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Yogi Government 2.0: आरम्भ है प्रचंड

Yogi Government 2.0: योगी 2.0 सरकार में बदले-बदले नजर आ रहे हैं। उनकी कार्यशैली बदली है। ऐसे में आम लोगों में बदले-बदले से दिख रहे योगी को लेकर अलग-अलग राय है।

Purnima Srivastava
Report Purnima SrivastavaPublished By Shreya
Published on: 22 April 2022 2:35 PM IST
UP: सीएम योगी जल्द करेंगे सीएफसी का लोकार्पण, मिलेगी यह सुविधा
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सीएम योगी (फोटो- न्यूजट्रैक)

Yogi Government 2.0: बुलडोजर बाबा के नाम से सुर्खियों में रहने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने बीते दिनों जब त्योहारों को लेकर थानाध्यक्ष से लेकर एडीजी तक की छुट्टियां रद्द की तो काननू-व्यवस्था को कायम करने की उनकी प्रतिबद्धता पर एक बार फिर मुहर लगी। लेकिन जब उन्होंने यह कहा कि 'सभी लोगों को अपनी धार्मिक विचारधारा के अनुसार अपनी उपासना पद्धति को मानने की स्वतंत्रता है, इसके लिए माइक और साउंड सिस्टम का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। लेकिन ये सुनिश्चित किया जाए कि साउंड सिस्टम की आवाज उस धार्मिक परिसर से बाहर न जाए', तो लोग थोड़ा असहज हुए। यह आदेश योगी की छवि के विपरीत दिखा।

फूल वैल्यूम में डीजे बजाने वाले कवाड़ियों पर फूल बरसाने वाले योगी के बदले तेवर की वजहों को लेकर सियासी गलियारों में चर्चा होने लगी है। एक वर्ग जहां इसे 'सबका साथ-सबका विकास और सबका भरोसा' की नीति पर चलने की कोशिश के रूप में देख रहा है, तो दूसरे को योगी के कथनी और करनी को लेकर संदेह है।

जमीनी स्तर पर दिख रहा बयान का असर

आरोप-प्रत्यारोप के बीच हकीकत कुछ भी हो, लेकिन बिना लाग लपेट के कहा जा सकता है कि योगी के बयान का असर जमीन पर दिख रहा है। मथुरा से लेकर नोएडा और लखनऊ से लेकर लखीमपुर तक मंदिर से लेकर मस्जिदों तक लाउडस्पीकर का वैल्यूम कम होने लगे हैं। लखनऊ के शिया धर्मगुरु सैफ अब्बास द्वारा अपने तबके से जुड़े तमाम मस्जिदों से की गई अपील का असर दिखने भी लगा है।

लखनऊ के शिया तारीख कमेटी के प्रमुख सैफ अब्बास योगी पर विश्वास जताते हुए कहते हैं कि 'जहां एक तरफ देश भर में राज्यों का इंटेलिजेंस फेल हो रहा है, दंगे हो रहे हैं, वहीं, उत्तर प्रदेश में शांति कायम है। इससे सभी वर्गों में मुख्यमंत्री के प्रति विश्वास बढ़ा है। इसीलिए सरकार के निर्देशों पर अमल के लिए लाउडस्पीकर की आवाज परिसर तक सीमित रखने और कोई धार्मिक आयोजन बाहर न करने की अपील की गई है।' इतना ही नहीं रमजान के महीने में अमन-चैन कायम रखने के लिए थानेदारों की अमन-पसंद लोगों के साथ बैठकों की तस्वीरें भी सामने आने लगी हैं।


लोगों की योगी को लेकर अलग-अलग राय

जाहिर है, पहले कार्यकाल में भाषणों में योगी आदित्यनाथ द्वारा भले सबका साथ-सबका विश्वास की बात कही जाती रही लेकिन अमल यदा कदा ही दिखता था। लेकिन योगी 2.0 में सरकार (Yogi Government 2.0) बदले-बदले नजर आ रहे हैं। उनकी कार्यशैली बदली है। वे पहले से परिपक्व नजर आते हैं। हालांकि आम लोगों में बदले-बदले से दिख रहे योगी को लेकर अलग-अलग राय है। साहित्यकार देवेन्द्र आर्य को योगी आदित्यनाथ के कदम में संदेह दिख रहा है।

