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Chitrakoot News: जियोपार्क में शामिल करने के लिए विशेषज्ञों ने भू-स्थलों का किया दौरा

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Sunil Shukla (Chitrakoot)
Published on: 2 Aug 2024 6:11 PM IST
Experts have made recommendations for inclusion in the Geopark Visit to geo-sites
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जियोपार्क में शामिल करने के लिए विशेषज्ञों ने भू-स्थलों का किया दौरा: Photo- Newstrack

Chitrakoot News: यूनेस्को जियोपार्क कार्यशाला का उद्घाटन 1 अगस्त को मध्य प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी द्वारा किया गया। कार्यशाला में देश भर के प्रतिनिधियों और विशेषज्ञ भू-वैज्ञानिकों ने भाग लिया और भूवैज्ञानिक विरासत स्थलों जानकी कुंड और कामदगिरि का एक क्षेत्रीय दौरा आयोजित किया गया। जानकी कुंड में हमें पृथ्वी के प्राचीन जीवनरूप स्ट्रोमेटोलाइट के रूप में मिलते हैं जो लाल शैवाल जीवाश्म हैं और लगभग 160 करोड़ वर्ष पुराने हैं।

भू-वैज्ञानिकों ने किया विरासत स्थलों का दौरा

कामदगिरि पर्वत में बुन्देलखंड क्रेटन और विंध्य पर्वतमाला के बीच संपर्क उजागर होता है यह पूरे मध्य भारत में केवल चित्रकुट में पाया जाता है। 2 अगस्त को अन्य विरासत स्थलों का दौरा किया गया जिसमें टुनटुनिया पहाड़, कालिंजर किला, बृहस्पति कुंड और रॉक पेंटिंग, साबरी फॉल शामिल हैं जिन्हें जियोपार्क क्षेत्र में शामिल करने का प्रस्ताव है। बृहस्पिति कुंड के शैल चित्र इस क्षेत्र में प्राचीन मानव गतिविधि का अभिलेख हैं। यह क्षेत्र झरनों का क्षेत्र है और इन्हें देखना एक रोमांचकारी अनुभव है। प्रोफेसर मुंकुंद शर्मा और अनिल साहू ने 45 लोगों की फील्ड पार्टी का नेतृत्व किया।


टनटना पहाड़

बाँदा जिले का टनटना पहाड़ नरैनी, अपनी भौगोलिक और प्राकृतिक विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध है, यहां की संगीतमय चट्टान अब जियोपार्क के रूप में मान्यता प्राप्त करने के रास्ते पर है। हाल ही में, इस क्षेत्र का दौरा करने के लिए एक प्रमुख वैज्ञानिकों के दल ने यहाँ की भूगर्भीय संरचनाओं और जैव विविधता का गहन अध्ययन किया। इस दल में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञ शामिल थे, जिनमें हालैण्ड निवासी और भारत में यूनेस्को के प्रमुख बेंन्नो बोअर, प्रोफेसर मुकुंद शर्मा, डॉ. अश्वनी अवस्थी प्रोफेसर कौशल कुमार शर्मा, डॉ. अनिल साहू, डॉ. आलोक पाण्डेय, प्रोफेसर विभूति रॉय, सृष्टी, डॉ. राजीव अग्रवाल, प्रोफेसर उदय भान, डॉ. पी. पी. शर्मा और स्थानीय निवासी विमल साहू शामिल थे।

यह वैज्ञानिक दल टनटना पहाड़ की भूगर्भीय संरचना, वनस्पतियों, जीवों और पर्यावरणीय स्थितियों का विस्तृत विश्लेषण करने के लिए आया था। टीम ने यहाँ की चट्टानों, मिट्टी और अन्य भूगर्भीय तत्वों का गहन निरीक्षण किया। इस विश्लेषण के बाद, उन्होंने पाया कि टनटना पहाड़ की भूगर्भीय विशेषताएँ और जैव विविधता इसे जियोपार्क के लिए उपयुक्त बनाती हैं।

टनटना पहाड़ की प्राचीन चट्टानों और विविध भूगर्भीय संरचनाओं ने वैज्ञानिकों को प्रभावित किया। यह क्षेत्र लाखों वर्षों पुराना माना जाता है, और यहाँ की चट्टानें तथा मिट्टी की संरचना इस क्षेत्र के ऐतिहासिक और भूगर्भीय महत्व को दर्शाती है। इसके अतिरिक्त, यहाँ की जैव विविधता में कई दुर्लभ वनस्पतियाँ और जीव शामिल हैं, जो इस क्षेत्र को और भी महत्वपूर्ण बनाते हैं।

टनटना पहाड़ क्षेत्र को मिलेगा संरक्षण और होगा विकास

जियोपार्क के रूप में मान्यता मिलने से टनटना पहाड़ क्षेत्र के संरक्षण और विकास को नई दिशा मिलेगी। जियोपार्क एक ऐसा क्षेत्र होता है जो भूगर्भीय संरचनाओं, प्राचीन चट्टानों, और अन्य प्राकृतिक विशेषताओं की सुरक्षा और संरक्षण के साथ-साथ स्थानीय सांस्कृतिक धरोहर को भी प्रोत्साहित करता है। इसके माध्यम से स्थानीय समुदाय को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे और पर्यटकों को इस क्षेत्र की अनूठी विशेषताओं को देखने का अवसर मिलेगा।

वैज्ञानिकों के दल ने टनटना पहाड़ को जियोपार्क के रूप में मान्यता देने की सिफारिश की है, जिससे क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा मिलेगा। स्थानीय लोगों, पर्यावरणीय विशेषज्ञों और सरकारी अधिकारियों के सहयोग से इस क्षेत्र को एक विश्वस्तरीय जियोपार्क के रूप में विकसित किया जाएगा, जो न केवल भूगर्भीय अनुसंधान के लिए महत्वपूर्ण होगा, बल्कि पर्यावरणीय संरक्षण और स्थानीय विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।


स्थानीय लोगों को मिलेगा लाभ

टनटना पहाड़ नरैनी का जियोपार्क में शामिल होना न केवल वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा, बल्कि यह स्थानीय समुदाय के जीवन में भी सकारात्मक परिवर्तन लाएगा। इस पहल से क्षेत्र की प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहर की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, और इसे वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त करने का अवसर मिलेगा

प्रतिनिधियों ने इन स्थलों के महत्व और उन्हें जियोपार्क स्थलों की सूची में शामिल करने पर चर्चा की। स्थलों का उनके भूवैज्ञानिक, भौगोलिक और पुरातात्विक महत्व के लिए पता लगाया गया। समापन समारोह से पहले यह क्षेत्र भ्रमण कल भी जारी रहेगा जिसमें सभी गुप्तगोदावरी गुफाओं और स्फटिक शिला का दौरा करेंगे।



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Shashi kant gautam

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