Chitrakoot News: बांधों में पानी न होने से सिंचाई पर मंडरा रहा खतरा, किसानों में निराशा

Chitrakoot News: बारिश कम होने से बांधों में पर्याप्त पानी नहीं भर पाया है। रसिन, ओहन व बरुआ बांध से नहरों के जरिए काफी रकबे की सिंचाई होती है। लेकिन इस वर्ष बांधों में पानी न होने से पलेवा और सिंचाई पर खतरा मंडरा रहा है।

Sunil Shukla (Chitrakoot)
Published on: 30 Oct 2023 11:41 AM GMT
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चित्रकूट में बांध में पानी न होने से सिंचाई पर मंडरा रहा खतरा (न्यूजट्रैक)

Chitrakoot News: इस वर्ष जिले में बारिश कम हुई है। जिसके चलते जिले के बांधों में पर्याप्त पानी नहीं भर पाया है। जनपद में रसिन, ओहन व बरुआ बांध से नहरों के जरिए काफी रकबे की सिंचाई होती है। लेकिन इस वर्ष बांधों में पानी न होने से पलेवा और सिंचाई पर खतरा मंडरा रहा है। मौजूदा समय पर किसानों को पलेवा के लिए पानी की भी जरुरत है। इस साल कृषि विभाग ने गेहूं के आच्छादन को लगभग दोगुना किया है।

इस तरह जिले में करीब 90 हजार हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई होगी। जिससे सिंचाई के लिए पानी की और जरुरत है। सिंचाई विभाग के मुताबिक बरुआ बांध 17 प्रतिशत, ओहन बांध 14 प्रतिशत एवं रसिन बांध में 37 प्रतिशत पानी मौजूदा समय पर उपलब्ध है। इस तरह देखा जाए तो बरुआ 15 दिन, ओहन 14 व रसिन बांध से 43 दिन नहरों में पानी चलाना सिंचाई विभाग ने प्रस्तावित किया है। फलस्वरूप रसिन इलाके में किसी तरह किसानों को पलेवा व सिंचाई के लिए कुछ पानी मिल जाएगा, लेकिन ओहन व बरुआ बांध से जुड़े किसानों के सामने दिक्कतें होंगी। बांधों में पानी कम होने की वजह से सिंचाई विभाग ने किसानों से कम पानी वाली फसलें बोने पर जोर दिया है।


निजी नलकूपों के भरोसे किसान करते सिंचाई

जिले में ज्यादातर किसान निजी नलकूपों के ही भरोसे सिंचाई करते है। क्योंकि नहरों के भरोसे टेल तक पानी ही नहीं पहुंच पाता। इस समय अभी नहरों में पानी नहीं छोंडा गया है। जबकि किसान पलेवा को लेकर परेशान है। डेढ़ सप्ताह पहले तक तेज धूप के कारण खेतों की नमी भी खत्म हो गई है। इधर बारिश भी नहीं हुई है। जिससे किसान खेतों की सिंचाई के बाद ही बुवाई कर पा रहे है।

गर्मियों में मवेशियों को पीने के पानी का होगा संकट

बांधों में पानी कम होने से आगामी गर्मी में मवेशियों के लिए पीने के पानी का भी संकट होगा। क्योंकि पलेवा व गेहूं की सिंचाई के लिए नहरें चलाई जाएंगी। जिससे निश्चित तौर पर पानी बांधों की तलहटी तक पहुंच जाएगा। वैसे भी जिले में गर्मी के दौरान पेयजल संकट रहता है। सर्वाधिक पाठा क्षेत्र में बांधों के भरोसे ही गर्मी में मवेशियों को पीने का पानी मिल पाता है। ऐसी स्थिति में लोगों को दिक्कतें उठानी पड़ेंगी।

Shishumanjali kharwar

Shishumanjali kharwar

कंटेंट राइटर

मीडिया क्षेत्र में 12 साल से ज्यादा कार्य करने का अनुभव। इस दौरान विभिन्न अखबारों में उप संपादक और एक न्यूज पोर्टल में कंटेंट राइटर के पद पर कार्य किया। वर्तमान में प्रतिष्ठित न्यूज पोर्टल ‘न्यूजट्रैक’ में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं।

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