वह कहते हैं कि 'योगी जैसे कट्टर हिन्दुत्व की छवि वाले नेताओं की कथनी और करनी में अंतर पहले भी दिखा है। सबको साथ लेकर चलने जैसे दिखने वाले इस बयान की हकीकत के लिए थोड़ा इंतजार करना होगा। नि:संदेह ही योगी जो बातें कह रहे हैं, वे अच्छी हैं। लेकिन इनकी दो रंगी नीतियों के चलते यह बयान पोलिटिकल स्टंट (Political Stunt) भी हो सकता है। पिछले दिनों ऐसा ही बयान गृह मंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) ने दिया था। लगता है ऊपर से ऐसा करने का आदेश है।

डैमेज कंट्रोल की कोशिश

बीते दिनों धार्मिक आयोजनों के बाद बिगड़े हालात को देखते हुए इसे डैमेज कंट्रोल की कोशिश भी कह सकते हैं।' आर्य कहते हैं कि 'पिछले दिनों जिस तरह धार्मिक जुलूस में दो वर्ग आमने-सामने आए हैं, वह मिशन 2024 के लिए अच्छा संकेत नहीं है। हो सकता है कि इसी डैमेज कंट्रोल को लेकर योगी के सुर बदले हों।' व्यापारी नेता अभिषेक शाही कहते हैं कि 'पहले कार्यकाल में योगी का बुलडोजर आजम खां, अतीक अहमद, मुख्तार अंसारी जैसे रसूख वालों के गलत तरीके में बने निर्माण पर चला था। जिसका लोगों का समर्थन भी मिला। लेकिन दूसरे कार्यकाल में 100 दिन के अंदर ही पूरे प्रदेश में चलाए गए अतिक्रमण अभियान में बुलडोजर का रूख रेहड़ी-पटरी वालों पर हो गया। नोएडा से लेकर गोरखपुर में इसका विरोध हो रहा है। इसे देखते हुए ही योगी के तेवर में थोड़ी नरमी दिख रही है।' हालांकि बड़ा वर्ग ऐसा भी है जो इसे योगी के परिपक्व नेता के रूप में उभरने का संकेत मान रहा है।

पेशे से चिकित्सक डॉ.संजय श्रीवास्तव कहते हैं कि 'बतौर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पांच साल गुजार चुके हैं। पहले और दूसरे कार्यकाल में योगी के बाडी लैग्वेज में भी बदलाव दिख रहा है। वह पहले भी कहते रहे हैं कि सम्मान सभी का होगा, लेकिन तुष्टिकरण किसी का नहीं होने देंगे। यह बयान इसी दिशा में दिख रहा है। धार्मिक स्वतंत्रता का अर्थ उत्पात और हुडदंग नहीं है। ये बात दोनों वर्गों पर लागू होती है।'

वरिष्ठ पत्रकार गिरीश पांडेय का कहना है कि 'सीएम योगी पहले से तय मानकों पर ही आगे बढ़ रहे हैं। उनका पहले से मानना रहा है कि कोई नई धार्मिक परम्परा नहीं शुरू होगी। इसे ही लेकर वे आगे बढ़ रहे हैं। पांडेय कहते हैं कि 'पीएम नरेन्द्र मोदी के मंत्र सबका साथ-सबका विकास में सभी का भरोसा भी जुड़ गया है। इसी भरोसे को कायम रखने के लिए योगी इस मुद्दे पर प्रतिबद्ध दिख रहे हैं कि किसी भी धार्मिक प्रयोजन में लाउडस्पीकर की आवास परिसर से बाहर नहीं आनी चाहिए।'

दिल्ली में पत्रकारिता कर रहे दिनेश अग्रहरि का मानना है कि 'योगी के सामने बड़ी चुनौती 2024 का लोकसभा चुनाव है। यूपी में मिलने वाली लोकसभा सीटों से योगी का राजनीतिक भविष्य तय होना है। सभी को मालूम है कि यूपी में स्थितियां बिगड़ी तो केन्द्र में सत्ता वापसी मुश्किल होगी। इसलिए योगी कोई चूक नहीं होने देना चाहते हैं। मंत्रियों का स्वतंत्र वजूद दिख रहा है, तो विधायकों और सांसदों को भी तबज्जो मिल रही है।'

मंत्रियों का बढ़ा 'पॉवर', पर बढ़ गई निगरानी

योगी ने मंत्रियों को 100 दिन का एजेंडा तय करने में लगा दिया है। 100 दिन के अंदर सभी मंत्रियों को अपने-अपने विभागों की समीक्षा करनी होगी। इस समीक्षा के आधार पर काम की योजना तैयार कर मास्टर प्लान बनाना होगा। जाहिर है इससे मंत्रियों के जीत का जश्न मनाने की योजना पर खलल तो पड़ा ही है। ज्यादातर मंत्री विभाग के साथ ही फील्ड में सक्रिय भी दिखने लगे हैं। स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक, नगर विकास मंत्री अरविंद शर्मा, परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह जैसे कई मंत्री 100 दिन के एजेंडा पर काम करते दिख रहे हैं।

