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Chitrakoot Water Crisis: 'गगरी न फूटे चाहे खसम मर जाये'

मानिकपुर अन्तर्गत आने वाले सैकड़ो गाँव गर्मी शुरू होते ही पेयजल संकट की दुश्वारियां झेलने को मजबूर...

Zioul Haq
Report Zioul Haq
Published on: 22 Jun 2021 5:59 PM IST
Chitrakoot Water Crisis: गगरी न फूटे चाहे खसम मर जाये
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Chitrakoot Water Crisis : चित्रकूट जिले की तहसील मानिकपुर अन्तर्गत आने वाले सैकड़ो गाँव (Manikpur hundreds villages) गर्मी शुरू होते ही पेयजल संकट की दुश्वारियां झेलने को मजबूर हो जाते हैं। लाखों रुपये खर्च कर देने के बाद भी पाठा में यह समस्या पहले की तरह ही मुह बाय खड़ी है। जैसे-जैसे गर्मी की तपन बढ़ती है यहां ज़्यादातर गांव के जलश्रोत सूख जाते हैं और महिलायें मीलों पैदल चलकर मुश्किलों से भरी गगरी सिर में रखकर लाती है। महिलाएं पानी को अपने पति (खसम) से भी ज़्यादा मूल्यवान समझती हैं। शायद इसीलिये पाठा में कहावत है 'भौरा तेरा पानी ग़ज़ब करी जाए और गगरी न फूटै, चाहै खसम मर जाय। पेयजल का यह संकट एक बार फिर भयावह रुप धारण कर चुका है।

आपको कि गर्मियों में वैसे तो कुंवे, तालाब, हैण्डपम्प इत्यादि जो भी पेयजल श्रोत हैं सभी का जलस्तर नीचे चला जाता है। चित्रकूट जिले की तहसील मानिकपुर (Manikpur) अन्तर्गत में आने वाले मारकुंडी के जमुनिहाई गांव समेत सैकड़ों गांवों के हजारों ग्रामीणों को पेयजल संकट की त्रासदी ज़्यादा नजदीक से दिखाई पड़ती है। कई दशक पूर्व से पेयजल की दुश्वारियां झेल रहे यहां के ग्रामीणों को इस समस्या से निजात दिलाने में शासन प्रशासन भी नाकाम रहा है। ज़्यादातर जलश्रोत सूख जाने की वजह से गर्मियों में पहाड़ों और जंगलों के किनारे बने चोहड़ों से एनकेन प्रकारेण अशुद्ध जल लाकर पीने की विवशता यहां के ग्रामीण की नियति बन चुकी है।

अप्रैल माह में मई-जून जैसी तपन को सहकर पाठा की महिलायें मीलों पैदल चलकर पानी लाती है। यह पानी यहां के निवासियों के लिये अमृत के समान होता है, महिलाये तो पानी को पति से भी ज़्यादा मूल्यवान समझती है। आजादी मिलें पांच दशक से अधिक का समय व्यतीत हो गया है लेकिन पाठा में बसने वाले कोल आदिवासी आज भी मूलभूत सुविधाओ से वंचित है।

आखिर कब ऐसा समय आयेगा जब वर्षों से प्यासी यहां की बंजर जमीनों में फिर से फसलें लहलहा उठेंगी। बामुश्किल पीने के पानी की व्यवस्था करने वाले को नहाने के लिये भी पानी की उपलब्धता होगी, यह यक्ष प्रश्न है? बहरहाल अभी तो प्रशासनिक अमला आने वाले दिनों में पानी का संकट गहराने से अन्जान है लेकिन यह तय है कि पूर्व वर्षों की भाॅति इस वर्ष अभी से गर्मी इस बात का स्पष्ट संकेत दे रही है, इस बार यह जल संकट धीरे धीरे विकराल रुप धारण करेगा। ज़िलाधिकारी शुभ्रांत कुमार शुक्ला ने इस विकराल समस्या पर जल्द नियंत्रण पाने की बात कही है। ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें पानी के लिए जान जोखिम में डालनी पड़ती है। जंगलों से होकर पानी लेने जाना पड़ता है जहां ऊबड़खाबड़ रास्ता है और उससे संभले तो डकैतों का खौफ उन्हें पानी तक पहुँचा पाता है।



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