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देश में होगा पहली बार: स्वच्छता के लिए ऐसी तकनीक, विशेषज्ञ बना रहे मॉडल

नाले की सतह से पानी को साफ किया जाएगा। यदि योजना कारगर हुई तो यह देश की पहली परियोजना होगी। जिसके बाद शहर के अन्य नालों की की साफ-सफाई ऐसी ही की जाएगी।

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Published on: 20 Sep 2020 1:50 PM GMT
देश में होगा पहली बार: स्वच्छता के लिए ऐसी तकनीक, विशेषज्ञ बना रहे मॉडल
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प्राकृतिक तरीके से होगी कोंडली नाले की सफाई, विशेषज्ञ बना रहे मॉडल, देश में होगी ऐसी पहली योजना

नोएडा: कोंडली नाले के गंदे पानी का शोधन नाले के अंदर ही प्राकृतिक रूप से करने की योजना है। शुद्धिकरण के बाद पानी को यमुना में डाला जाएगा। योजना का प्रारूप तैयार कर लिया गया है। नाले में 500 मीटर की दूरी पर छह प्वाइंट चिन्हित किए गए हैं। यह वह प्वाइंट है जहा सर्वाधिक दूषित पानी रहता है। इन्हीं प्वाइंट पर गंदे पानी व मलबे को शोधित किया जाएगा। यदि सब ठीक रहा तो यह देश की पहली योजना होगी। जिसमे नाले के अंदर ही पानी को साफ किया जाएगा।

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प्राकृतिक रूप से पानी होगा शुद्धीकरण

कोंडली नाला 17.1 किमी की लंबाई में फैला हुआ है। इसका 13.1 किमी का एरिया सिचाईं विभाग के पास है जबकि 4.0 किमी को एरिए के अनुरक्षण कार्य नोएडा प्राधिकरण द्वारा किया जाता है। इसकी साफ-सफाई पर प्रत्येक साल करोड़ों रुपए खर्च किए जाते है। नाले में 500 मीटर पर नाले के बेड (आधार) पर छह प्वाइंट पर अलग-अलग तरीके से पैच बनाए जाएंगे। जैसे पहले प्वाइंट पर क्रश बैरियर बनाए जाएंगे। इसके बाद अगले पहच पर प्राकृतिक पत्थर लगाए जाएंगे। जिससे गंदा पानी शोधित किया जाएगा।

संयुक्त टीम कर रही अध्ययन

इस योजना को साकार रूप देने के लिए नोएडा प्राधिकरण, दिल्ली विवि के प्रोफेसर व सिचाई विभाग व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम ने दिल्ली बसंत कुंज के पास बने बायोडायर्वसिटी पार्क का अध्ययन किया। यहा नाले को इसी तरह से शुदध किया गया। नोएडा में 17.1 किमी लंबे नाले पर यह कार्य होगा। सिचाई विभाग द्वारा इस योजना का डिजाइन तैयार कर लिया गया है। योजना पर करीब 43 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। इसे दिल्ली आईआईटी भेजा गया है। जहा से मंजूरी मिलने के बाद ही एमओयू साइन किए जाएंगे।

देश में होगी ऐसी पहली योजना

कोंडली नाला दिल्ली से निकलते हुए नोएडा से होते हुए यमुना में गिरता है। प्राधिकरण ने बताया कि नोएडा में नाले में शोधित पानी डाला जाता है। लेकिन यह ड्रेन दिल्ली कमी घनी आबादी से होकर आती है ऐसे में इसमे बिना शोधित किए पानी डाला जाता है। लिहाजा नाले की सतह से पानी को साफ किया जाएगा। यदि योजना कारगर हुई तो यह देश की पहली परियोजना होगी। जिसके बाद शहर के अन्य नालों की की साफ-सफाई ऐसी ही की जाएगी।

रिपोर्ट: दीपांकर जैन

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