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CM के गढ़ में उन्ही के आदेश की उड़ रही धज्जियां, घनी आबादी में चालू पटाखा कारोबार
गोरखपुर के कोतवाली और राजघाट थाने का इलाका इस कारोबार के लिए सबसे मुफीद जगह है हालांकि शहर के अन्य थाना क्षेत्रों में भी धड़ल्ले से बारूद का कारोबार होता है।
गोरखपुर: "शहर के घने इलाकों में पटाखों के भंडारण की कोई सूचना नही है, यदि ऐसी कोई जानकारी मिलती है तो छापे मारे जाएंगे" यह कहना है सिटी मजिस्ट्रेट गोरखपुर विवेक कुमार श्रीवास्तव का लेकिन हकीकत इसके बिलकुल अलग है।
पुलिस की नाक के नीचे चल रहा पटाखा कारोबार
- शहर में पुलिस की नाक के नीचे चाइनीज़ पटाखों व देसी बारूदी पटाखों का कारोबार धड़ल्ले से किया जा रहा है।
- इस त्योहारी सीजन में घनी आबादी के बीच एक नहीं दर्जनों दुकानें लगा रखी हैं।
गोरखपुर के कोतवाली और राजघाट थाने का इलाका इस कारोबार के लिए सबसे मुफीद जगह है हालांकि शहर के अन्य थाना क्षेत्रों में भी धड़ल्ले से बारूद का कारोबार होता है।
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इस धंधे से जुड़े जानकारों का कहना है कि शहर की घनी आबादी में हो रहे इस कारोबार में भारी मुनाफा होता है। लेकिन इस लाभ में कारोबारी अकेला नहीं है बल्कि कई अदृश्य हिस्सेदार भी बारूद के इस कारोबार में शामिल होते हैं।
जानकारों का यह भी कहना है कि त्योहारों के सीजन में परिवार और रिश्तेदारों के साथ साथ आला अधिकारियों के लिए भी भरपूर पटाखों का इंतेजाम इन्हीं दुकानदारों से किया जाता है।
पिछले वर्ष जब शहर में भारी मात्रा में घनी आबादी वाले इलाकों से पटाखों की बरामदगी हुई थी तो किसी अनहोनी की आशंका से हड़कंप मच गया था। एसओजी द्धारा बरामद बारूद को शहर की तबाही के लिए पर्याप्त बताया जा रहा था।
सूत्रों की माने तो इस बार पिछले साल से भी ज्यादा बारूद का जखीरा शहर की घनी आबादी के बीच जमा कर लिया गया है। इन बारूदों तक कहीं से कोई चिंगारी पहुंची, तो शहर के एक बड़े हिस्से में भारी तबाही के साथ जानमाल का भी नुकसान हो सकता है।
सीएम ने आदेश जारी किया था कि घनी आबादी वाली जगह पर पटाखों का कारोबार नहीं किया जाएगा। इससे कोई भी अनहोनी हो सकती है जिससे जान-माल का नुकसान होन स्वाभाविक होगा। इसके बावजूद उन्ही के गढ़ में उनके आदेश का पालन ना कर लोग अपनी मनमानी कर रहे हैं।