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CM योगी ने मकर संक्रांति पर की पूजा, खिचड़ी चढ़ाने के लिए देशभर से आए लोग

पूरे भारत में मकर संक्रान्ति का पर्व सोमवार (15 जनवरी) को बेहद उल्‍लास के साथ मनाया जा रहा है। खिचड़ी का यह पर्व गोरखनाथ पीठ के महंत और सीएम योगी आदित्‍यनाथ नेपाल के राजा की खिचड़ी चढ़ाने के साथ शुरू करते हैं।

priyankajoshi
Published on: 15 Jan 2018 11:20 AM IST
CM योगी ने मकर संक्रांति पर  की पूजा, खिचड़ी चढ़ाने के लिए देशभर से आए लोग
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गोरखपुर: पूरे भारत में मकर संक्रान्ति का पर्व सोमवार (15 जनवरी) को बेहद उल्‍लास के साथ मनाया जा रहा है। खिचड़ी का यह पर्व गोरखनाथ पीठ के महंत और सीएम योगी आदित्‍यनाथ नेपाल के राजा की खिचड़ी चढ़ाने के साथ शुरू करते हैं।

इसके बाद पूरे एक माह तक यहां पर पूरे भारत से लोग आकर खिचड़ी चढ़ाते हैं। नाथ संप्रदाय के जनक गुरू गोरखनाथ के हजारों भक्‍तों का काफिला हर रोज इस मंदिर में आकर खिचड़ी चढ़ाता है।

गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर में सोमवार सुबह चार बजे यूपी के मुख्यमंत्री ने बाबा गोरक्षनाथ की पूजा अर्चना शुरू की। तकरीबन 45 मिनट तक ये पूजा अर्चना चली। उसके बाद विधि पूर्वक पूजा होने के बाद नेपाल से आई खिचड़ी को योगी ने चढ़ाया। फिर अपनी खिचड़ी चढ़ाकर श्रद्धालुओ के खिचड़ी चढ़ाने का सिलसिला शुरू हो गया।

कई हफ्तों तक चलेगा सिलसिला

मंदिर के महंत योगी आदित्‍यनाथ के द्वारा नेपाल के राजा की खिचड़ी चढ़ाने के बाद शुरू हुआ। खिचड़ी चढ़ाने का सिलसिला अभी कई हफ्तों तक चलेगा। बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाने के लिये दूर-दूर से लोग इस समय गोरखनाथ मंदिर में आए हुए हैं। बाबा गोरखनाथ जी के दर्शनों के लिए देश के कोने-कोने और दूर-दराज जगहों से लोग यहां पर आये हैं और सभी का मानना है कि गुरु गोरखनाथ उनकी सभी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं।

ये है मान्यता

मंदिर में खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा सदियों पुरानी है। मान्यता है कि त्रेता युग में सिद्ध गुरु गोरक्षनाथ भिक्षाटन करते हुए हिमांचल के कांगड़ा जिले के ज्वाला देवी मंदिर गए। यहां देवी प्रकट हुई और गुरु गोरक्षनाथ को भोजन को आमंत्रित दिया। वहां तामसी भोजन देखकर गोरक्षनाथ ने कहा, मैं भिक्षाटन में मिले चावल-दाल को ही ग्रहण करता हूं। इस पर ज्वाला देवी ने कहा, मैं चावल-दाल पकाने के लिए पानी गरम करती हूं। आप भिक्षाटन कर चावल-दाल लाइए। गुरुगोरक्षनाथ यहां से भिक्षाटन करते हुए हिमालय की तराई स्थित गोरखपुर पहुंचे। उस समय इस इलाके में घने जंगल थे। यहां उन्होंने राप्ती और रोहिणी नदी के संगम पर एक मनोरम जगह पर अपना अक्षय भिक्षापात्र रखा और साधना में लीन हो गए। इस बीच खिचड़ी का पर्व आया। एक तेजस्वी योगी को साधनारत देख लोग उसके भिक्षापात्र में चावल-दाल डालने लगे, पर वह अक्षयपात्र भरा नहीं। इसे सिद्ध योगी का चमत्कार मानकर लोग अभिभूत हो गए। उसी समय से गोरखपुर में गुरु गोरक्षनाथ को खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा जारी है। इस दिन हर साल नेपाल-बिहार पूर्वाचल के दूर-दराज इलाकों से श्रद्धालु गुरु गोरक्षनाथ मंदिर में खिचड़ी चढ़ाने आते हैं। पहले वे मंदिर के पवित्र भीम सरोवर में स्नान करते हैं। खिचड़ी मेला माह भर तक चलता है।

नेपाल से लेकर पूरे भारत के हजारों भक्त आते है

दूर दराज के इलाकों से हजारों लोगों का मंदिर में आने का जो सिलसिला शुरू हुआ वो पूरी रात चलता रहा। नेपाल से लेकर भारत के हजारों भक्‍त पूरी रात खिचड़ी चढ़ाने के लिए पूरी रात इंतजार करते रहे। इन सबका मानना है कि बाबा का आर्शिवाद इन पर हमेशा बना रहता है। कही दिल्ली तो कही महराष्ट्र से तो कही नेपाल तो कही बिहार से दूर-दराज से आए तकरीबन 50 सालों से आए श्रृद्धालुओं की मानें तो यहां पर उनकी मुरादे हर साल पूरी करते है। गोरखनाथ बाबा के दर्शन कर ये लोग अपने को भाग्यशाली मानते है।

विदेश से भी आते है लोग

गुरु गोरक्षनाथ मंदिर के बारे में जितना कहा जाय उतना कम है, इनकी ज्‍योति हर तरफ फैली है। यहां साल भर बाबा का दरबार अपने भक्‍तों के लिये खुला रहता है जो भी सच्‍चे दिल से इनके दरबार में आकर अरदास लगाता है बाबा गोरक्षनाथ उसे जरूर पूरा करते हैं। श्रद्धा और भक्ति का संगम गोरखपुर का गोरखनाथ मंदिर सिर्फ देश ही नहीं विदेश में भी सबको एकता और प्रेम का संदेश देता है।

श्रृद्धालुओं की संख्या बढ़ी

वहीं इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने मकरसंक्रांन्ति शुभकामनाएं देते हुए गोरखनाथ बाबा को खिचड़ी चढ़ाने के महत्व के बारे में बताया। यहां देश और विदेश से श्रद्धालु खिचड़ी चलाने के लिए हर साल आते हैं लेकिन इस बार योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद से गोरखनाथ मंदिर में आने दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या काफी बढ़ गई है।

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इन्होंने पत्रकारीय जीवन की शुरुआत नई दिल्ली में एनडीटीवी से की। इसके अलावा हिंदुस्तान लखनऊ में भी इटर्नशिप किया। वर्तमान में वेब पोर्टल न्यूज़ ट्रैक में दो साल से उप संपादक के पद पर कार्यरत है।

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