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Chitrakoot News: 1950 में सद्गुरु रणछोडदास महाराज ने शुरु किया था नेत्र दान यज्ञ
Chitrakoot News: सदुगरू रणछोडदास महाराज ने वर्ष 1950 में सबसे पहले जानकीकुंड स्थित प्रमोदवन में घास-फूस की झोपडी बनाकर पहला नेत्रदान यज्ञ किया था। जिसमें नेत्र रोगियो के परीक्षण बाद दवाएं दी गई थी।
Chitrakoot News: सद्गुरु सेवा संघ ट्रस्ट के प्रथम चेयरमैन रहे अरविंद भाई मफतलाल को कलयुग का गृहस्थ संत भी लोग मानते है। क्योंकि उन्होंने जिस तरह से पूज्य गुरूदेव की संकल्पना को साकार करने के लिए गौसेवा व मानव सेवा की शुरुआत धर्मनगरी चित्रकूट में की थी, आज वह बड़ा रुप ले चुकी है। पूज्य गुरुदेव ने उनको यह प्रेरणा विहार में सूखाकाल के दौरान हुई मुलाकात के दौरान दिया था। सदुगरू रणछोडदास महाराज ने वर्ष 1950 में सबसे पहले जानकीकुंड स्थित प्रमोदवन में घास-फूस की झोपडी बनाकर पहला नेत्रदान यज्ञ किया था। जिसमें नेत्र रोगियो के परीक्षण बाद दवाएं दी गई थी। उस दौरान संसाधन के साथ ही आवागमन के रास्ते भी दुर्लभ रहे है।
बताते हैं कि वर्ष 1968 में सूखा ग्रस्त घोषित बिहार में प्रभावित लोगों की मदद के लिए लोग पहुंच रहे थे। सदगुरू रणछोडदास महाराज भी वहां लोगों की मदद के लिए पहुंचे थे। इसी बीच बिहार में सूखे से प्रभावित लोगों की सेवा करने आए मुंबई से कपडा व्यवसायी अरविंद भाई मफतलाल से उनकी मुलाकात हो गई। यहां उन्होने सदगुरू महाराज के कार्यों से प्रभावित होकर उनको अरविंद भाई मफतलाल ने पांच हजार रूपये दान स्वरूप सौपे थे। इसके बाद सद्गुरु महाराज ने सद्गुरू सेवा संघ ट्रस्ट की स्थापना चित्रकूट में करते हुए अरविंद भाई मफतलाल को पहला अध्यक्ष नियुक्त किया।
इसके पहले अरविंद भाई मफतलाल ने पूज्य गुरुदेव से सेवा की इच्छा जाहिर किया था। जिसमें गुरुदेव ने कहा था कि अगर सेवा ही करनी है तो गौसेवा और मानव सेवा धर्मनगरी चित्रकूट में करो। उनकी बात से प्रभावित होकर अरविंद भाई मफतलाल ने यहां सेवा का स्थान चुना। मौजूदा समय पर सद्गुरु सेवा संघ ट्रस्ट में गौसेवा व मानव सेवा दोनों ही पूज्य गुरूदेव की संकल्पना को साकार करने के लिए निरंतर की जा रही है। अरविंद भाई मफतलाल ने सद्गुरू के संरक्षण में लगातार लोगों की सेवा किया।
अकाल के दौरान भी नहीं डगमगाया ट्रस्ट
सद्गुरु सेवा संघ ट्रस्ट के जरिए प्रमोदवन में शुरुआती दौर पर शिविर लगते रहे। गांव-गांव से लोग अन्नदान के साथ ही अन्य सहयोग ट्रस्ट को देते रहे है। बताते हैं कि वर्ष 1980 में जब यहां पर सूखे की काली छाया ने धर्मनगरी चित्रकूट को भी अपनी आगोश में लिया तो उस समय लोगों की हालत खराब होने लगी थी। लेकिन फिर भी यह ट्रस्ट नहीं डगमगाया। पूज्य गुरुदेव के सानिध्य में ट्रस्ट ने प्रभावित लोगों की हर तरह से मदद किया।