Chitrakoot News: मैं अंधा नहीं हूं, मैंने अंधे होने की रियायत कभी नहीं ली, मैं भगवान श्री राम को बहुत करीब से देखता हूं'

Chitrakoot News: जगद्गुरु रामभद्राचार्य आज 75 वर्ष के हो चुके संत गुरुदेव जन्म से सूरदास हैं। स्कूल में हर कक्षा में उन्हें 99% से कम अंक नहीं मिले। उन्होंने 230 किताबें लिखी हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि राम जन्मभूमि मामले में उन्होंने हाई कोर्ट में 441 साक्ष्य देकर यह साबित किया कि भगवान राम का जन्म यहीं हुआ था।

Sunil Shukla (Chitrakoot)
Published on: 14 Jan 2024 7:08 PM GMT
I am not blind, I never took the concession of being blind, I look at Lord Shri Ram very closely
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मैं अंधा नहीं हूं, मैंने अंधे होने की रियायत कभी नहीं ली, मैं भगवान श्री राम को बहुत करीब से देखता हूं': Photo- Newstrack

Chitrakoot News: जगद्गुरु रामभद्राचार्य आज 75 वर्ष के हो चुके संत गुरुदेव जन्म से सूरदास हैं। स्कूल में हर कक्षा में उन्हें 99% से कम अंक नहीं मिले। उन्होंने 230 किताबें लिखी हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि राम जन्मभूमि मामले में उन्होंने हाई कोर्ट में 441 साक्ष्य देकर यह साबित किया कि भगवान राम का जन्म यहीं हुआ था।

उनके द्वारा दिये गये 441 साक्ष्यों में से 437 को न्यायालय ने स्वीकार कर लिया। उस दिव्य पुरुष का नाम है जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी। 300 वकीलों से भरी अदालत में विरोधी वकील ने गुरुदेव को चुप कराने और बेचैन करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उनसे पूछा गया था कि क्या रामचरित मानस में रामजन्मभूमि का कोई जिक्र है?

सर, आप एक दिव्य आत्मा हैं

तब कुलाधिपति रामभद्राचार्यजी ने संत तुलसीदास की चौपाई सुनाई जिसमें श्री रामजन्मभूमि का उल्लेख है। इसके बाद वकील ने पूछा कि वेदों में क्या प्रमाण है कि श्रीराम का जन्म यहीं हुआ था? जवाब में रामभद्राचार्यजी ने कहा कि इसका प्रमाण अथर्ववेद के दूसरे मंत्र दशम कांड के 31वें अनुवाद में मिलता है। यह सुनकर न्यायाधीश की पीठ ने, जो एक मुस्लिम न्यायाधीश था, कहा, “सर, आप एक दिव्य आत्मा हैं।”

जगद्गुरु रामभद्राचार्यजी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर कहा, "आपके गुरु ग्रंथ साहिब में राम का नाम 5600 बार उल्लेखित है।" ये सारी बातें रामभद्राचार्यजी ने सोशल मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में बताई हैं।

उन्हें नेत्रहीन कहना भी उचित नहीं

इस नेत्रविहीन संत महात्मा को इतनी सारी जानकारी कैसे हो गई, यह एक आम आदमी की समझ से परे है। वास्तव में वे कोई दैवीय शक्ति धारण करने वाले अवतार हैं। उन्हें नेत्रहीन कहना भी उचित नहीं है। क्योंकि एक बार प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनसे कहा कि "मैं आपके दर्शन की व्यवस्था कर सकती हूं।" तब इस संत महात्मा ने उत्तर दिया, "मैं दुनिया नहीं देखना चाहता।"

कहा कि मैं अंधा नहीं हूं। मैंने अंधे होने की रियायत कभी नहीं ली। मैं भगवान श्री राम को बहुत करीब से देखता हूं।' ऐसी पवित्र, अद्भुत प्रतिक्रिया को नमन है ।

Shashi kant gautam

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