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Chitrakoot: पुलिस भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी करने वालों की जमानत खारिज

Chitrakoot News: UP पुलिस में आरक्षी नागरिक पुलिस भर्ती की लिखित परीक्षा में दूसरे के स्थान पर बैठकर परीक्षा देने के मामले में पकड़े गए मुन्ना भाई की जमानत सत्र न्यायाधीश ने खारिज कर दी है।

Sunil Shukla (Chitrakoot)
Published on: 7 March 2024 12:33 PM GMT
Chitrakoot: पुलिस भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी करने वालों की जमानत खारिज
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Chitrakoot News: उत्तर प्रदेश पुलिस में आरक्षी नागरिक पुलिस भर्ती की लिखित परीक्षा में दूसरे के स्थान पर बैठकर परीक्षा देने के मामले में पकड़े गए मुन्ना भाई की जमानत सत्र न्यायाधीश ने खारिज कर दी है। साथ ही अपने स्थान पर दूसरे को बैठाने वाले की जमानत भी खारिज कर दी गयी है।

5 लाख की हुई थी डील

जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी श्याम सुन्दर मिश्रा ने बताया कि पुलिस उप निरीक्षक श्याम देव सिंह ने कर्वी कोतवाली में बीती 18 फरवरी को सार्वजनिक परीक्षा अधिनियम के तहत अभियोग पंजीकृत कराया था। वादी के अनुसार 17 फरवरी 2024 को उत्तर प्रदेश पुलिस में आरक्षी नागरिक पुलिस पदों पर सीधी भर्ती की लिखित परीक्षा जगद्गुरू रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय चित्रकूट में थी। परीक्षा की दूसरी पाली में शाम 5 बजे जांच के दौरान अभ्यर्थी प्रतापगढ़ जिले के कुंडा थाने के ठाकुर का पुरवा मुर्तजापुर निवासी संदीप कुमार यादव का बायोमैट्रिक संदिग्ध पाया गया था। परीक्षा समाप्त होने पर मौके पर पहुंची पुलिस टीम ने जब केन्द्र के बाहर अभ्यर्थी से पूछताछ की तो उसने बताया कि वह प्रयागराज जिले के होलागढ़ थाने के तुलापुर का निवासी अजय कुमार है। वह संदीप कुमार के स्थान पर परीक्षा देने आया था। इसके लिए उसे प्रयागराज में एक व्यक्ति ने फोन से बुलाया था और संदीप से पांच लाख रूपए की डील हुई थी। जिसमें संदीप ने 50 हजार रूपए नगद दिए थे। 20 हजार रूपए उसे भी मिले थे।

कोर्ट ने माना गंभीर सामाजिक अपराध

फर्जी तरीके से आधार कार्ड और एडमिट कार्ड तैयार करके वह परीक्षा देने आया था। इस दौरान उसने परीक्षा केन्द्र के बाहर मौजूद संदीप कुमार को भी पकड़वा दिया। पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार करने के बाद जेल भेज दिया था। जेल में बंद दोनों आरोपियों ने इस मामले में अधिवक्ता के जरिए न्यायालय में जमानत प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया था। बचाव और अभियोजन पक्ष के अधिवक्ताओं की दलीलें सुनने के बाद सत्र न्यायाधीश विकास कुमार प्रथम ने कहा कि आरोपियों के इस कृत्य से मेहनत करने वाले अभ्यर्थियों को निराशा होती है। ऐसी प्रतियोगी परीक्षाओं को संचालित करने में राज्य सरकार का समय नष्ट होता है और लाखों रूपए की क्षति होती है। साथ की बेरोजगार अभ्यर्थियों को भी परेशानी होती है और उनका धन अपव्यय होता है। ऐसे में इसे गंभीर सामाजिक अपराध करार देते हुए जिला जज ने जमानत प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया

Sidheshwar Nath Pandey

Sidheshwar Nath Pandey

Content Writer

मेरा नाम सिद्धेश्वर नाथ पांडे है। मैंने इलाहाबाद विश्विद्यालय से मीडिया स्टडीज से स्नातक की पढ़ाई की है। फ्रीलांस राइटिंग में करीब एक साल के अनुभव के साथ अभी मैं NewsTrack में हिंदी कंटेंट राइटर के रूप में काम करता हूं। पत्रकारिता के अलावा किताबें पढ़ना और घूमना मेरी हॉबी हैं।

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