25 मार्च को शपथ लेने के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ताबड़तोड़ फैसले ले रहे हैं। सरकार के गठन और विभागों के बंटवारे के बाद अब नजर मंत्रियों के काम-काज पर है। इतना ही नहीं योगी ने साफ कर दिया है कि मंत्रियों को पुराना स्टाफ रखने की छूट नहीं होगी। वे अपनी पसंद से निजी स्टाफ भी नहीं रख सकेंगे। मंत्रियों पर नकेल की कवायद के क्रम में योगी का निर्देश है कि कैबिनेट के समक्ष विभागीय प्रस्तुतियां संबंधित मंत्री द्वारा ही दी जाएंगी। विभागीय अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव केवल सहायता के लिए वहां मौजूद होंगे। वहीं सचिव या निचले स्तर के अधिकारी सीएम को ब्रीफिंग नहीं दे सकेंगे।

पहले मंत्रियों की शिकायत रहती थी कि सीएम खुद सभी विभागों की समीक्षा लेते हैं। ऐसी शिकायतों के बाद योगी ने कार्यशैली में बदलाव किया है। पहली सरकार में सीएम योगी ने खुद सभी विभागों की लगातार समीक्षा बैठक की थी। उस बैठक में भी विभाग के अधिकारियों के साथ ही विभागीय मंत्री शामिल रहते थे। इस बार विभागीय मंत्रियों को अपने अधिकारियों के साथ समीक्षा करनी होगी। मंत्रियों के सैर सपाटे और फिजूलखर्ची पर भी योगी ने नकेल कसी है। सरकार का स्पष्ट निर्देश है कि सूबे का कोई भी मंत्री अगर यूपी से बाहर जा रहा है तो उसकी जानकारी उसे सीएम और पार्टी दोनों को देनी होगी।

सरकारी धन के दुरुपयोग और किसी भी तरह की कॉन्ट्रोवर्सी से बचने का भी स्पष्ट निर्देश है। जिन मंत्रियों के पास पहले से ही आवास है, उन्हें नए बदलाव की जरूरत नहीं है। इतना ही नही मंत्रियों के लिए नई गाड़ियां नहीं खरीदी जाएंगी। बड़ी लग्जरी गाड़ियां और घर-दफ्तर में नई साज-सज्जा के साथ ही नए फर्नीचर की खरीदारी नहीं होगी। इससे फिजूलखर्ची पर रोक लगेगी। इतना ही नहीं योगी अपने दोनों डिप्टी सीएम के साथ सामंजस्य बिठाते हुए भी नजर आ रहे हैं।

पिछले दिनों लखनऊ में हुई कैबिनेट की बैठक के बाद योगी डिप्टी सीएम केशव मौर्या के साथ एक ही गाड़ी से निकलते दिखे थे। वरिष्ठ पत्रकार गिरीश पांडेय कहते हैं कि 'योगी पहले से समय सीमा को लेकर संजीदा रहे हैं। इसीलिए वे 100 दिन, छह महीना, दो साल और पांच साल की कार्ययोजना बनाकर आगे बढ़ रहे हैं। इसी कार्ययोजना पर अमल के लिए समय-समय पर वह समीक्षा करेंगे।'

जनप्रतिनिधियों को संग लेकर प्रशासन पर प्रभावी दखल

पहले कार्यकाल में विधायकों द्वारा आवाज उठती रही थी कि अधिकारी उनकी नहीं सुनते हैं। इन आरोपों को बेदम करने के लिए योगी आदित्यनाथ ने मंडल स्तरीय अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी में बैठकें करना शुरू कर दिया है। बीते दिनों गोरखपुर में सीएम योगी ने विधायकों, सांसदों की मौजूदगी में अधिकारियों के साथ बैठक की। माना जा रहा है कि ऐसी ही मंडल स्तरीय बैठकें लगातार आयोजित होंगी। जिससे अफसरों और जनप्रतिनिधियों में संवाद कायम रहे। गोरखपुर में हुए पहले मंडल स्तरीय समीक्षा बैठक में सीएम योगी ने चार घंटे का समय दिया। विधायकों ने अपना दर्द बयां किया तो सीएम ने तत्काल कार्यवाही करने का निर्देश भी दिया। योगी ने दो टूक कहा कि जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

