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सीएम की परीक्षा में फेल हुआ योगी का गोरखपुर....आखिर क्यों ?
गोरखपुर : लंबी-लंबी बैठकें, समीक्षा दर समीक्षा, लेकिन नतीजा सिफर। कुछ यही तस्वीर बनी है, मुख्यमंत्री के गृह जिले गोरखपुर की।मुख्यमंत्री ने जन शिकायतों के समय से निस्तारण होने की स्थिति जानने के लिए जिलेवार समीक्षा की, तो गोरखपुर फिसड्डी साबित हो गया। निस्तारण के मामले में गोरखपुर का नाम यूं ही नहीं सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले प्रदेश के 10 जिलों की सूची में दर्ज हुआ है। यहाँ जिला स्तरीय अधिकारियों के स्तर पर ही कई सौ जनशिकायतें लंबित हैं।
जनशिकायतों का निस्तारण शासन की सर्वोच्च प्राथमिकता होती है, और जन शिकायतों का निस्तारण कर जनता को राहत देना प्रशासन की जिम्मेदारी होती है, जिलाधिकारी स्तर पर इसकी नियमित समीक्षा होती है, और रिपोर्ट शासन को भेजी जाती हैं।
जन शिकायतों के निस्तारण में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले 10 जिलों के डीएम और 10 जिलों के एसएसपी को नोटिस दी गई है, मुख्यमंत्री ने डीएम से स्पष्टीकरण और एसएसपी से जवाब मांगा है, इसमें गोरखपुर के जिलाधिकारी और एसएसपी भी शामिल है।
सर्वाधिक खराब प्रदर्शन करने वाले लखनऊ हरदोई गौतम बुद्ध नगर कानपुर गोरखपुर इलाहाबाद सीतापुर आगरा जौनपुर और खीरी जिले के डीएम है ।
जन शिकायतों के यह है संदर्भ...
मुख्यमंत्री कार्यालय ,ऑनलाइन प्राप्त शिकायतें, जिलाधिकारी को दी कई शिकायतें ,वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को दिए गए आवेदन, भारत सरकार की पीजी पोर्टल, तहसील दिवस के आवेदन, लोकवाणी कामन सर्विस सेंटर के माध्यम से भेजी गई जन शिकायतें, राजस्व परिषद निदेशालय से संदर्भित शिकायतें
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