक नृत्य के साथ ऋषि विश्वकर्मा एवं साथी सागर द्वारा भक्ति संध्या ने चित्रकूट के सुरेन्द्रपॉल ग्रामोदय विद्यालय के विवेकानंद सभागार में मौजूद दर्शकों का खूब मनोरंजन किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए बन सिंह भाई चामायडा़ भाई राठवा एवं उनके साथियों द्वारा गुजरात के राठवा जनजाति के प्रमुख नृत्य की शानदार प्रस्तुति कर दर्शकों को मन्त्रमुग्ध कर दिया। यह नृत्य होली उत्सव को मनाने के लिए लगातार 5 दिन तक प्रस्तुत किया जाता है। राठवा जनजाति दक्षिण गुजरात के पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जाती है वह अपनी आकर्षक संस्कृति के लिए जाने जाते हैं यह नृत्य महिला एवं पुरुषों द्वारा सामूहिक रूप से प्रस्तुत किया जाता है।
यह ओजपूर्ण नृत्य विधा बांसुरी, हरनाई /शहनाई , ढोलक , थाली घुघुरा , पट्टा, तूतूड़ी /कुंडी के साथ प्रस्तुत किया जाता है। पुरुष नर्तकों को घेर व महिला नर्तकियों को घेरनी कहा जाता है। यह उत्सव का त्यौहार देवताओं को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। वहीं दूसरी प्रस्तुति में रोजलिन सुंदराय एवं साथी उड़ीसा द्वारा शिव शक्ति ओडिसी समूह नृत्य प्रस्तुत किया गया, जिसमें शिव स्तुति, नवदुर्गा स्तुति एवं शिवपंचाक्षर की प्रस्तुति की गई।
दूसरे दिन के कार्यक्रमों में लोकनृत्यों की धूम रही। जिसमें भारत की सांस्कृतिक परम्पराओं को एक सूत्र में बांधने और देश की एकता में लोकनाट्यों की गंभीर भूमिका और पौराणिक आस्थाओं को केन्द्र में रखकर हुये इन लोकनाट्यों में आंचलिकता की छाप स्पस्ट दिखाई दी। यह माना जाता है कि नृत्य अभिव्यक्ति का सबसे अच्छा माध्यम होते हैं। ऐसे में किसी राज्य की संस्कृति से रूबरू होने के लिये वहाँ की लोक नृत्य कलाओं को जानना सबसे अच्छा रहता है।
सागर के प्रसिद्ध भजन गायक ऋषि विश्वकर्मा ने भक्ति गीतों की अनूठी छटा विखेरी। जरा हल्के गाड़ी हांको, मेरे राम गाड़ी वाले, जरा धीरे धीरे गाड़ी हांको, मेरे राम गाड़ी वाले। गाड़ी म्हारी रंग रंगीली, पहिया है लाल गुलाल। जैसे ही प्रस्तुत किया तो दर्शक दीर्घा में बैठी भीड़ को गायक ने अपनी आवाज के जादू से एकटक कर दिया। फिर एक के बाद एक भगवान श्री राम को समर्पित भजनों की बौछारें देर रात्रि तक दर्शकों को रोके रही।
आज के क्रार्यक्रम - शरदोत्सव के मंच पर आज युवाओं के बेहद पसंदीदा कवि मशहूर शायर कुमार विश्वास एवं साथी दिल्ली द्वारा काव्य पाठ का आयोजन होगा।