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Kanpur Dehat Fire Case: सीएम योगी ने जांच के लिए एसआईटी बनाई, एक हफ्ते में सौंपेगी रिपोर्ट

Kanpur Dehat Fire Case: SIT सात दिन में घटना की विस्तृत रिपोर्ट सौंपेगी। एसआईटी में कानपुर के मंडलायुक्त राजशेखर और कानपुर जोन के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक आलोक सिंह शामिल हैं।

Rakesh Mishra
Written By Rakesh Mishra
Published on: 16 Feb 2023 6:45 PM IST (Updated on: 16 Feb 2023 6:46 PM IST)
CM Yogi Forms SIT to probe Kanpur Dehat Fire Case
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CM Yogi Forms SIT to probe Kanpur Dehat Fire Case (Image: Newstrack, Ashutosh Tripathi)

Kanpur Dehat Fire Case: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को कानपुर देहात में अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान मां और बेटी की मौत की जांच के लिए दो सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया। टीम को सात दिन में घटना की विस्तृत रिपोर्ट सौंपनी है।

कानपुर देहात (Kanpur Dehat) के मड़ौली अग्निकांड की घटना की जांच के लिए सरकार ने SIT गठित की है। झोपड़ी में लगी आग से मां बेटी के जिंदा जलने की घटना की जांच एसआईटी करेगी। शासन ने कमिश्नर डॉ. राजशेखर (Commissioner Dr. Rajasekhar) और एडीजी आलोक कुमार (ADG Alok Kumar) की SIT गठित की है। यह समिति घटना में दर्ज FIR सहित पूरे मामले की तथ्यात्मक व स्पष्ट जांच करेगी। साथ ही, एक सप्ताह में रिपोर्ट सौंपेगी। वहीं, जिलाधिकारी ने एडीएम वित्त एवं राजस्व जेपी गुप्ता को मजिस्ट्रेटी जांच सौंपी है। घटना की गंभीरता को लेकर एक पखवाड़े में जांच रिपोर्ट मांगी गई है। डीएम नेहा जैन ने सरकार की SIT गठन की पुष्टि की है।

क्या कहा सीएम ने?

मुख्यमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि घटना की सच्चाई पारदर्शी तरीके से लोगों के सामने आएगी। मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया, "कानपुर की घटना दुखद है। एसआईटी की एक टीम पहले से ही इसकी जांच कर रही है। मैंने इसकी मजिस्ट्रेट जांच के भी आदेश दिए हैं।" मुख्यमंत्री ने एक निजी टीवी चैनल के साथ अपनी बातचीत का एक वीडियो क्लिप भी साझा किया।

SIT सात दिन में घटना की विस्तृत रिपोर्ट सौंपेगी। एसआईटी में कानपुर के मंडलायुक्त राजशेखर और कानपुर जोन के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक आलोक सिंह शामिल हैं। SIT का गठन मामले की जांच के लिए पुलिस की चार टीमों के गठन के बाद आया है।

कानपुर देहात जिले में सोमवार शाम हुई घटना पर एक सवाल के जवाब में आदित्यनाथ ने कहा, 'मामला संवेदनशील है और घटना की सच्चाई पारदर्शी तरीके से लोगों के सामने आएगी.' उन्होंने कहा कि सभी को जांच रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए।

हरदोई की पुलिस टीम करेगी जाँच

सरकार ने एसआईटी की जाँच का जिम्मा हरदोई पुलिस अधीक्षक राजेश द्विवेदी को सौंपा है। उनके साथ सीओ बघौली विकास जायसवाल, एसएचओ कोतवाली शहर संजय पाण्डेय, एसएचओ महिला थाना रामसुखारी और क्राइम ब्रांच प्रभारी वकील सिंह यादव भी जांच टीम का हिस्सा होंगे।

क्या थी घटना?

प्रमिला दीक्षित (45) और उनकी बेटी नेहा (20) की कथित तौर पर पुलिस, जिला प्रशासन और राजस्व अधिकारियों की मौजूदगी में एक झोपड़ी में आग लगाने के बाद मौत हो गई, जो जिले के रूरा क्षेत्र के मडौली गांव में अतिक्रमण हटाने गए थे। मंगलवार को पुलिस ने हत्या और अन्य आरोपों में एक सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट, चार राजस्व अधिकारियों, एक थानाध्यक्ष और कई अन्य पुलिसकर्मियों सहित 39 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।

क्या कहा पुलिस महानिरीक्षक ने?

पुलिस महानिरीक्षक (कानपुर रेंज) प्रशांत कुमार ने कहा कि अनुविभागीय मजिस्ट्रेट (मैथा) ज्ञानेश्वर प्रसाद को निलंबित कर दिया गया है। प्राथमिकी हत्या, हत्या के प्रयास के अलावा मवेशियों को मारने या अपंग करने, घर को नष्ट करने के इरादे से आग लगाकर शरारत करने आदि और जानबूझकर अपमान करने के आरोप में दर्ज की गई है। वहीँ पीड़िता के घर को गिराने में इस्तेमाल की गई जेसीबी को जब्त कर लिया गया है।

सपा ने कहा- बजट सत्र में उठाएंगे मुद्दा

समाजवादी पार्टी ने घटना को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की। पार्टी ने बुधवार को कहा कि, पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए सोमवार से शुरू हो रहे उत्तर प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र में वह इस घटना को उठाएगी।'

मायावती- निर्दोष लोगों की जान ले रही बुलडोजर नीति

वहीं बहुजन समाज पार्टी (BSP) प्रमुख मायावती ने कहा, 'भाजपा सरकार की 'बुलडोजर राजनीति' निर्दोष गरीब लोगों की जान ले रही है जो बहुत ही दुखद है। सरकार को अपना जनविरोधी रवैया बदलना चाहिए।'

कांग्रेस ने सत्ताधारी दल को घेरा

वहीं, कांग्रेस पार्टी ने कानपुर देहात (Kanpur Dehat Fire Case) की घटना को लेकर कलेक्ट्रेट पर विरोध-प्रदर्शन किया। कांग्रेस की जिला व शहर कमेटी के पदाधिकारियों ने सरकार पर आरोप लगाते हुए उन्हें घेरा। कांग्रेस के जिलाध्यक्ष आशीष कुमार सिंह सोमवंशी ने कहा कि, 'प्रदेश में सत्ताधारी और उनके करीबी हजारों बीघे तालाब, पोखर और जंगल, चारागाह आदि की जमीनों पर कब्जा किए हुए हैं। मगर, इन रसूखदार कब्जेदारों के आगे बुलडोजर और प्रशासन घुटने टेक देता है।'



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