कैम्पियरगंज के विधायक फतेह बहादुर सिंह का कहना है कि 'विकास कार्यों को लेकर बैठक से सरकार की योजनाओं को जनता तक पहुंचाने में मदद मिलेगी।' वहीं चिल्‍लूपार के विधायक राजेश त्रिपाठी का कहना है कि 'जब सीएम खुद गांव की गरीब जनता से लेकर विकास, सड़क, बिजली, गेहूं के क्रय केंद्र को लेकर सभी जिलाधिकारियों को लेकर फीडबैक लेते हैं तो इसका बड़ा असर होता है। जो गोरखपुर और आसपास के जिलों में दिख भी रहा है।'

गोरखपुर के महापौर सीताराम जायसवाल कहते हैं कि 'मुख्यमंत्री जब अधिकारियों से यह कहते हैं कि थानों और तहसीलों में शिकायतें सुनी जाएं तो गोरखनाथ मंदिर में 500 से अधिक शिकायतें कैसे पहुंचेंगी। तो साफ होता है कि उन्हें प्रशासन के निचले स्तर तक की हकीकत का पता है। बेहतर प्रशासक को कमियों और खूबियों का पता होना चाहिए। मुख्यमंत्री पहले से भी निचले वर्ग के हक-हकूक की लड़ाई लड़ते रहे हैं। अब साफ है कि पहले कार्यकाल की तुलना में आम लोगों की सुनवाई अधिक तेजी से होगी।'

सीएम योगी आदित्यनाथ (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

धार्मिक छवि को लेकर अडिग योगी

मुख्यमंत्री के साथ योगी आदित्यनाथ गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर भी हैं। जाहिर है, योगी की धार्मिक केन्द्रों के प्रति संजीदगी पहले की तरह बनी हुई है। नवरात्र में योगी ने गोरखपुर के साथ ही प्रदेश के कई शक्तिपीठों पर अराधना की। गोरखपुर में होली हो या राम नवमी, उन्होंने पहले से चली आ रही परम्परा का निवर्हन किया। कन्या पूजन में बेटियों के प्रति उनकी संजीदगी का हर कोई मुरीद हुआ है। इतना ही नहीं पर्यटन विभाग के जरिये योगी धार्मिक स्थलों के विकास की नीति को मजबूती से आगे बढ़ाते दिख रहे हैं। कोरोना का प्रभाव कुछ कम होने के बाद योगी ने गोरखपुर में होली के अवसर पर निकलने वाले भगवान नरसिंह की शोभा यात्रा में पहले की ही तरह पूरे जोश से शामिल हुए।

परीक्षाओं में पारदर्शिता और रोजगार पर जोर

अधिकारियों पर कार्रवाई से बचते दिखने वाले योगी दूसरे कार्यकाल में कुछ अधिक सख्त भी दिख रहे हैं। बलिया में यूपी बोर्ड के अंग्रेजी का पेपर लीक होने के मामले में जिला विद्यालय निरीक्षक ब्रजेश मिश्रा को निलंबित करने के साथ ही मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तार भी कर लिया गया। पहले कार्यकाल में योगी रोजगार के मुद्दे पर चुनावी कैंपेन में ठीक से घिरे थे। जिसे देखते हुए वह अभी से संजीदा दिख रहे हैं। प्रदेश सरकार स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए संस्थागत वित्त विभाग अगले 100 दिनों में 21000 करोड़ रुपये का ऋण बांटने का लक्ष्य रखा है। पांच वर्ष में बैंकों के सहयोग से प्रदेश के वार्षिक क्रेडिट को पांच लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाने का टारगेट है।

सरकार का दावा है कि इससे करीब पांच करोड़ रोजगार सृजित होंगे। योगी सरकार रोजगार सृजन को गति देने के लिए स्वयं सहायता समूहों, रेहड़ी-पटरी दुकानदारों, किसान क्रेडिट कार्डधारकों, मत्स्य पालकों और सूक्ष्म, लघु व मध्यम दर्जे के उद्योगों को लोन देने पर जोर दे रही है। अगले छह माह के दौरान स्वरोजगार को गति देने के लिए 51000 करोड़ रुपये के कर्ज उपलब्ध कराने का लक्ष्य है। पांच सालों में दो लाख करोड़ रुपये के ऋण वितरण का खाका खींचा गया है। इसके लिए प्रदेश में बैंकिंग सुविधाओं का भी विस्तार किया जाएगा। आगामी एक वर्ष में प्रदेश में जहां 700 नई बैंक शाखाएं खोलने की योजना है, वहीं अगले छह माह में 7000 नए बैंकिंग आउटलेट खोले जाएंगे। सरकार का नौकरियों में पारदर्शिता पर जोर है।

