CM योगी की सख्ती: प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले कई डॉक्टर हो सकते हैं सरकारी नौकरी से अलविदा

गोरखपुर ही नही पूर्वी क्षेत्र के इस इकलौते बीआरडी मेडिकल कॉलेज के लगभग एक दर्जन बड़े डॉक्टर वोलंटरी रिटायरमेंट स्कीम (वीआरएस) ले सकते हैं। इन प्राइवेट प्रेक्टिस करने वाले चिकित्सको में मेडिसिन, पीडिया, आर्थो,जनरल सर्जरी, गायनी, ईएनटी और साईकेट्री के डॉक्टर शामिल हैं।

priyankajoshi
Published on: 19 April 2017 8:29 AM GMT
CM योगी की सख्ती: प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले कई डॉक्टर हो सकते हैं सरकारी नौकरी से अलविदा
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गोरखपुर : यूपी में नई सरकार के गठन के बाद मुख्यमंत्री (सीएम) योगी आदित्यनाथ ने प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले सरकारी डॉक्टरों के खिलाफ तेवर सख्त कर दिए है। गोरखपुर ही नही पूर्वी क्षेत्र के इस इकलौते बाबा राव दास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज के लगभग एक दर्जन बड़े डॉक्टर वोलंटरी रिटायरमेंट स्कीम (वीआरएस) ले सकते हैं। इन प्राइवेट प्रेक्टिस करने वाले चिकित्सको में मेडिसिन, पीडिया, आर्थो,जनरल सर्जरी, गायनी, ईएनटी और साईकेट्री के डॉक्टर शामिल हैं।

कई डॉक्टर खुलकर करते है प्राइवेट प्रेक्टिस

-बता दें कि 900 बेड की क्षमता वाले अस्पताल के चलते बीआरडी मेडिकल कॉलेज की पहचान पूर्वांचल के एक मात्र मेडिकल कॉलेज के रूप में है।

-इसमें रोजाना करीब 5,000 मरीज ओपीडी में इलाज कराने आते हैं।

-मरीजों की भारी भीड़ होने के कारण इस अस्पताल के डॉक्टर कॉलेज कंपाउंड सहित शहर के कई क्षेत्रों में खुलकर प्राइवेट प्रेक्टिस भी करते रहे हैं।

-जिसकी सूचना मिलने पर यूपी सरकार की ओर से कराए गए स्टिंग ऑपरेशन में प्राइवेट प्रैक्टिस करते ईएनटी के डॉ. आरएन यादव फंस भी चुके है।

-हालांकि, केवल यही नहीं बल्कि इसके अलावा कैंपस के लगभग 3 दर्जन डॉक्टर इसमें संलिप्त हैं।

निजी अस्पतालों से भी जुड़े

-देखा जाए तो मेडिसिन विभाग के कुछ डॉक्टर तो कैंपस में बने सरकारी आवासों पर ही धड़ल्ले से मरीजों का इलाज करते हैं।

-इनमें से भी मेडिकल कॉलेज में कार्यरत पीडियाट्रिक्स, आर्थो, ईएनटी और गायनी विभाग के एक दर्जन डॉक्टरों के निजी अस्पताल हैं।

-जबकि कॉलेज के कुछ डॉक्टरों की क्लीनिक महानगर के पाश इलाके बेतियाहाता में चलती है।

-साथ ही साथ शहर से सटे कुछ इलाकों गोरखनाथ, चरगांवा और करीम नगर में कुछ निजी अस्पतालों में सरकारी डॉक्टर मरीजों का इलाज करते हैं।

-सबसे बड़ी बात कि कॉलेज में कार्यरत कुछ एनेस्थिसिया के डॉक्टर निजी अस्पतालों से भी जुड़े हैं।

अधिक जानकारी के लिए आगे की स्लाइड्स में जानें...

सरकार के रवैये से मची हलचल

-सूत्रों के मुताबिक कॉलेज के मेडिसिन विभाग में तैनात रहे न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. पवन सिंह ने शासन के डंडे के चलते ही इस्तीफा दिया।

-हालांकि, उन्होंने अपने इस्तीफा देने का कारण निजी बताया है।

-जबकि दूसरे चिकित्सक न्यूरोसर्जरी विभाग में एक मात्र डॉ. विजय शंकर मौर्या ने भी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति मांगी है।

-अब दूसरे विभागों के चिकित्सकों में भी शासन के रवैये को देखकर खलबली मची हुई है।

-अब ऐसे चिकित्सक स्वैच्छिक सेवानिवृति के लिए होने वाले अपने घाटा-मुनाफा का आंकलन कर रहे हैं। इसके बाद ही वे कोई फैसला करेंगे।

बेरोक टोक कर रहे प्राइवेट प्रैक्टिस

-हालांकि बीआरडी मेडिकल कॉलेज में दो दर्जन से अधिक डॉक्टर कांट्रेक्ट के माध्यम से सेवाएं दे रहे हैं।

-इसमें डॉक्टरों को कॉलेज की ड्यूटी के बाद प्राइवेट प्रैक्टिस करने की छूट मिलती है।

-कॉलेज के चर्म रोग और रेडियोलॉजी विभाग में तो सभी डॉक्टर संविदा पर ही है।

-विभाग में कोई रेग्यूलर डॉक्टर ही नहीं है।

-कुछ घंटे कॉलेज में सेवा देने के बाद ये डॉक्टर खुलकर बेरोक टोक प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं।

की जा लकती है नए डॉक्टरों की भर्ती

हालांकि, कुछ दिनों पूर्व इस तरह की परिस्थियां उत्पन्न होने के सवाल पर यूपी के चिकित्सा-शिक्षा महानिदेशक, डॉ. वीएन त्रिपाठी ने खुलकर कहा भी था कि कॉलेज में तैनात रेग्यूलर डॉक्टर किसी कीमत पर प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं कर सकता। इसके एवज में उसे नॉन प्रैक्टिसिंग एलाउंस मिलता है। ऐसे डॉक्टरों की खुफिया जांच कराई जा रही है। कोई डॉक्टर अगर इस्तीफा देकर जाना चाहता है तो वह जा सकता है। उनकी जगह पर नए डॉक्टरों की भर्ती की जाएगी।

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इन्होंने पत्रकारीय जीवन की शुरुआत नई दिल्ली में एनडीटीवी से की। इसके अलावा हिंदुस्तान लखनऊ में भी इटर्नशिप किया। वर्तमान में वेब पोर्टल न्यूज़ ट्रैक में दो साल से उप संपादक के पद पर कार्यरत है।

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