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Chitrakoot News: जानें कौन सा राज छुपा है बांदा जिले की इन पहाड़ियों में?
Chitrakoot News: बांदा जिले के नरैनी गांव में स्थित बैलेंसिंग रॉक स्थानीय लोगों के कौतुहल का विषय बना हुआ है पर प्रहार करने पर मंदिर के घंटे की तरह टनटन की आवाज करती है।
जानें कौन सा राज छुपा है बांदा जिले की इन पहाड़ियों में: Video- Newstrack
Chitrakoot News: उत्तर प्रदेश का बुंदेलखंड अपनी विशिष्ट भूगर्भिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए आश्चर्य और कौतुहल का केंद्र रहा है इसी का जीवंत उदाहरण है बांदा जिले के नरैनी गांव में स्थित बैलेंसिंग रॉक जिसपर प्रहार करने पर मंदिर के घंटे की तरह टनटन की आवाज करती है। स्थानीय निवासी विमल साहू ने बताया कि स्थानीय लोग इसे टनटना पहाड़ी कहते हैं । इस असाधारण पहाड़ी के एक पत्त्थर ने हाल ही में अपनी अनूठी भूवैज्ञानिक विशेषताओं के लिए ध्यान आकर्षित किया है।
इस सन्दर्भ में विशेषज्ञ एवं भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण के पूर्व महानिदेशक डॉ. सतीश त्रिपाठी नें बताया कि ये रिंगिंग चट्टानें हैं, जिन्हें सोनोरस चट्टानों या लिथोफोनिक चट्टानों के रूप में भी जाना जाता है। ये विशिष्ट भूवैज्ञानिक संरचनाएं हैं ठोंकने पर घंटियों की तरह गूंजती हैं।
पहाड़ी से क्यों आती है टनटन की आवाज
ऐसी संरचनाएं दुनिया भर के विभिन्न स्थानों में पाई गई हैं, जिनमें इंग्लैंड में स्किडॉ के म्यूजिकल स्टोन्स, पेंसिल्वेनिया में रिंगिंग रॉक्स पार्क, न्यू साउथ वेल्स में किंद्रा की रिंगिंग रॉक्स और पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में बेल रॉक रेंज शामिल हैं। भारत में ऐसी चट्टानें केवल तेलंगाना राज्य के जनगांव और सिद्दीपेट में ही पाई जाती हैं। इस चट्टान की बनावट और इसकी विशिष्ट स्थिति के कारण ये आघात करनें पर टनटन की आवाज करती हैं।
चित्रकूट जियो पार्क
इस संबंध में डीएसएन कॉलेज उन्नाव के भूगोल विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर एवं जियो हेरिटेज विशेषज्ञ अनिल साहू ने बताया कि ये पत्थर उनके घनत्व, आंतरिक तनाव और संरचना जैसे कारकों के संयोजन के कारण प्रतिध्वनित होता है साथ ही यह स्थल प्रस्तावित चित्रकूट जियो पार्क का उत्तर प्रदेश में पड़ने वाला महत्वपूर्ण भू-पर्यटन स्थल है।
पर्यटकों के आने से क्षेत्र का विकास होगा
यदि इस पहाड़ी का भू-पर्यटन स्थल के रूप में विकास किया जाए तो न केवल क्षेत्र वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर होगा बल्कि क्षेत्र की स्थानीय संस्कृति को वैश्विक आयाम मिलेगा। अतर्रा पीजी कॉलेज ,अतर्रा के भूगोल विभाग के सहायक प्रोफेसर एवं पर्यावरण विद डॉ. अश्वनी अवस्थी नें बताया कि "चित्रकूट बांदा के बीच स्थित इस स्थल का यदि विकास होता है तो न केवल देश विदेश के पर्यटकों के आने से क्षेत्र का विकास होगा बल्कि बुदेलखंड और बांदा जिले की सांस्कृतिक धरोहर जैसे- बसंत के दौरान होरी या फाग, बरसात के मौसम में मल्हार और कजरी, बाँदा जिले के शजर पत्थर को वैश्विक पहचान मिलेगी।