प्रदेश भर के 4500 से अधिक सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों में शिक्षकों व प्रधानाचार्यों के 7268 रिक्त पदों के लिए माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड का पोर्टल भी खुल गया है। अधियाचित पदों पर कोई विवाद न होने इसलिए जिला विद्यालय निरीक्षकों को 25 अप्रैल तक सत्यापित करना होगा। रोजगार के सृजन को लेकर ही प्रदेश सरकार निवेशकों को आकर्षित करने के लिए इन्वेस्टर समिट का आयोजन करने जा रही है। योगी ने इस बार दस लाख करोड़ रुपए के निवेश का लक्ष्य निर्धारित किया है। पिछले कार्यकाल में आयोजित हुए इन्वेस्टर समिट में 4.68 लाख करोड़ का निवेश प्रस्ताव मिले थे।

विकास योजनाओं पर बढ़ी निगरानी

वैसे तो पहले कार्यकाल में भी योगी विकास योजनाओं के समय पर पूरा करने को लेकर संजीदा रहे हैं, लेकिन इस बार इसे लेकर सख्ती बढ़ गई है। अधिकारियों के साथ बैठकों में योगी ने साफ कर दिया है कि लेटलतीफी के चलते योजनाओं का बजट बढ़ा तो जिम्मेदारों की खैर नहीं है। बजट रिवाइज नहीं होगा। मुख्यमंत्री ने नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट जेवर का संचालन दिसंबर 2024 तक शुरू करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही अयोध्या में बन रहे एयरपोर्ट के निर्माण कार्य भी तेजी से चल रहा है। पूर्वांचल में औद्योगिक विकास से पहले एक्सप्रेस-वे और फोरलेन का जाल बिछाया जा रहा है।

गोरखपुर के गीडा में लिंक एक्सप्रेस-वे के पास भगवानपुर गांव में 88 एकड़ में स्थापित होने वाले प्लास्टिक पार्क को भारत सरकार के रसायन एवं पेट्रो रसायन विभाग ने स्वीकृति दे दी है। करीब 70 करोड़ रुपये की लागत से विकसित होने वाले प्लास्टिक पार्क में 92 औद्योगिक इकाईयां लगेंगी। जिसमें 5000 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा। 'एक जिला-एक उत्पाद' की योजना को रोजगार से लिंक करने में इसबार अधिक तेजी दिख रही है। गोरखपुर में ओडीओपी के दूसरे उत्पाद के रूप में रेडीमेड गॉरमेंट को लिया गया है। ऐसे में गीडा में फ्लैटेड फैक्ट्री का शिलान्यास अगले 100 दिन में होना निश्चित हुआ है। इसकी जानकारी खुद मुख्यमंत्री योगी ने चेंबर ऑफ इंडस्ट्रीज के पदाधिकारियों को दी।

चेंबर ऑफ इंडस्ट्रीज के पूर्व अध्यक्ष एसके अग्रवाल का कहना है कि 'बतौर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की समयसीमा को लेकर प्रतिबद्धता बढ़ी है। इसी प्रतिबद्धता की पूर्वांचल को जरूरत है। इन्फ्रास्ट्रक्चर और औद्योगिक विकास से ही पूर्वांचल के पिछड़ेपन का दाग धोया जा सकता है। इसे लेकर सरकार संजीदा दिख रही है।' उत्तर प्रदेश सरकार अगले 100 दिनों में अटल औद्योगिक स्थापना मिशन की शुरुआत करने जा रही है। वर्ष 2021-22 में यूपी के निर्यात में वृद्धि की गई है। उत्तर प्रदेश में निर्यात को दो लाख करोड़ तक ले जाने के लिए प्रयास किए जा रहा हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आगामी 100 दिनों के अंदर तीसरी ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी का आयोजन करने के निर्देश दिए हैं। योगी पहले कार्यकाल में छुट्टा पशुओं के मुद्दे को लेकर बुरी तरह घिरे थे। ऐसे में वह अभी से छुट्टा पशुओं की समस्या को लेकर हर जिले के अधिकारियों से बात कर रहे हैं।

पशु चिकित्सकों का संगठन बीते दिनों डॉ.संजय श्रीवास्तव के नेतृत्व में गोरखनाथ मंदिर में योगी आदित्यनाथ से मिला था। जहां योगी की चिंता के केन्द्र में सिर्फ छुट्टा पशु ही थे। डॉ.संजय कहते हैं कि 'सरकार के सहयोग से पशुपालन विभाग छुट्टा पशुओं को लेकर ठोस योजना बना रहा है। इसी योजना के तहत यूपी के 30 जिलों में सरकार गो-अभ्यारण खोलने की तैयारी में है।'

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Shreya

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