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ईरान और इराक के धर्मगुरुओं ने कहा-अयोध्या में अलग जगह बने मस्जिद-ए-अमन
लखनऊ। उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड ने ईरान-इराक के वरिष्ठ धर्मगुरुओं से बाबरी मस्जिद मुद्दे पर सवाल कर, माँगा था जवाब। जिसमें शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिज़वी का दावा है कि अयातुल्लाओं से पूछे गए सवालों में किसी ने नहीं कहा कि उस जगह पर मस्जिद बने।
आज लखनऊ में एक प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इस प्रकरण में मेरे द्वारा ईरान और इराक के आयतुल्लाह से भी राय मांगी गयी थी जिसमें दो जवाब बोर्ड को प्राप्त हुए हैं। जनाब सै. अली फ़ातमी द्वारा भेजी गयी राय में कहा गया है कि अलग जगह पर अलग मस्जिद बनाने की कोशिश की जाये, वही जनाब आयतुल्लाह मकारिम शिराज़ी साहब द्वारा भेजी गयी राय में कहा गया है कि लड़ाई, झगडा़, विवाद मना है। कानून या दोस्ताना माहौल में बात-चीत करके मामला हल कर लिया जाये। वसीम ने कहा कि सऊदी अरब में भी सड़क निर्माण करने के लिए मस्जिद ट्रांसफर कर दी गई थी। बोर्ड अपने स्टैंड पर है।
मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड के नायब सद्र जनाब डा. कल्बे सादिक़ साहब की विवादित जगह को हिन्दू समाज को दे देने की बात कह चुके हैं। शिया वक्फ बोर्ड ने यह भी निर्णय लिया है कि आपसी समझौते से मस्जिद का निर्माण विवादित स्थल से दूर किसी मुस्लिम बहुमूल्य क्षेत्र में किया जायेगा।
उन्होंने कहा कि अगर ऐसा संभव होता है तो शिया वक्फ बोर्ड उस मस्जिद का नाम मुगल बादशाह बाबर या उसके सेनापति मीर बाक़ी के नाम पर नहीं रखेगा। बोर्ड चाहता है कि इनका नाम इस विवाद के ख़त्म होने पर वहीं दफ़न हो जाय। नई मस्जिद का नाम मस्जिद-ए-अमन रखा जायेगा जिससे देश में अमन का पैग़ाम फैले। मेरे ऊपर कोई सरकारी दबाव नहीं है और न ही मैं भाजपा से हूं।
उन्होंने कहा कि ये विवाद 1528 में जन्म लिया। पुरातत्व विभाग भी कह चुका है कि वहां मंदिर के अवशेष मिले हैं। अगर ऐसा सही है कि वहां मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई, तो वह जगह इबादत के लायक ही नहीं है।
रिजवी ने कहा कि 1944 तक उस मस्जिद में इंतजाम का जिम्मा शिया समुदाय के पास रहा। सुन्नी वक्फ बोर्ड ने उस समय यह कहकर मस्जिद पर कब्जा कर लिया कि यह मस्जिद बाबर ने बनवाई। सुन्नी वक्फ बोर्ड ने उस समय यह क्यों नहीं कहा कि यह सुन्नी-शिया का मसला नहीं है।
रिजवी ने साफ किया कि सुन्नी और शिया मस्जिदें अलग-अलग होती हैं। दोनों ही मस्जिदें अपने-अपने बोर्ड में दर्ज होती हैं।
उन्होंने कहा, "इस विवाद को खत्म करने के लिए हम अपने स्टैंड पर कायम हैं। हम एक कदम और आगे बढ़कर कहते हैं कि उस मस्जिद का नाम हम इन जालिमों के नाम पर नहीं रखेंगे। बाबर हिंदुस्तान में आया था, हिंदुस्तान में पैदा नहीं हुआ था। ये लोग हिंदुस्तान को लूटने आए थे, जैसे ये आए थे वैसे ही फिरंगी आए थे। इनमें और फिरंगी में कोई फर्क नहीं।"