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प्राथमिक विद्यालय उजरियांव में क्रिसमस पर महके नन्हें फूल
वैसे तो प्राथमिक स्कूलों में समाज के वंचित तबकों के बच्चे पढ़ने जाते हैं उनके साथ सामान्यतः किसी इनोवेटिव काम की कल्पना भी नहीं की जाती है। लेकिन इन्हीं गरीब और जरूरतमंद बच्चों को साथ लेकर कोई अलग से कुछ अलग करे जिसमें प्रत्येक बच्चे की न सिर्फ भागीदारी हो बल्कि उनकी खिलखिलाहट भी गूंजे तो इसे सराहा ही जा सकता है।
लखनऊ: मशहूर शायर निदा फाजली का शेर है, घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूँ कर लें, किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाए। दिल में अगर कुछ करने की तमन्ना हो तो एक अध्यापक क्या नहीं कर सकता है। लखनऊ में प्राथमिक विद्यालय उजरियांव नगर क्षेत्र जोन दो गोमतीनगर की प्रधानाध्यापिका के प्रयासों ने ऐसे ही कई बच्चों के चेहरों पर मुस्कान बिखेरने का काम किया है।
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वैसे तो प्राथमिक स्कूलों में समाज के वंचित तबकों के बच्चे पढ़ने जाते हैं उनके साथ सामान्यतः किसी इनोवेटिव काम की कल्पना भी नहीं की जाती है। लेकिन इन्हीं गरीब और जरूरतमंद बच्चों को साथ लेकर कोई अलग से कुछ अलग करे जिसमें प्रत्येक बच्चे की न सिर्फ भागीदारी हो बल्कि उनकी खिलखिलाहट भी गूंजे तो इसे सराहा ही जा सकता है।
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इस प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका सरिता शर्मा ने कुछ ऐसा ही किया क्रिसमस को लेकर बच्चों की जिज्ञासा और हरदिन पूछे जाने वाले सवालों से प्रेरित होकर उन्होंने बच्चों के साथ मिलकर क्रिसमस मनाया जिसमें क्रिसमस ट्री, सेंटा क्लाज बनकर बच्चों ने खूब आनंद लिया। इसके लिए कई दिन तक तैयारी करनी पड़ी। एक एनजीओ का सहयोग भी मिला। और बच्चों के सपनों को पंख लग गए।
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सरिता शर्मा बताती हैं कि दो दिन से इंटरवल के बाद बच्चे इस कार्यक्रम की तैयारी कर रहे थे। एक बच्चा इरफान दिव्यांग है इस बच्चे का वह खुद बहुत ध्यान रखती हैं। वह खड़ा नहीं हो पा रहा था बच्चों के बीच, उन्होंने हौसला बढ़ाया और क्रिसमस शो नन्हें फूलों से महक उठा।